देशभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग भी तेजी से बढ़ गई है. जहां एक तरफ इस इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबर आ रही हैं वहीं दूसरी तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाली दवा पर लगने वाले आयात शुल्क पर छूट दे दी गई है.
रेमडेसिविर इंजेक्शन में प्रयोग की जाने वाली बीटा साइक्लोडेक्सट्रिन (SBEBCD) के आयात शुल्क पर छूट दे दी गई है. जानकारी के मुताबिक, यह छूट 31 अक्टूबर तक के लिये दी गई है.
बता दें कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का मिलना इस वक्त सबसे मुश्किल है. चारों तरफ लोग गुहार लगा रहे हैं. अस्पतालों में स्टॉक खत्म हो रहा है, लोग एक एक डोज़ के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. एक मरीज को जितनी डोज़ की ज़रूरत होती है, उससे कम डोज़ में किसी तरह काम चलाया जा रहा है. अस्पतालों के पास इंजेक्शन नहीं बचे तो लोगों को अपने हिसाब से इंजेक्शन का इंतज़ाम करने को कहा जा रहा है और इसी किल्लत में कालाबाज़ारी करने वालों को मौका मिल रहा है.
फेफड़े के इंफेक्शन से बचाता है रेमडेसिविर
कोरोना जैसी जानलेवा महामारी में रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है. कोरोना की वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन होता है और फिर मरीज को निमोनिया हो जाता है. रेमडेसिविर इंजेक्शन फेफड़े के इंफेक्शन से लोगों को बचाता है. फेफड़े में इंफेक्शन के आधार पर रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जाते हैं. ज्यादा गंभीर स्थिति में एक मरीज को 6 इंजेक्शन तक लगाने पड़ते हैं. यही वजह से रेमडेसिविर की भारी डिमांड है.
दरअसल, जो मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं उनके फेफड़े में इंफेक्शन काफी बढ़ चुका होता है. जिस वजह से उन्हें रेमडेसिविर के कई इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं. बता दें कि भारत में रेमडेसिविर इंजेक्शन कई कंपनियां बना रही हैं. जिनमें सबसे महंगी इंजेक्शन करीब 5400 रुपये और सबसे सस्ती इंजेक्शन 899 रुपये की है.