रूस और यूक्रेन की जंग में भारत की अब तक की भूमिका तटस्थ रही है. तीन दिन में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र में भारत ने रूस के खिलाफ वोटिंग से दूरी बना ली. सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने यूक्रेन संकट पर आपातकालीन सत्र बुलाया. इससे पहले शुक्रवार को भी यूक्रेन से रूस की सेना वापसी को लेकर प्रस्ताव लाया गया था. रूस के खिलाफ लाए गए दोनों प्रस्तावों पर वोटिंग से भारत दूर हो गया.
भारत और रूस के संबंध बहुत पुराने हैं. दोनों देश कई मौकों पर एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी जब-जब भारत किसी मुद्दे पर घिरा है तो रूस ने ही उसका साथ दिया है. अब तक रूस ने भारत के समर्थन में 4 बार वीटो पावर (Veto Power) का इस्तेमाल किया है.
रूस ने कब-कब किया UNSC में भारत का समर्थन?
1. 1957 : कश्मीर मुद्दा
- 1955 में सोवियत संघ (USSR) के तत्कालीन नेता निकिता ख्रुश्चेव भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने तब कहा था कि मास्को बस 'सीमा पार' है और कश्मीर मामले में कोई भी परेशानी होने पर उसे बस हमें बताना है.
- 1957 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव दिया और मांग की कि कश्मीर में डिमिलिटराइज के लिए संयुक्त राष्ट्र की सेना उतरनी चाहिए. उस समय USSR ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया.
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2. 1961 : गोवा का मुद्दा
- आजादी के बाद भी करीब 14 साल तक गोवा आजाद नहीं हो सका था. वहां 1961 तक पुर्तगालियों का ही कब्जा था. गोवा की आजादी के लिए प्रदर्शन हो रहे थे. पुर्तगाल ने उस समय UNSC को एक पत्र लिखा और इसे अपना हिस्सा बताने की कोशिश की.
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय निकिता ख्रुश्चेव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक टेलीग्राम भेजा और गोवा में भारत की कार्रवाई को सही ठहराया.
- इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पुर्तगाल एक प्रस्ताव लेकर आया और मांग की कि भारत को गोवा से अपनी सेना वापस लेनी चाहिए. इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन दिया लेकिन USSR ने वीटो लगाकर प्रस्ताव को गिरा दिया.
- माना जाता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में USSR के इस समर्थन से भारत को मजबूती मिली और आखिरकार 19 दिसंबर 1961 को गोवा आजाद हुआ.
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3. 1961 : भारत-पाकिस्तान
- 1962 में USSR ने 100वीं बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया और इस बार भी भारत के समर्थन में. दरअसल, UNSC में आयरलैंड एक प्रस्ताव लेकर आया, जिसमें भारत-पाकिस्तान से बातचीत से मसला सुलझाने की अपील की गई थी.
- इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के 7 सदस्यों ने समर्थन दिया, जिनमें से अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन स्थायी सदस्य थे. भारत ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. उस समय USSR ने फिर वीटो इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया.
4. 1971 : कश्मीर मुद्दा
- पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश में लगा है. 1965 के युद्ध के बाद भी पाकिस्तान ने कई बार इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाया.
- हालांकि, 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश की मुक्ति को लेकर युद्ध हो रहा था, तब कश्मीर मुद्दा फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आया. उस समय फिर USSR ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया.
- माना जाता है कि USSR के उस वीटो की मदद से ही कश्मीर मुद्दा कभी अंतरराष्ट्रीय नहीं बन पाया और हमेशा भारत-पाकिस्तान का मुद्दा बना रहा.