PM Modi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान पर चर्चा के बाद बहस का जवाब दे रहे हैं. भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर आज लोकसभा में बहस हो रही है. लोकसभा के बाद 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में बहस होगी. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के कई शीर्ष नेता चर्चा में भाग लिए. लोकसभा में इस मुद्दे पर कई बार हंगामा भी हुआ.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जवाब दिए जाने के साथ संविधान पर विशेष बहस का समापन होगा. गृह मंत्री अमित शाह सोमवार 16 दिसंबर को राज्यसभा में बहस शुरू करने वाले हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने गुरुवार को अपने सांसदों को तीन-लाइन व्हिप जारी किया, जिसमें उन्हें 13-14 दिसंबर को भारत में संविधान पर निर्धारित बहस के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा गया.
1. सभी नागरिक और सरकार अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें.
2. हर क्षेत्र और समाज को विकास का समान लाभ मिले, "सबका साथ, सबका विकास" की भावना बनी रहे.
3. भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए, और भ्रष्टाचारियों की सामाजिक स्वीकार्यता समाप्त हो.
4. देश के कानूनों और परंपराओं के पालन में गर्व का भाव जागृत हो.
5. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले और देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व किया जाए.
6. राजनीति को परिवारवाद से मुक्त कर लोकतंत्र को सशक्त बनाया जाए.
7. संविधान का सम्मान हो और राजनीतिक स्वार्थ के लिए उसे हथियार न बनाया जाए.
8. जिन वर्गों को संविधान के तहत आरक्षण मिल रहा है, वह जारी रहे, लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण न दिया जाए.
9. महिलाओं के नेतृत्व में विकास (Women-led Development) को प्राथमिकता दी जाए.
10. राज्य के विकास के माध्यम से राष्ट्र के विकास को सुनिश्चित किया जाए.
11. "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के लक्ष्य को सर्वोपरि रखा जाए.
पीएम मोदी ने कहा, गरीबों के नाम पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया लेकिन 2014 देश के 50 करोड़ ऐसे नागरिक थे जिन्होंने बैंक की शक्ल नहीं देखी थी. 50 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोलकर के हमने बैंकों के दरवाजे गरीबों के लिए खोले. गरीबी हटाओ इसी कारण जुमला बनकर रह गया. गरीब को इस मुश्किल से मुक्ति मिले ये हमारा मिशन है. जिनको कोई नहीं पूछता उनको मोदी पूजता है.
पीएम मोदी ने कहा कि, 'कांग्रेस का सबसे प्रिय शब्द जिसके बिना वो जी नहीं सकते वो है, जुमला. 'गरीबी हटाओ' कांग्रेस का सबसे पसंदीदा जुमला था. क्या आपको देश में टॉयलेट बनाने की भी फुरसत नहीं मिली. आपने गरीबों को TV में देखा है. अखबार में पढ़ा है. आपको पता ही नहीं कि गरीबी होती क्या है.'
संविधान के साथ खिलवाड़ करना, संविधान की स्पिरिट को तहस-नहस करना ये कांग्रेस की रगों में रहा है. हम भी सौदेबाजी कर सकते थे लेकिन हमने संविधान का रास्ता चुना. अटल जी ने सौदा नहीं किया. उन्होंने 13 दिन बाद इस्तीफ़ा दे दिया. अटल जी ने कभी सौदेबाजी का रास्ता नहीं अपनाया. उन्होंने कहा, "हम भी सौदेबाजी कर सकते थे, लेकिन हमने संविधान का रास्ता चुना. बाजार तब भी लगते थे. खरीद-फरोख्त तब भी होता था. अटल जी ने बाजार और खरीद-फरोख्त के माहौल के बावजूद सौदा नहीं किया. उन्होंने 13 दिन बाद अपनी सरकार का इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वे संविधान और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के प्रति समर्पित थे."
