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राहुल गांधी के ‘राम’ और ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ पर बयान के राजनीतिक मायने क्या हैं?

ऑपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगे कांग्रेस नेतृत्व के लिए हमेशा ही मुसीबत बने रहे हैं, और हिंदुत्व को लेकर तो राहुल गांधी हमेशा ही बीजेपी के निशाने पर रहे हैं. राहुल गांधी ने अब एक जिम्मेदारी भरा रास्ता खोज लिया है. माफी तो नहीं मांगी है, लेकिन कांग्रेस सरकारों की गलतियों की जिम्मेदारी ले ली है.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार पर राहुल गांधी ने बिल्कुल नया स्टैंड लिया है, लेकिन भगवान राम पर वो पुराने रुख पर कायम हैं.
ऑपरेशन ब्लू स्टार पर राहुल गांधी ने बिल्कुल नया स्टैंड लिया है, लेकिन भगवान राम पर वो पुराने रुख पर कायम हैं.

जाति जनगणना कराये जाने के फैसले को केंद्र सरकार पर कांग्रेस के भारी दबाव का असर बताने वाले राहुल गांधी भगवान श्रीराम पर अपने विचार को लेकर फिर से घिर गये हैं, और कांग्रेस नेता को बीजेपी ‘राम-द्रोही’ बताने लगी है.

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लेकिन, राहुल गांधी ने एक भूल सुधार भी किया है. ये महज भूल सुधार है, या कांग्रेस के स्टैंड में बदलाव, इसे ठीक से समझने की जरूरत होगी.

1984 में अमृतसर के गोल्डन टेंपल में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार की कार्रवाई पर राहुल गांधी का बयान तेजस्वी यादव की तरफ से ‘जंगलराज’ के लिए माफी मांगने जैसा तो नहीं है, लेकिन मिलता जुलता तो मान ही सकते हैं - राहुल गांधी ने, दरअसल, बारी बारी कांग्रेस शासन की अब तक की गलतियों की जिम्मेदारी लेने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

90 और 70 के दशक के कांग्रेस शासन की गलतियां तो राहुल गांधी ने पहले ही कबूल कर ली थी, अब तो कांग्रेस नेता ने 80 के दशक वाली गलती भी स्वीकार कर ली है.

सवाल है कि राहुल गांधी के रुख में इतना बड़ा बदलाव कैसे आया - क्या राहुल गांधी कांग्रेस सरकारों के पॉलिटिकल ब्लंडर स्वीकार कर हाथ से फिसल चुके अलग अलग वोट बैंक से रीकनेक्ट होने की कोशिश कर रहे हैं? या फिर, ऐसी चीजों की जिम्मेदारी लेकर बीजेपी के हमलों की धार कुंद करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जैसे गांधी परिवार से बाहर का कांग्रेस अध्यक्ष लाकर किया है?

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राहुल गांधी ने ली ऑपरेशन ब्लू स्टार की जिम्मेदारी

सियासी मजबूरी में कहें, या बेमन से ही सही, लेकिन राहुल गांधी ने अब ऑपरेशन ब्लू स्टार की जिम्मेदारी ले ली है. ये तो मानना पड़ेगा. अब तक राहुल गांधी ये सवाल टालते हुए देखे गये हैं. जब भी पूछा जाता रहा, राहुल गांधी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बयानों की याद दिलाकर पल्ला झाड़ लिया करते थे - लेकिन ताजा बयान तो यू-टर्न लेने जैसा ही लगता है. 

1984 के दंगों के दौरान राजनीतिक रूप से सक्रिय न होने का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि 80 के दशक में जो भी हुआ, वो गलत था. 

ऐसे ही राहुल गांधी ने एक बार देश में इमरजेंसी लगाये जाने के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले को भी गलत मान लिया था - और अब इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के फैसले को भी गलत बता रहे हैं. ये भी संयोग ही है या चाहें तो प्रयोग भी समझ सकते हैं, राहुल गांधी ने ये दोनो ही गलतियां विदेशी धरती पर आयोजित कार्यक्रम में ही स्वीकार की है. और, दोनो ही कार्यक्रमों में पूछे गये सवालों के जवाब में.

