जब भी हम बड़े-बड़े हाइवेज पर चलते हैं तो हमें उसके लिए तय राशि देनी पड़ती है. जिसे कि टोल टैक्स के रूप में जाना जाता है. लेकिन कई बार सड़कों की हालत भी ऐसी नहीं होती कि जिनके लिए पैसे दिए जाएं. ऐसे में आजतक ने पड़ताल की कि जिन सड़कों से सरकारों को हज़ारों करोड़ रुपये का टोल टैक्स मिलता है, उन सड़कों की मौजूदा स्थिति क्या है और इन सड़कों पर आखिर इतने गड्ढे क्यों है? पिछले हफ्ते आजतक की टीम ने एक RTI की मदद से ये पता लगाया था कि गुरुग्राम को जयपुर से जोड़ने वाले जिस नेशनल हाइवे नंबर 48 का निर्माण लगभग 1900 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था, उससे सरकार को वर्ष 2009 से सितंबर 2023 के बीच 14 वर्षों में 8 हजार 349 करोड़ रुपये का टोल टैक्स मिल चुका है, जो इस हाइवे की लागत से चार गुना ज्यादा है.
सरकार का कहना है कि इन हाइवेज से उसे टोल टैक्स के रूप में जो पैसा मिलता है, वो पैसा इनकी देखभाल और मरम्मत के साथ देशभर में नए हाइवेज़ और सड़कें बनाने पर खर्च होता है. लेकिन आज हम आपको बताना चाहते हैं कि जिस नेशनल हाइवे नम्बर 48 से सरकार उसकी लागत से चार गुना ज्यादा टोल टैक्स वसूल चुकी है, वो हाइवे इस समय कितनी बुरी स्थिति में है. RTI के मुताबिक, ये हाइवे 6 लेन का है लेकिन हकीकत में ये हाइवे ज्यादातर जगहों पर सिर्फ चार लेन का रह गया है और इस चार लेन के हाइवे पर भी सैकड़ों गड्डे हैं.
मोटा टोल भरने के बाद भी घटिया सड़कों पर चलने को मजबूर लोग
इसके अलावा इसी हाइवे पर गुरुग्राम से जयपुर के रास्ते में कई जगहों पर डिवाइडर्स भी टूटे हुए हैं, जिससे यहां हर दिन औसतन 10 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. अकेले गुरुग्राम में वर्ष 2021 में 874 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 409 लोगों की मौतें हुई थीं और इनमें भी ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं इसी हाइवे पर हुई थी. इसके अलावा इस हाइवे पर कई नए पुल का भी निर्माण हो रहा है, जिनके कारण कई किलोमीटर लंबा जाम लगता है और छह लेन के इस हाइवे पर गाड़ियों के चलने के लिए एक छोटी सी ही सड़क बचती है, जिसकी वजह से लोगों को टोल टैक्स देने के बाद भी काफी संघर्ष करना पड़ता है.
60 किमी के भीतर नहीं होना चाहिए कोई टोल प्लाजा
नियमों के तहत किसी भी हाइवे पर दो टोल प्लाज़ा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए. लेकिन वास्तविकता में इस नेशनल हाइवे पर 'मनोहरपुर और दौलतपुर' टोल प्लाज़ा के बीच 60 किलोमीटर से कम की दूरी है, जो नियमों के विरुद्ध है. ऐसे में हमारी इस रिपोर्ट से समझा जा सकता है कि जिस नेशनल हाइवे के लिए लोग हजारों करोड़ रुपये का टोल टैक्स दे रहे हैं, उसके बदले में उन्हें क्या मिल रहा है.
ऐसे में हमें इन पांच बातों के बारे में भी पता होना चाहिए...
पहली बात- 230 किलोमीटर लम्बे इस नेशनल हाइवे का निर्माण UPA की सरकार में वर्ष 2009 में हुआ था.
दूसरा- जिस कंपनी ने 12 वर्षों तक इस नेशनल हाइवे से टोल टैक्स वसूला, उस कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट भी UPA की सरकार में मिला था और उसी समय से इस हाइवे के निर्माण में कई खामियां थीं, जिसके कारण केन्द्रीय सड़क एंव परिवहन मंत्रालय ने वर्ष 2022 में इस कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द भी कर दिया था. जबकि ये कंपनी अपने कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़वाना चाहती थी.
तीसरा- कुछ जगहों पर ये हाइवे 6 लेन का इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि हरियाणा और राजस्थान की राज्य सरकारें इसके लिए सरकारी जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाई और जब जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ तो हाइवे को 6 लेन बनाने का काम अधूरा रह गया.
चौथा- इस हाइवे पर उन्हीं जगहों पर गड्ढे हैं, जहां हाइवे की मरम्मत और नई सड़कों का निर्माण हो रहा है.
और पांचवां- इस हाइवे पर ट्रैफिक जाम को देखते हुए सरकार ने एक वैकल्पिक एक्सप्रेसवे बनाया है, जो राजस्थान के बांदीकुई से होकर गुजरता है. तो सरकार का इस पर क्या कहना है, वो भी हमने आपको बता दिया है.
और कितने टैक्स भरता है एक वाहन चालक?
चलिए अब आपको ये भी बता देते हैं कि हमारे देश में टोल टैक्स के अलावा भी और कितने टैक्स हैं, जो वाहन खरीदने वाले हर व्यक्ति को भरने होते हैं.
जब आप गाड़ी खरीदने जाते हैं तो आपको उस गाड़ी की वास्तविक कीमत पर 28 पर्सेंट GST देना होता है, जिसमें 14 पर्सेंट GST केन्द्र सरकार को और 14 पर्सेंट GST राज्य सरकारों को मिलता है. अगर आप स्कूटी या बाइक खरीदते हैं तो उस पर भी आपको 28 पर्सेंट GST देना होता है. 28 पर्सेंट GST के बाद गाड़ियों पर 17 पर्सेंट रोड CESS अलग से लिया जाता है और एक पर्सेंट टैक्स ''TCS'' के रूप में वसूला जाता है, जिसे Tax Collected at Source कहते हैं. गाड़ी खरीदते वक्त आपको कार इंश्योरेंस भी लेना होता है, जिस पर 18 पर्सेंट GST अलग से लिया जाता है. और जब आप अपनी गाड़ी का पॉल्युशन सर्टिफिकेट लेने जाते हैं तो इस पर भी आपको 18 पर्सेंट GST देना होता है.
ये सूची यहीं खत्म नहीं होती. इस सबके बाद जब आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल-डीजल डलवाते हैं तो उस पर ज्यादातर राज्यों में 30 से 50 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी और VAT लगता है और ये VAT राज्य सरकारें आपसे वसूलती हैं. इसके बाद आपको कार की सर्विस कराने पर हर बार 18 पर्सेंट GST अलग से देना होता है और अगर किसी हाइवे पर टोल टैक्स देने के बाद खराब सड़क और गड्ढों के कारण आपकी गाड़ी का टायर खराब हो जाता है तो नया टायर खरीदने पर भी आपसे सरकारें 28 पर्सेंट GST वसूलती हैं. और अगर दुर्भाग्यवश किसी व्यक्ति का इन सड़कों पर एक्सीडेंट हो जाता है और उसे अपने उपचार के लिए दवाई खरीदनी पड़ती है तो उन दवाइयों पर भी सरकार 5 से 12 पर्सेंट टैक्स लेती है और इतना टैक्स देने के बाद भी इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आपको जो सड़कें चलने के लिए मिल रही हैं, वो सड़कें सही होंगी और उन पर गड्ढे नहीं होंगी.