संविधान सभा ने UCC को लेकर लंबी चर्चा की थी. बाबा साहब ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की उन्होंने जोरदार वकालत की थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द से जल्द लाना है. आज कांग्रेस के लोग सुप्रीम कोर्ट की भावना का भी अनादर कर रहे हैं. लोगों को डराने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया जाता है. जो अपनी पार्टी के संविधान को नहीं मानते हैं. ये जिनकी रगों में नहीं है.उनमें केवल सत्तावाद और परिवारवाद भरा पड़ा हुआ है. जो लोग अपनी पार्टी के संविधान को नहीं मानते वो लोग कैसे देश के संविधान को स्वीकार कर सकते हैं. सीताराम केसरी को उठाकर फुटपाथ पर फेंक दिया गया. कहते हैं बाथरूम में बंद कर दिया गया था.
पीएम मोदी ने कहा कि, बाबा साहब को भारत रत्न देने का काम भी तब संभव हुआ जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई. वोटबैंक की राजनीति में डूबे हुए लोगों ने आरक्षण के अंदर नुक्ताचीनी करने का काम किया है इसका सबसे ज्यादा नुकसान एससी-एसटी और ओबीसी का नुकसान किया है. पीएम मोदी ने कहा कि, दशकों तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को डिब्बे में डाल दिया था.
पीएम मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि, 'मुझे यह स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है.' सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है. इतिहास में पहली बार संविधान को ऐसी गहरी चोट पहुंचा दी गई.नैशनल अडवायजरी काउंसिल को पीएमओ के ऊपर बैठा दिया गया. एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे ये कौन-सी व्यवस्था है. कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना किया है. संविधान के महत्व को कम किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि, 'जो परंपरा नेहरू जी ने शुरू की, जिसको इंदिरा जी ने आगे बढ़ाया, राजीव गांधी ने संविधान को एक और गंभीर झटका दे दिया. समानता के भाव को चोट पहुंचाई. भारत की महिला को न्याय देने का काम संविधान की मर्यादा के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया था लेकिन राजीव गांधी ने वोटबैंक की खातिर संविधान की भावना को बलि चढ़ा दिया और कट्टरपंथियों के आगे सिर झुका दिया.
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही और संविधान की आत्मा को लहूलुहान करती रही. 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया. जो बीज देश के पहले पीएम ने बोया था उसको खाद-पानी देने का काम इंदिरा गांधी ने किया. 1975 में 39वां संशोधन किया, राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता है ऐसा प्रावधान किया गया. इमरजेंसी में लोगों के अधिकार छीन लिए गए, न्यायपालिका का गला घोंट दिया गया. कमिटेज जुडिशरी के विचार को उन्होंने ताकत दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान के साथ छेड़छाड़ की और अपनी मनमानी करने के लिए संविधान के मूल भाव को दरकिनार किया. उन्होंने बताया कि संविधान सभा में जो काम नहीं करवा पाए, उसे बाद में पीछे से किया गया. पीएम मोदी ने कहा कि पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी कि अगर संविधान हमारे रास्ते में आए तो हर हाल में उसमें परिवर्तन करना चाहिए. उन्होंने 1951 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय एक पाप किया गया, जब राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने चेतावनी दी थी कि यह गलत हो रहा है. स्पीकर ने भी कहा था कि यह गलत कर रहे हो. पीएम मोदी ने कहा कि यह घटना बताती है कि कांग्रेस ने किस तरह संविधान की मर्यादाओं का उल्लंघन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा कि 55 वर्षों तक एक ही परिवार का शासन रहा, और इसी दौरान संविधान पर लगातार प्रहार किए गए। इस परिवार की कुविचार, कुरीति और कुनीति की परंपरा ने देश को कई मुश्किलों में डाला. पीएम मोदी ने 1951 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, कांग्रेस ने एक अध्यादेश लाकर संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया. उन्होंने कहा कि यह परिवार हर स्तर पर संविधान को चुनौती देता रहा है, और देशवासियों को यह जानने का अधिकार है कि उनके शासनकाल में क्या-क्या हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह संविधान ही है जिसने उन्हें और कई अन्य लोगों को यहां तक पहुंचने का अवसर दिया. उन्होंने कहा, "एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार प्रधानमंत्री बनना संविधान की शक्ति के बिना संभव नहीं था." पीएम मोदी ने कहा कि देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन जनता ने हर चुनौती में लोकतंत्र को मजबूत किया. उन्होंने संविधान निर्माताओं की तपस्या को नमन करते हुए देशवासियों के प्रति आभार जताया और कहा कि यह संविधान हर भारतीय के लिए विशेष आदर का विषय है.
