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'सरकार मानने वाली नहीं, इलाज करना पड़ेगा...', राकेश टिकैत की केंद्र को धमकी

दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार से धमकी भरे लहजे में कहा है कि वह मानने वाली नहीं है. टिकैत ने कहा है कि इलाज करना पड़ेगा.

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किसान नेता राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टिकैत बोले- करना पड़ेगा इलाज
  • टिकैत ने किसानों से तैयार रहने को कहा
  • कई महीनों से चल रहा किसान आंदोलन

केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार को सरकार को धमकी दी है. टिकैत ने दो टूक कहा है कि इलाज करना पड़ेगा. मालूम हो कि पिछले छह महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग पिछले साल बनाए गए कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की है.

किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर आंदोलन तेज करने के लिए कहा है. उन्होंने ट्वीट किया, ''सरकार मानने वाली नहीं है. इलाज तो करना पड़ेगा. ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो. जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा.'' इससे एक दिन पहले भी टिकैत ने कहा था कि केंद्र सरकार यह गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा. किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी. हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों. एमएसपी पर कानून बने. 

बॉर्डर पर बैठे किसानों और सरकार के बीच कोई भी हल निकलता नहीं दिख रहा है. दोनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई भी परिणाम नहीं निकल सका. केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह कानूनों को रद्द नहीं करेगी. यदि किसान कोई संशोधन करवाना चाहते हैं, तो फिर वह इसे करने को तैयार है. साथ ही, सरकार ने कानूनों को डेढ़ साल तक लंबित रखने का भी प्रस्ताव किसानों को दिया हुआ है, लेकिन किसानों की मांग शुरुआत से ही इन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की है.

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पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर से कहा था कि सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है. हालांकि, कानूनों को रद्द नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा था, ''भारत सरकार किसानों से बात करने को तैयार है. रद्द करने के अलावा, यदि किसान किसी भी तरह का संशोधन चाहते हैं तो फिर मैं उसका स्वागत करूंगा.'' वहीं, प्रदर्शन कर रहे किसान समय-समय पर आंदोलन तेज करने की बात कहते रहे हैं. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर रैली भी निकाली थी, जिसमें कई लोग लाल किले तक पहुंच गए थे. इस दौरान, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं.   

 

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