अजमेर के पास साबरमती-आगरा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि लोको पायलट ने रेड सिग्नल को पार किया था, जिसके बाद ट्रेन एक मालगाड़ी के दो पिछले वैगनों से टकरा गई. मालगाड़ी से टक्कर के बाद आगरा जा रही पैसेंजर ट्रेन के 4 डिब्बे सोमवार को अजमेर स्टेशन के पास पटरी से उतर गए थे. घटना में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ.
सात विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेन संख्या 12458 (साबरमती-आगरा सुपरफास्ट एक्सप्रेस) 00:50 बजे अजमेर से रवाना हुई और मदार स्टेशन की ओर आते समय, लोको पायलट ने लाल सिग्नल पार कर लिया. इसकी वजह से ट्रेन एक मालगाड़ी जो क्रॉसओवर से गुजर रही थी, उसके पिछले दो वैगनों से टकरा गई. इसके कारण साबरमती-आगरा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के चार डिब्बे और उसका इंजन पटरी से उतर गए, जिससे अप/डाउन दोनों दिशाओं में ट्रेन परिचालन कई घंटों तक बाधित रहा.
ट्रेन ड्राइवर ने जांच समिति के सामने मानी अपनी लापरवाही
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना में कोई हताहत या घायल नहीं हुआ, हालांकि टक्कर के समय ट्रेन की गति 50 किमी प्रति घंटा थी. लोको पायलट ने भी अपनी दलील में स्वीकार किया कि मदार स्टेशन में प्रवेश करने से पहले उसने पहला सिग्नल डबल येलो की स्थिति में और दूसरा सिंगल येलो की स्थिति में देखा था. ड्राइवर ने आगे कहा कि जब उसने तीसरा सिग्नल लाल स्थिति में देखा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाया लेकिन तब तक ट्रेन मालगाड़ी के पिछले हिस्से से टकरा गई.
विशेषज्ञों के अनुसार, जब सिग्नल डबल येलो होता है तो नियमों के मुताबिक लोको पायलट को ब्रेक लगाना पड़ता है, क्योंकि ट्रेन अपनी गति के कारण लगभग 500 से 600 मीटर की दूरी तय करने के बाद रुकती है. डबल येलो पोजीशन में पहला सिग्नल ड्राइवर के लिए एक संकेत है कि उसे ब्रेक लगाना होगा. यह आगे के ट्रैक पर किसी रुकावट का संकेत होता. ऐसी स्थिति में, दूसरा सिग्नल येलो और तीसरा रेड रखा जाता है. ड्राइवर ने जॉइंट रिपोर्ट कमिटी को दिए अपने बयान में स्वीकार किया है कि उसने पहला सिग्नल डबल येलो स्थिति में देखा था. लेकिन उसने यह नहीं बताया कि तब ब्रेक क्यों नहीं लगाया.
जानें ट्रेन ड्राइवर किस स्थिति में क्रॉस कर जाते हैं रेड सिग्नल?
रिपोर्ट के मुताबिक कोई लोको पायलट रेड सिग्नल (जिसे Signal Passed At Danger or SPAD भी कहा जाता है) को तभी पार करता है, जब उसका ध्यान किसी दूसरी ओर हो. यानी यह लोको पायलट की ओर से बहुत बड़ी लापरवाही होती है. एक लोको पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, 'कभी-कभी ट्रेन ड्राइवरों को थकान के कारण झपकी आ जाती है और ऐसे में SPAD होता है. ऐसे मामले हैं जिनमें मानसिक तनाव या पारिवारिक मुद्दे लोको पायलट के दिमाग को इतना परेशान कर देते हैं कि वे सिग्नल चूक जाते हैं.
हालांकि असिस्टेंट लोको पायलट का काम लोको पायलट को इन सभी चीजों के बारे में सचेत करना होता है, लेकिन कभी-कभी इसके बावजूद भी एसपीएडी होता है. ऐसे में माना जाएगा कि दोनों ही लोको पायलट अलर्ट नहीं थे'. साबरमती-आगरा एक्सप्रेस के मामले में एसपीएडी रिपोर्ट बताती है कि ड्राइवर अपने परिवार से दूर अकेले रह रहा था.