पीएम मोदी ने कहा कि, जब देश संविधान के 50 वर्ष मना रहा था तो ये मेरा भी सौभाग्य था कि मुझे भी संविधान की प्रक्रिया से मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल गया. जब मैंने 26th November को संविधान दिवस मनाने की बात की थी तब एक नेता ने सामने से कहा था, कि '26th January तो मनाते हैं 26th November मनाने की ज़रूरत क्या है?'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जब देश संविधान के 25 वर्ष पूरे कर रहा था, उसी समय संविधान को नोच लिया गया. देश को जेलखाना बना दिया गया और नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के माथे पर ऐसा पाप है जो कभी धुल नहीं सकता. पीएम मोदी ने संविधान निर्माताओं की तपस्या का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी मेहनत को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई. यह लोकतंत्र और संविधान के साथ विश्वासघात था.
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय ऐसा था जब देश के एक हिस्से में बिजली होती थी लेकिन सप्लाई नहीं हो पाती थी. वन नेशन, वन ग्रिड ने इस समस्या को दूर करते हुए पूरे देश में बिजली आपूर्ति को सुचारू और प्रभावी बनाया. प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी ने देश की आर्थिक एकता को मजबूत किया है. इससे भारत में एक साझा बाजार का निर्माण हुआ है, जिससे व्यापार और उद्योग को नई गति मिली है. डिजिटल क्षेत्र में समानता पर बल देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज का युग बदल चुका है. हम नहीं चाहते कि डिजिटल क्षेत्र में "हैव्स और हैव्स नॉट्स" (विभाजित समाज) की स्थिति बने. डिजिटल क्रांति के माध्यम से हर व्यक्ति को समान अवसर देने का प्रयास किया जा रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि, हम विविधता को celebrate करते हैं लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे. ऐसे लोग विविधता में ऐसे जहरीले बीज बोने के प्रयास करते रहे जिससे एकता को चोट पहुंचे. आर्टिकल 370 देश की एकता में रुकावट बना हुआ था, इसलिए धारा 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में भारत की एकता और अखंडता पर जोर देते हुए कहा कि संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता भारत की एकता है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश की एकता पर विकृत मानसिकता और स्वार्थ की राजनीति के कारण गंभीर प्रहार किए गए. पीएम मोदी ने कहा, "हमारी संस्कृति और परंपरा में विविधता को सेलिब्रेट करने की परंपरा है, लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने हमेशा विविधता में विरोधाभास खोजने की कोशिश की."
प्रधानमंत्री ने कहा, "आजादी के बाद विकृत मानसिकता या स्वार्थ के चलते सबसे बड़ा प्रहार देश की एकता और अखंडता पर हुआ." उन्होंने यह भी कहा कि देश को इन चुनौतियों से उबरने और एकजुट रहने की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि देश की प्रगति और विकास की कुंजी उसकी एकता में निहित है. उन्होंने कहा कि जब देश एकजुट होकर काम करता है, तो हर चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है.
