पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में जहां घमासान शांत नहीं हुआ है, वहीं कांग्रेस में एक और कलह शुरू हो सकती है. इसकी वजह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का वह बयान है, जिसमें उन्होंने अपने ही नेताओं को बीजेपी से डरने वाला और आरएसएस (RSS) समर्थक करार दे दिया है. सवाल यह है कि राहुल के निशाने पर आखिर कांग्रेस के कौन से नेता हैं?
कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल के वॉलंटियर्स को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ''बहुत लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं. वे कांग्रेस के बाहर हैं. वे सब हमारे हैं और उनको अंदर लाना चाहिए. जो हमारे यहां डर रहे हैं उन्हें बाहर निकालना चाहिए. अगर आरएसएस के हो तो जाओ भागो, मजे लो. जरूरत नहीं है तुम्हारी. हमें निडर लोग चाहिए. यह हमारी विचारधारा है.'' इस दौरान राहुल गांधी ने पार्टी से बाहर जाने वाले नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि जिन्हें डर लग रहा है, वे जा सकते हैं.
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि राहुल गांधी ने यह तीखा हमला किस पर किया? क्या वे कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने वाले जी-23 के नेताओं को पार्टी छोड़कर जाने को कह रहे हैं या फिर उनके निशाने पर राहुल गांधी के वे करीबी दोस्त हैं, जोकि अब प्रधानमंत्री मोदी के सिपाही हो गए हैं. इसके अलावा, सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या राहुल गांधी अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं करते?
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राहुल गांधी के बयान के क्या मायने?
आरएसएस से संबंधित राहुल गांधी के बयान के आखिर क्या मायने हैं, इसको समझने के लिए उनके तेवरों को देखना होगा. उन्होंने एक तरफ पार्टी से बाहर निकलने वाले नेताओं पर हमला किया तो दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी से न डरने की सलाह भी दी. उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी पर कोई विश्वास नहीं करता. जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में बेहतरीन काम किया है तो लोग उन पर हंसते हैं. जब पीएम मोदी कहते हैं कि चीन हमारी सीमा में अंदर दाखिल नहीं हुआ है तो लोग उन पर हंसते हैं. हर कोई जानता है. आप लोग सच का साथ दो.
राहुल के करीबी क्यों छोड़ रहे पार्टी?
दरअसल, साल 2019 की हार के बाद से कांग्रेस में सियासी नूराकुश्ती हो रही है. लेकिन सवाल यह है कि राहुल गांधी के करीबी पार्टी छोड़ क्यों रहे हैं. पार्टी छोड़ने वालों में सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. जो संसद से सड़क तक राहुल गांधी के साथ रहते थे. सिंधिया मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी अनदेखी करके कमलनाथ को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की सरकार को गिराकर बीजेपी के रथ पर सवार हो गए. सिंधिया के बारे में राहुल गांधी कह चुके हैं कि सिंधिया कांग्रेस में रहते तो जरूर सीएम बनते. वह बीजेपी के बैकबैंचर बन गए हैं.
कांग्रेस छोड़ने वाले हिमंत बने असम के सीएम
उधर, कांग्रेस भले ही राहुल के बयान का बचाव करे, लेकिन एक सच यह भी है कि कांग्रेस के कई नेता राहुल के नेतृत्व और उनके कामकाज के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए पार्टी से बाहर गए और बीजेपी की ताकत की वजह बने. इसकी सबसे बड़ी मिसाल हिमंत बिस्वा सरमा हैं, जिन्हें राहुल ने समय नहीं दिया. सरमा ने बताया है कि राहुल उन्हें समय देने के बजाए अपने डॉगी से खेलते रहे. साल 2015 कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हिमंत बिस्वा सरमा ने 2016 के असम चुनाव में बीजेपी को मजबूत किया. सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर में बीजेपी के विस्तार के पीछे भी सरमा का ही हाथ है.