भारत में पेगासस जासूसी (pegasus spyware) मामले पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का आदेश आना बाकी है. लेकिन इस बीच कुछ विदेशी संगठनों ने भारत सरकार से इसकी गहनता से जांच कराने की मांग उठाई है. 8 विदेशी संगठनों ने भारत सरकार से मांग की है कि पेगासस जासूसी मामले में तुरंत, स्वतंत्र रूप से, और विश्वसनीय रूप से जांच करवाई जाए. संगठनों द्वारा कहा गया है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के निजता के फैसले का उल्लंघन करता है.
एक्सेस नाउ, इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट, इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इंफॉर्मेशन सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन, पेन अमेरिका, सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी, सिविक्स और ह्यूमन राइट्स वॉच की तरफ से यह मांग की गई है.
सरकार पर पेगागस सॉफ्टवेयर से जासूसी के लगे आरोप
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ का दावा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे. इसमें पत्रकार, विपक्षी-सत्तादल के कुछ नेताओं के नाम भी सामने आए थे. वैश्विक स्तर पर 50 हजार ऐसे नंबर्स की लिस्ट जारी हुई थी, जिनकी कथित तौर पर पेगासस से निगरानी हुई.
पेगासस इजरायल की NSO ग्रुप कंपनी का निगरानी स्पाइवेयर है, जिसे वह सिर्फ अधिकृत सरकारी एजेंसियों को बेचने का दावा करती है. जिस फोन में पेगासस एक बार चला जाता है फिर उसके ईमेल, फाइल, कॉन्टेक्ट लिस्ट, लोकेशन, मेसेज सब पर नजर रखी जा सकती है. इसकी मदद से उस फोन से अपनी मर्जी से ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड भी किया जा सकता है.
विदेशी संगठनों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने जासूसी करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया है. साथ ही कहा है कि जांच सरकार द्वारा बनी कमेटी नहीं स्वतंत्र कमेटी से कराई जानी चाहिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह पेगासस आरोपों की जांच के लिए वह कमेटी बनाने को तैयार है.