प्रधानमंत्री ने देश की तेज आर्थिक प्रगति पर जोर देते हुए कहा, "आज भारत तेज गति से विकास कर रहा है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा." उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि हर भारतीय की मेहनत और दृढ़ संकल्प का नतीजा है. प्रधानमंत्री ने कहा, "महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है. जब नारी शक्ति आगे बढ़ेगी, तो देश हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुएगा." पीएम मोदी ने कहा, "हमारा लोकतंत्र और हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. भारत का भविष्य उज्ज्वल है, और यह विकास यात्रा अनवरत जारी रहेगी."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह अधिनियम महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी में अधिक अवसर देने के लिए मील का पत्थर साबित होगा. पीएम मोदी ने कहा, "भारत ने शुरुआत से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया. आज, संसद में महिला सांसदों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम इसी दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है."
पीएम मोदी ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को उसकी संस्कृति का हिस्सा बताते हुए कहा, "भारत का लोकतंत्र बहुत समृद्ध रहा है. यह हमारी संस्कृति और परंपरा में गहराई से निहित है." उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है. प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत ने 75 साल में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं. लोकतंत्र ने हमें हर चुनौती को पार करने और आगे बढ़ने की ताकत दी है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकसभा में अपने संबोधन में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करते हुए उनके योगदान को याद किया. पीएम ने भारत की लोकतांत्रिक यात्रा और इसकी उपलब्धियों को असाधारण बताया. पीएम मोदी ने कहा, "राजर्षि टंडन और बाबा साहेब अंबेडकर जैसी महान विभूतियों ने भारत की लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. उनका योगदान अमूल्य है." प्रधानमंत्री ने 75 साल की लोकतांत्रिक यात्रा को देश के नागरिकों की महान उपलब्धि बताते हुए कहा, "मैं इस महान उपलब्धि के लिए देश के नागरिकों को नमन करता हूं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर अपने संबोधन में कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और हमारा गणतंत्र पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने कहा, "यह हमारे लोकतंत्र के उत्सव को मनाने का अवसर है. भारत का नागरिक हर कसौटी पर खरा उतरा है और हमारे लोकतंत्र की सफलता का आधार रहा है."
लोकसभा में शीतकालीन सत्र जारी है. इस दौरान संविधान के 75 वर्ष के मौके पर संविधान पर चर्चा चल रही है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में पहुंचे हैं, जहां सदस्यों ने उनका जोरदार स्वागत किया. सदन में प्रधानमंत्री का स्वागत 'भारत माता की जय' के नारों के साथ किया गया, जिससे पूरा संसद परिसर गूंज उठा. थोड़ी देर में वह लोकसभा को संबोधित करेंगे.
गृहमंत्री अमित शाह ने संसद भवन में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से महत्वपूर्ण मुलाकात की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू भी उनके साथ मौजूद रहे.
सांसद अल्फ्रेड आर्थर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल किया, "हमारे प्रधानमंत्री, जिन पर मैंने भी विश्वास किया, वे आज तक मणिपुर के लोगों के प्रति जवाबदेह क्यों नहीं हैं? क्या मणिपुर के नागरिक इस देश के नागरिक नहीं हैं?" उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर के लोग न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में पारदर्शिता दिखाएं. आर्थर ने संसद में जोर देकर कहा, "मैं न्याय की मांग करता हूं. मणिपुर के लोगों के लिए सरकार को जवाबदेह होना चाहिए. यहां के नागरिकों ने हमेशा देश के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है, लेकिन उन्हें अधिकार और सम्मान से वंचित किया जा रहा है."
सांसद अल्फ्रेड आर्थर ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के बजट में कटौती पर भी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा, "इस योजना का बजट काटकर मणिपुर के लोगों को काम करने के लिए मजबूर किया गया. इससे गरीब ग्रामीण मजदूरों की आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा है." आर्थर ने रक्षा मंत्री से अपेक्षा की कि वे मणिपुर के लोगों से माफी मांगें. उन्होंने कहा, "कम से कम रक्षा मंत्री से उम्मीद थी कि वे मणिपुर में निर्दोष नागरिकों की हत्या पर खेद व्यक्त करेंगे. लेकिन आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. क्या हमें इस देश का हिस्सा नहीं माना जाता?"