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कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में इमरजेंसी को गलत बताने वाले राहुल गांधी से करीब दो हफ्ते पहले अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर सवाल पूछा गया था. कार्यक्रम का वीडियो अब वायरल हुआ है, और चर्चा में होने की वजह भी यही है. 

ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर पूछे गये सवाल पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बोले. मैंने पहले भी कहा है… 80 के दशक में जो हुआ, वो गलत था… कांग्रेस की ये गलतियां तब की हैं जब मैं वहां नहीं था, लेकिन कांग्रेस के इतिहास में जो कुछ भी गलत हुआ… मैं उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं.

राम के नाम पर फिर महाभारत, निशाने पर राहुल गांधी

दिल्ली में आयोजित 'वंचित समाज: दशा और दिशा' कार्यक्रम में राहुल गांधी ने 90 के दशक के कांग्रेस शासन की गलतियां स्वीकार की थी. तब राहुल गांधी ने कहा था, 'मुझे कहना पड़ रहा है कि पिछले 10-15 साल में कांग्रेस को जो करना चाहिये था, वो नहीं किया… अगर कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों का भरोसा कायम रख पाई होती तो आरएसएस कभी सत्ता पर काबिज नहीं हो पाता.

राहुल गांधी का ये बयान थोड़ा पेचीदा भी लगा. क्योंकि, 90 का दशक शुरू होने से पहले राजीव गांधी की सरकार जा चुकी थी. और, 1991 से 96 तक पीवी नरसिम्हाराव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी. बेशक, वो सरकार बनने में भी सोनिया गांधी की सहमति मानी जाती है, लेकिन गांधी परिवार ने नरसिम्हा राव के शासन को कभी अपनाया नहीं. एक बड़ी वजह अयोध्या में मस्जिद का गिराया जाना भी हो सकता है - क्योंकि, राम मंदिर उद्घाटन समारोह से लेकर अब तक राहुल गांधी के राम को पौराणिक कैरेक्टर बताये जाने तक समान भाव ही नजर आता है. 

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1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई, और 90 के दशक के आखिर में, 1998 में सोनिया गांधी ने राजनीति में सक्रिय हुईं. और, कांग्रेस अध्यक्ष बनीं.

ब्राउन यूनिवर्सिटी के वॉटसन इंस्टीट्यूट में राहुल गांधी से पूछा गया सवाल था - हिंदू राष्ट्रवाद के दौर में सभी समुदायों को साथ लेकर चलने वाली धर्मनिरपेक्ष राजनीति कैसे बनाई जा सकती है?

और इसी सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने भगवान राम को लेकर अपना नजरिया पेश किया, जिस पर बीजेपी नेता टूट पड़े हैं.

राहुल गांधी ने कहा, हमारे पौराणिक पात्र… जैसे भगवान राम, करुणामय और क्षमाशील थे… मैं बीजेपी की सोच को हिंदुत्व नहीं मानता… मेरे लिए असली हिंदू विचार बहुलतावादी, सहिष्णु और प्रेम भरा है.

बीजेपी को राहुल गांधी को घेरने का मौका जरूर मिला है, लेकिन कांग्रेस नेता के स्टैंड में ऑपरेशन ब्लू स्टार की तरह इस मुद्दे पर कोई बदलाव नहीं लगता. सामने बिहार में विधानसभा का चुनाव है, और राहुल गांधी हर तबके के वोट कांग्रेस को दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, मिले न मिले ये बात और है. राहुल गांधी खासतौर पर मुस्लिम वोटों पर नजर है, जिसे वो आसानी से तेजस्वी यादव या पहलगाम हमले के बाद हद से ज्यादा सक्रिया असदुद्दीन ओवैसी के हिस्से में जाने नहीं देना चाहते.

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