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Exclusive: 'बिना लोकल इनपुट के मुमकिन नहीं था पहलगाम अटैक', आतंकियों के मददगार OGW का पहली बार ऑन कैमरा कुबूलनामा

OGW ने बताया कि ये काम किसी पर भरोसा कर चुनने से शुरू होता है. आतंकी अपने सर्किल से ऐसा युवक चुनता है जो मानसिक रूप से तैयार हो, डरता न हो और उनकी मदद कर सके. हमें कहा जाता था कि जो बोला जाए, वो हर हाल में करना है. इंटरव्यू में युवक ने कहा कि OGW, सेना और पुलिस की मौजूदगी की खबर आतंकियों तक पहुंचाते हैं ताकि वे सही वक्त पर हमला कर सकें.

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आतंकियों के मददगार ऑन ग्राउंड वर्कर (OGW) ने पहलगाम अटैक को लेकर खोला बड़ा राज.
आतंकियों के मददगार ऑन ग्राउंड वर्कर (OGW) ने पहलगाम अटैक को लेकर खोला बड़ा राज.

पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए जांच एजेंसियों ने अलग-अलग जिलों में OGW (Over Ground Workers) की तलाश तेज कर दी है. जांच एजेंसियों ने त्राल और अनंतनाग के विभिन्न इलाकों से कई OGW को हिरासत में लिया है. ये वही इलाके हैं, जहां से आतंकियों को खाने-पीने की चीजें, रहने की जगह और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी दी जाती है.

आजतक ने साउथ कश्मीर में एक ऐसे OGW से बातचीत की, जिसने कैमरे पर पहली बार कबूल किया कि कैसे वह आतंकियों के इशारे पर महीनों तक उनके लिए काम करता रहा, जिसमें उनके लिए खाना पहुंचाना, मूवमेंट में मदद करना और सबसे अहम, फौज की तैनाती की जानकारी देना शामिल था. साथ ही OGW ने स्वीकार किया कि बिना ओवर ग्राउंड वर्कर के कहीं भी हमला नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमले के लिए इलाके की जानकारी होना जरूरी है.

कैसे बनते हैं OGW?

OGW ने बताया कि यह काम किसी पर भरोसा कर चुनने से शुरू होता है. आतंकी अपने सर्किल से ऐसा युवक चुनता है जो मानसिक रूप से तैयार हो, डरता न हो और उनकी मदद कर सके. हमें कहा जाता था कि जो बोला जाए, वो हर हाल में करना है. इंटरव्यू में युवक ने कहा कि OGW, सेना और पुलिस की मौजूदगी की खबर आतंकियों तक पहुंचाते हैं ताकि वे सही वक्त पर हमला कर सकें.

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पहलगाम अटैक में OGW की भूमिका पर क्या बोले?

उसने साफ कहा कि OGW के बिना कोई भी आतंकी हमला संभव नहीं है. पहलगाम अटैक की प्लानिंग में भी OGW की भूमिका रही होगी. उसने बताया कि कैसे 5-6 OGW पहले से इलाके में मौजूद रहते हैं और आतंकियों को टूरिस्ट मूवमेंट, फोर्स डिप्लॉयमेंट और रास्तों की जानकारी देते हैं.

ब्रेनवॉश और भर्ती की कहानी

इस OGW का दावा है कि 2015 में एक पाकिस्तानी आतंकी ने सोशल मीडिया के जरिए संपर्क किया और BBM जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप के जरिए लगातार संपर्क में रहा. धीरे-धीरे उसे आतंकी गतिविधियों से जोड़ा गया. "पहले खाना पहुंचाने का काम मिला, फिर हथियार और फिर ग्रेनेड अटैक का काम मिला." उसने बताया कि वह एक बार पकड़ा गया, नाबालिग होने के कारण सजा कम हुई और आज वह जेल से छूटने के बाद पछताता है.

जंगलों में आतंकी कैसे छिपते हैं?

OGW ने बताया कि कश्मीर के जंगलों में छिपे आतंकी जमीन के नीचे हाइडआउट बनाकर रहते हैं. वहां 2-3 दिन का खाना लेकर जाते हैं और जरूरत पड़ी तो OGW मदद करने पहुंच जाते हैं.

युवाओं को संदेश

इंटरव्यू के अंत में उसने कश्मीरी युवाओं को एक स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, 'इन सब चीजों में मत पड़ो. या तो मारे जाओगे या जेल जाओगे. अगर जिंदगी बचानी है तो इस रास्ते से बाहर निकलो.'

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मारे जा चुके हैं 13-14 दोस्त

शख्स ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि उसके दो दोस्त अभी-भी ऑन ग्राउंड में आतंकी हैं, जबकि उसके 13-14 दोस्त एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं. साथ ही उसने खुलासा किया कि उसके इलाके में अभी-भी दो ओजीडब्ल्यू हैं, बाकी इलाकों में भी ओजीडब्ल्यू  हैं.

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