संसद में मणिपुर के बाहरी क्षेत्र से सांसद अल्फ्रेड आर्थर ने एक भावुक संबोधन में मणिपुर की मौजूदा स्थिति और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए. उन्होंने राज्य में विशेष बलों द्वारा छह नागरिकों की कथित हत्या और एनआरईजीए (मनरेगा) के बजट में कटौती जैसे मुद्दों को उठाया. साथ ही प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से मणिपुर के लोगों के प्रति जवाबदेही की मांग की. सांसद अल्फ्रेड आर्थर ने आरोप लगाया कि मणिपुर में विशेष बलों ने खदान से लौट रहे छह निर्दोष नागरिकों को मार दिया. उन्होंने इसे "नागरिक अधिकारों का खुला उल्लंघन" और "राज्य प्रायोजित हिंसा" करार दिया. आर्थर ने कहा, "क्या हम इस देश का हिस्सा नहीं हैं? क्या हमारे जीवन का कोई मूल्य नहीं है?"
ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को अपने प्रभाव और ताकत के बल पर छीनने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, "आपकी मंशा वक्फ संपत्तियों को छीनने की है. यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है." उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है. ओवैसी ने कहा कि वक्फ बोर्ड धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए संपत्तियों का उपयोग करता है, लेकिन सरकार इसे खत्म करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया.
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए वक्फ संपत्तियों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. ओवैसी ने कहा, "अनुच्छेद 26 धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए संस्थान स्थापित और उनका प्रबंधन करने का अधिकार देता है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि वक्फ का संविधान से कोई संबंध नहीं है. उन्हें कौन सिखा रहा है? प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 26 पढ़ाया जाना चाहिए."
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी यह भी नहीं बता पाए कि भारतीय संविधान में कुल कितने पन्ने हैं.ठाकुर ने कहा, "ये जो किताब (संविधान) दिखाते हैं, इनको यह भी नहीं पता कि इस किताब में पन्ने कितने हैं. कभी राहुल जी इस किताब को खोलकर पढ़ तो लो." यह टिप्पणी राहुल गांधी द्वारा संविधान की आलोचना और सावरकर के विचारों का हवाला देने के बाद की गई, जब उन्होंने संसद में संविधान की भारतीयता पर सवाल उठाए थे.
राहुल गांधी ने अपने हाथ में संविधान की किताब पकड़े हुए सावरकर को कोट किया और कहा, "आपके नेता ने (सावरकर) कहा था कि भारत के संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है." उन्होंने कहा, "आप इनकी (सावरकर की) प्रशंसा झिझकते हुए करते हैं क्योंकि आपको ऐसा करना पड़ता है." इसके बाद राहुल गांधी ने मनुस्मृति और संविधान दोनों किताबों को दिखाया और कहा, "भारत का संविधान भारतीय नहीं है, जिस किताब से भारत चल रहा है, उसे इस किताब से बदल दिया जाना चाहिए."
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में संविधान पर अपनी टिप्पणी में कहा कि भारतीय संविधान हमारे देश की एकता और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, जो महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचारों से प्रेरित है. उन्होंने कहा, "संविधान में हमारे देश के विचारों का एक सेट है, जो महादेव, गुरु नानक और बसवन्ना से आया है." राहुल गांधी ने अपने भाषण में अभय, निडरता, अहिंसा और सत्य के बारे में बात की, जो उन्होंने पिछले कुछ दिनों में उल्लेख किया था. इस दौरान, उन्होंने संसद में भगवान के विभिन्न चित्र भी दिखाए थे.
