प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे. पीएम ने नमो घाट पर काशी तमिल संगमम का शुभारंभ किया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर उद्घाटन किया. उन्होंने कन्याकुमारी और वाराणसी के बीच काशी तमिल संगमम एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई. 17-31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले काशी तमिल संगमम में तमिलनाडु और पुडुचेरी के 1,400 गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे. पीएम ने अपने संबोधन की शुरुआत "हर हर महादेव" के उद्घोष के साथ की. उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु से काशी आने का मतलब, महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर आना है. पीएम ने कहा कि जो लोग तमिलनाडु से आए हैं, उन्हें मेरे भाषण का तमिल अनुवादित संस्करण सुनने के लिए ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए. पहली बार एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
'25 साल में देश विकसित भारत बनके रहेगा'
काशी तमिल संगमम में पीएम के भाषण में उन्होंने एक नया प्रयोग किया. तमिल समझने वाले दर्शकों के लिए भाषिनी के माध्यम से एक साथ एआई आधारित तमिल अनुवाद किया गया. उन्होंने कहा, काशी और तमिल के बीच संबंध भावनात्मक होने के साथ-साथ रचनात्मक भी हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर 140 करोड़ देशवासी इस संकल्प से भर जाएं कि अब देश को आगे ले जाना है, हर एक की जिंदगी बदलनी है. तो अगले 25 साल में देश विकसित भारत बनके रहेगा. हम आज जो बो रहे हैं वह कल वट वृक्ष बन जाएगा. इसकी छाया आपके ही बच्चों को मिलेगी. विकसित भारत संकल्प यात्रा हम सबका बहुत बड़ा संकल्प है, जिसे हमें सिद्ध करना है.
'दुनिया के दूसरे देशों में राष्ट्र एक राजनीतिक परिभाषा रही है'
PM मोदी ने कहा कि दुनिया के दूसरे देशों में राष्ट्र एक राजनीतिक परिभाषा रही है, लेकिन भारत एक राष्ट्र के तौर पर आध्यात्मिक आस्थाओं से बना है. भारत को एक बनाया है आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने, जिन्होंने अपनी यात्राओं से भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया.
उन्होंने कहा, आप दुनिया की कोई भी सभ्यता देख लीजिये, विविधता में आत्मीयता का ऐसा सहज और श्रेष्ठ स्वरूप आपको शायद ही कहीं मिलेगा. अभी हाल ही में G-20 समिट के दौरान भी दुनिया भारत की इस विविधता को देखकर चकित थी. जब उत्तर में आक्रांताओं द्वारा हमारी आस्था के केन्द्रों पर, काशी पर आक्रमण हो रहे थे, तब राजा पराक्रम पाण्डियन् ने तेनकाशी और शिवकाशी में ये कहकर मंदिरों का निर्माण कराया कि काशी को मिटाया नहीं जा सकता.मुझे विश्वास है, काशी-तमिल संगमम का ये संगम, इसी तरह हमारी विरासत को सशक्त करता रहेगा, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत बनाता रहेगा.
पहला जत्था रविवार को वाराणसी पहुंचा
तमिल प्रतिनिधिमंडल का पहला जत्था रविवार को वाराणसी पहुंचा. जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से 'गंगा' नामक छात्रों का एक समूह शामिल है. छह और समूह जिनमें शिक्षक (यमुना), पेशेवर (गोदावरी), आध्यात्मिक नेता (सरस्वती), किसान और कारीगर (नर्मदा), लेखक (सिंधु) और व्यापारी और व्यवसायी (कावेरी) शामिल हैं, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बाद में शहर पहुंचेंगे.
सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अलावा, तमिलनाडु और काशी दोनों की कला, संगीत, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशिष्ट उत्पादों की समृद्ध टेपेस्ट्री को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी एजेंडे में है.
बयान के मुताबिक, कार्यक्रम में काशी और तमिलनाडु की अनूठी परंपराओं को उजागर करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जिसका उद्देश्य इन दोनों क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करना है. काशी तमिल संगमम में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त, नवाचार, व्यापार, ज्ञान विनिमय, एडुटेक और अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी पर सेमिनार की योजना बनाई गई है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय संस्कृति, पर्यटन, रेलवे, कपड़ा, खाद्य प्रोसेसिंग, एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, कौशल विकास और उद्यमिता, आईआरसीटीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों के मंत्रालयों की भागीदारी के साथ इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी है.