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पोलैंड पर रूस की मिसाइल गिरने पर क्या कड़ा रुख अपनाएगा NATO? : आज का दिन, 16 नवंबर

NATO पोलैंड पर हुए हमले पर क्या फैसला लेगा, आजमगढ़ और रामपुर फिर से दोहराना बीजेपी के लिए कितना आसान होगा और विनिवेश के मोर्चे पर फिर पिछड़ेगी सरकार? सुनिए 'आज का दिन' में.

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NATO पोलैंड पर हुए हमले पर क्या फैसला लेगा
NATO पोलैंड पर हुए हमले पर क्या फैसला लेगा

G20 समिट इंडोनेशिया के बाली में चल रहा है. रूस युक्रेन युद्ध इस समिट में चर्चा का केंद्र रहा. लेकिन कल रात ये ख़बर आई कि रूस की मिसाइलें यूक्रेन से निकल कर पोलैंड तक पहुंच गई. भारत में जब देर रात लोग सो रहे थे तब पोलैंड के कई शहरों में ये रॉकेट बरसे. पोलैंड में इन हमलों के बाद आनन फानन में इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई गई. कई रिपोर्ट्स का दावा है कि सौ से ज्यादा रॉकेट  पोलैंड के कई शहरों में गिरी हैं. हालांकि ये भी एक दावा है कि रूस  के ये टारगेट यूक्रेन के शहर थे लेकिन ग़लती से ये रॉकेट पोलैंड में चले गए. इससे पहले युक्रेन की राजधानी कीव में पहले ही रूसी रॉकेट ने कल से ही कहर मचा रखा है. नेटो देश पोलैंड पर रूस के मिसाइल का गिरना क्या बता रहा है, क्या ये रूस-यूक्रेन युद्ध के लिहाज से देखा जाना चाहिये क्योंकि कीव पर भी रूस का हमला हुआ है? 'आज का दिन' सुनने के लिए क्लिक करें. 

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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग हो ही चुकी है. गुजरात के विधानसभा चुनाव अगले महीने होने हैं.इसके अलावा यूपी में तीन सीटों पर उपचुनाव भी है कुछ दिनों में. एक मैनपुरी की लोकसभा सीट है तो रामपुर और खतौली की दो विधानसभा सीटें हैं. समाजवादी पार्टी के बाद बीजेपी ने भी कल इन उपचुनावों के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. पार्टी ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए आकाश सक्सेना, और खतौली विधानसभा उपचुनाव के लिए राजकुमारी सैनी के नाम का ऐलान किया है. कुछ ही दिन पहले रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी की जीत उसे इन चुनावों में भी प्रो एक्टिव रखे हुए है. उधर सपा इस बार फूंक फूंक कर चलना चाहती है. हालांकि खतौली की सीट से सपा ने आरएलडी का कैंडिडेट उतारा है. इन दोनों सीटों के अलावा सपा के गढ़ मैनपुरी में पार्टी ने रघुराज सिंह शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए सपा पहले ही डिंपल यादव के नाम का ऐलान कर चुकी है. बीजेपी के रघुराज को उतारने के पीछे की वजहें क्या हैं और दो विधानसभा सीटें रामपुर और खतौली में मौजूदा समीकरण क्या बयां कर रहे हैं? 'आज का दिन' सुनने के लिए क्लिक करें. 
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किसी भी देश में सरकार के पास आय के कई तरीके हैं. सबसे बड़ा तो है टैक्स. लेकिन एक तरीका और है जिससे सरकारें कोशिश करती हैं कि आर्थिक मामला बैलेन्स्ड बना रहे. इस तरीके को कहते हैं डिसइन्वेस्टमेंट. हिन्दी में इसे कहते हैं विनिवेश. अपने आय को बढ़ाने के लिए सरकारें इसे अपनाती हैं. अपने पास मौजूद संस्थाओं को बेच कर या उसका एक हिस्सा बेचकर.  पिछले साल के बजट में सरकार ने इसके तहत 1 करोड़ 75 लाख करोड़ जुटाने का टारगेट रखा था. लेकिन इस टारगेट का 5 परसेंट भी नहीं जुट पाया. इस साल के टारगेट को घटाया गया और घटा कर 65000 करोड़ कर दिया गया. तब कहा गया कि ये टारगेट तो अचिवेबल है.  और ऐसा कहने के कारण भी थे. एलआईसी का आईपीओ आ रहा था, भारत पेट्रोलियम , एचसीएल - ऐसी तमाम संस्थाओं की हिस्सेदारी बेच कर सरकार कमाने का प्लान कर रही थी. लेकिन अब जब ये साल निकलने में चार महीने बचे हैं. नए बजट की तैयारी शुरू हो गई है. ये टारगेट अब भी सरकार की पहुँच से बाहर दिख रहा है. तो क्या कारण रहे कि सरकार टारगेट कम करने के बावजूद उससे काफी दूर नजर आ रही है? 'आज का दिन' सुनने के लिए क्लिक करें. 

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