सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने विवादित आदेश में बदलाव किया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर कहीं और ले जाने की बजाय टीकाकरण और डीवॉर्मिंग के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ा जाए. हालांकि, रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को टीका लगाकर अलग शेल्टर में रखा जाएगा. कोर्ट ने कहा कि इस मामले का दायरा सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे देश के लिए एक नेशनल पॉलिसी बनाई जाएगी.
करुणा और साइंटिफिक सोच से भरा फैसला: राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस संशोधित आदेश का स्वागत करता हूं. यह एनिमल वेलफेयर और पब्लिक सेफ्टी के बीच बैलेंस बनाने की दिशा में प्रोग्रेसिव कदम है. यह फैसला करुणा और वैज्ञानिक सोच पर आधारित है.
मैं बहुत खुश हूं, ये साइंटिफिक जजमेंट है: मेनका गांधी
वहीं एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी यही कहा कि मैं बहुत खुश हूं, ये साइंटिफिक जजमेंट है. मेनका गांधी ने आगे कहा कि मैं इस वैज्ञानिक फैसले से बहुत खुश हूं. कुत्तों के काटने का सबसे बड़ा कारण है डर और उनका दूसरी जगह भेजा जाना.
मेनका ने कहा कि कोर्ट ने सही कहा कि रेबीज से संक्रमित कुत्तों को बाहर नहीं छोड़ा जाएगा. लेकिन 'अग्रेसिव डॉग' की परिभाषा तय करनी होगी. कोर्ट ने आदेश दिया है कि पूरे देश में ये लागू होगा और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को अब ABC (एनिमल बर्थ कंट्रोल) सेंटर बनाने होंगे. सरकार ने संसद में पहली बार कहा है कि इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं.
वरुण गांधी ने भी जताई खुशी , कहा 'खुद को गले लगाइए'
पूर्व सांसद वरुण गांधी ने एक्स पर लिखा कि आज हमें सुप्रीम कोर्ट का आभार जताना चाहिए. उसने संवेदनशीलता और बड़े दिल का परिचय दिया है. जो लोग भी इन बेजुबानों के लिए आवाज उठाए, वे खुद को गले लगाएं. आप कमाल हैं.
प्रियंका गांधी ने जताई थी चिंता, कहा- निर्दयी होगा ये कदम
वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स पर लिखा था कि कुछ ही हफ्तों में शहर के सभी कुत्तों को शेल्टर में भेजना बेहद निर्दयी और अमानवीय होगा. इतने शेल्टर हैं ही नहीं. पहले से ही जानवर शहरी इलाकों में बुरी तरह प्रताड़ित होते हैं. इन मासूम कुत्तों को बेहतर और सुरक्षित तरीके से रखा जाना चाहिए. वे बेहद प्यारे और मासूम जीव हैं, उन्हें ऐसी क्रूरता नहीं मिलनी चाहिए.
पहले जताया था विरोध, अब फैसले से मिली राहत
दरअसल, इससे पहले गांधी परिवार के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, वरुण गांधी और मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का विरोध किया था, जिसमें कुत्तों को सड़कों से हटाने को कहा गया था. राहुल गांधी ने तब कहा था कि ये बेजुबान हमारी समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटा दिया जाए. शेल्टर, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल से ही सुरक्षित समाधान मिलेगा.
मेनका गांधी ने भी की थी सख्त आलोचना
मेनका गांधी ने पहले कोर्ट के आदेश को अव्यावहारिक, वित्तीय रूप से असंभव और पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली में 3 लाख कुत्ते हैं. अगर उन्हें हटाना है तो 3,000 पाउंड चाहिए, जिसमें शेड, वॉचमैन, पानी, ड्रेनेज सब चाहिए. इसका खर्च 15,000 करोड़ होगा. दिल्ली के पास इतने पैसे नहीं हैं. ऊपर से हर हफ्ते 5 करोड़ का खर्च आएगा खाने पर. ये फैसला गुस्से में लिया गया लगता है, जबकि महज एक झूठी रिपोर्ट पर केस उठा. उन्होंने यह भी कहा था कि सिर्फ एक महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की एक और बेंच ने इस पर संतुलित फैसला दिया था.
वरुण गांधी ने बताया था क्रूरता का संस्थानीकरण
वरुण गांधी ने शुरुआती आदेश को 'क्रूरता का संस्थानीकरण' बताया था. उन्होंने कहा था कि ये सिर्फ कुत्तों तक सीमित नहीं रहेगा. अगली बारी गायों, गरीबों और अनधिकृत बस्तियों की भी आ सकती है. जब देश करुणा से दूर होता है, तो असली नैतिक संकट सामने आता है.