लोकसभा में शनिवार को संविधान पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ. असल में डीएमके सांसद ए. राजा ने अपने भाषण में कहा कि 1947 में देश के विभाजन की दो-राष्ट्र सिद्धांत की शुरुआत वीर सावरकर ने की थी, न कि मुहम्मद अली जिन्ना ने. उनका यह बयान सुनते ही सदन में हंगामा मच गया. इससे पहले, ए. राजा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि "भाजपा संविधान में बदलाव करेगी और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करेगी." इस बयान पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आपत्ति जताई और ए. राजा से अपने दावे को प्रमाणित करने को कहा. जोशी ने कहा, "आपके पार्टी के उपाध्यक्ष ने चुनावों से पहले कहा था कि अगर भाजपा को 400 सीटें मिलती हैं, तो वे संविधान में बदलाव करेंगे और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करेंगे."
इसके अलावा, ए. राजा ने एनडीए सांसदों को "Bad Elements" करार दिया
लोकसभा में शनिवार को जमकर हंगामा हुआ जब केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने डीएमके सांसद ए. राजा के बयान पर आपत्ति जताई. ए. राजा ने दावा किया था कि भाजपा ने कहा था कि वह संविधान में संशोधन कर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करेगी. इस पर प्रह्लाद जोशी ने कहा, "किसने यह बयान दिया? वह इसे प्रमाणित करें. ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है. वह सदन को गुमराह कैसे कर सकते हैं?" जोशी ने कहा कि "किसी ने भी ऐसा बयान नहीं दिया, और यह गुमराह करने वाला बयान है." हंगामे के दौरान ए. राजा ने कहा, "आपके पार्टी के उपाध्यक्ष ने चुनावों से पहले कहा था कि अगर भाजपा को 400 सीटें मिलती हैं, तो वे संविधान में बदलाव करेंगे और देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करेंगे."
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान पर चल रही बहस के दौरान कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, "आपने संविधान को मारा, आपने संविधान की प्रस्तावना को बदला।" रिजिजू ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, "आर्टिकल 356 (राष्ट्रपति शासन) को कांग्रेस ने 132 बार लागू किया."
रिजिजू ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "आप हम पर संविधान को मारने का आरोप लगाते हैं, लेकिन असल में आपने ही संविधान पर हमला किया, इसे मारा." उन्होंने यह भी कहा, "आपने संविधान की प्रस्तावना को बदला और संविधान की आत्मा को ही बदल दिया." रिजिजू के इस बयान से संविधान की रक्षा और उसके मूल्यों पर चल रही राजनीतिक बहस और तेज हो सकती है.
रिजिजू ने कहा कि, 'अंबेडकर ने कहा था कि पंडित नेहरू ने पिछले 20 वर्षों में 2000 भाषण दिए, लेकिन एक बार भी अनुसूचित जातियों के कल्याण के बारे में बात नहीं की." रिजिजू ने आगे कहा, "इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी को हमारे लोगों के प्रति कितनी सहानुभूति है. नेहरू ने हमेशा मुसलमानों के लिए बात की, लेकिन दलितों के लिए नहीं." उन्होंने यह भी कहा कि पंडित नेहरू आरक्षण को एक अस्थायी उपाय मानते थे. रिजिजू ने जोर देते हुए कहा, "संविधान पर चर्चा करते समय अंबेडकर की सोच और उनके योगदान की बात करना जरूरी है."
लोकसभा में भारतीय संविधान की 75 वर्षों की यात्रा पर हो रही चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की दलितों और आरक्षण के प्रति सोच पर सवाल उठाए. रिजिजू ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा, "अंबेडकर ने कहा था कि पंडित नेहरू ने पिछले 20 वर्षों में 2000 भाषण दिए, लेकिन एक बार भी अनुसूचित जातियों के कल्याण के बारे में बात नहीं की."
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया. रिजिजू ने कहा, "कांग्रेस की नीति सीमा क्षेत्रों में सड़कें न बनाने की थी. उनकी सोच थी कि अगर सड़कें बनेंगी, तो चीनी सेना उन्हीं सड़कों से आकर हमारी जमीन पर कब्जा कर लेगी." उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा, "उस समय मेरा गांव दो सप्ताह तक चीनी नियंत्रण में था. कांग्रेस ने हमारे लिए सड़कें नहीं बनाईं, खासतौर पर नॉर्थ-ईस्ट इंडिया के लिए बिल्कुल नहीं."
रिजिजू ने बताया कि उन्होंने एक ऐसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ने का फैसला किया जो राष्ट्रवादी हो और भारत की हर इंच जमीन की रक्षा करने का साहस रखती हो.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस की सरकार हो या हमारी सरकार सबने अपने तरीके से काम किया है. मगर अल्पसंख्यक यहां सुरक्षित नहीं है, ये कहना गलत है. रिजिजू ने कहा कि देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं तभी तो लोग यहां आते हैं. अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर सीमावर्ती क्षेत्रों पर अनदेखी का आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान मेरा गांव दो हफ्ते तक चीनी नियंत्रण में था.
लोकसभा में भारतीय संविधान की 75 वर्षों की यात्रा पर हो रही चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की दलितों और आरक्षण के प्रति सोच पर सवाल उठाए. रिजिजू ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा, "अंबेडकर ने कहा था कि पंडित नेहरू ने पिछले 20 वर्षों में 2000 भाषण दिए, लेकिन एक बार भी अनुसूचित जातियों के कल्याण के बारे में बात नहीं की."
रिजिजू ने आगे कहा, "इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी को हमारे लोगों के प्रति कितनी सहानुभूति है. नेहरू ने हमेशा मुसलमानों के लिए बात की, लेकिन दलितों के लिए नहीं." उन्होंने यह भी कहा कि पंडित नेहरू आरक्षण को एक अस्थायी उपाय मानते थे. रिजिजू ने जोर देते हुए कहा, "संविधान पर चर्चा करते समय अंबेडकर की सोच और उनके योगदान की बात करना जरूरी है."
सदन में संविधान पर चर्चा शुरू हो चुकी है. संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को इसकी शुरुआत की है. पीएम मोदी लोकसभा में शाम करीब 5.45 बजे बोलेंगे. पीएम मोदी के अलावा और कौन-कौन से नेता लोकसभा में अपने विचार रखने वाले हैं, इसकी लिस्ट आ गई है. राहुल गांधी भी आज संविधान पर चर्चा करेंगे.
-राहुल गांधी,
-सुप्रिया सुले,
-तेजस्वी सूर्या
- पीएम मोदी
लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है. शाम में पीएम मोदी लोकसभा में चर्चा पर जवाब देंगे. विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी आज सदन में अपनी बात रख सकते हैं. अभी सदन में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान गौरवशाली अतीत का प्रतिबिंब है. बाबासाहेब के विचारों को समझना जरूरी है. संविधान ने अधिकार के साथ दायित्व भी सौंपा. संविधान के एक-एक शब्द प्रेरणादायी है. समानता संविधान की आत्मा जैसा है.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लोकसभा में "भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा के दौरान भाषण देंगे. यह ऐतिहासिक चर्चा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा कल शुरू की गई थी. चर्चा आज सुबह 11 बजे से शुरू हुई. प्रधानमंत्री का संबोधन इस महत्वपूर्ण अवसर पर संविधान के मूल्यों, लोकतंत्र और विकास के सफर को रेखांकित करेगा.
लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन आज शाम करीब 5 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान के 75 साल के उपलक्ष्य पर बोल सकते हैं. विपक्ष इस दौरान हंगामा कर सकता है.
लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है. आज प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में बहस का जवाब देंगे. सदन में आज भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर बहस होगी. दो दिवसीय बहस से पहले पीएम मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की, जिसमें शाह व सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए. विपक्षी दल कांग्रेस ने भी पार्टी मुख्यालय में एक रणनीति बैठक की. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी रणनीति तैयार की.