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मॉनसून सत्र में विपक्ष का जोरदार हंगामा, तीखी नोकझोंक के बीच कई विधेयक पारित...पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर नहीं हो सकी चर्चा

विपक्षी दल द्वारा SIR के मुद्दे पर सदन के अंदर और बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन मॉनसून सत्र पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया. सरकार ने विपक्ष के इस रवैए पर निराशा जताई है तो विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल पर बिना किसी बहस के जबरदस्ती कानून पारित करने का आरोप लगाया है.

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हंगामे की भेंट चढ़ा मॉनसून सत्र. (photo: ITG)
हंगामे की भेंट चढ़ा मॉनसून सत्र. (photo: ITG)

संसद का मॉनसून सत्र 2025 लगभग पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया, क्योंकि विपक्ष ने SIR के मुद्दे पर सदन के अंदर और बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन किया. सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर अड़ा रहा, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुए और विधायी कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं हो सकी. हालांकि, सरकार लोकसभा और राज्यसभा में कई विधेयकों को पारित कराने में सफल रही.

पूरे सत्र के दौरान सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर पर ही संरचित चर्चा हो सकी, जबकि कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों सदनों में हंगामे के कारण विधायी कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं हो सकी, जिसमें सरकार द्वारा प्रस्तावित विकसित भारत 2047 के लिए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर विशेष चर्चा शामिल थी.

सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों के इस व्यवहार पर सरकार ने निराशा व्यक्त की है, जिसके कारण ना केवल संसदीय बहसें ठप हुईं, बल्कि उनके सदस्यों को कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में भाग लेने का मौका भी नहीं मिला.

हंगामे के बावजूद, सरकार लोकसभा और राज्यसभा में कई विधेयकों को पारित कराने में सफल रही. इनमें से कई विधेयक बिना चर्चा के या हंगामे के बीच संक्षिप्त बहस के बाद पारित हो गए, जबकि विपक्षी सांसद नारेबाजी करते रहे और सदन से वॉकआउट किया या चर्चा में भाग लेने से इनकार कर दिया.

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लोकसभा में पारित विधेयक

लोकसभा में कुछ विधेयकों पर सीमित चर्चा के बाद पारित किया गया, जिसमें गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक 2025, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक 2025, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 शामिल हैं.

वहीं, शेष विधेयक बिना किसी चर्चा के पारित किए गए जो निचले सदन में व्यवधान की गंभीरता को दर्शाता है.

राज्यसभा में पारित विधेयक

राज्यसभा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला. ऊपरी सदन में बिल्स ऑफ लैंडिंग बिल 2025 एकमात्र ऐसा विधेयक था जो पहले दिन बिना किसी हंगामे के पारित हुआ.

इसके बाद के सभी विधेयक या तो हंगामे के बीच या विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन के बाद पारित किए गए, जिनमें समुद्र द्वारा माल ढुलाई विधेयक 2025, तटीय नौवहन विधेयक 2025, मणिपुर वस्तु और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025, मणिपुर विनियोग (संख्या 2) विधेयक 2025, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025, गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक 2025, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025, आयकर विधेयक 2025, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं.

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विपक्ष ने लगाया गंभीर आरोप

इसके अलावा सरकार ने संवैधानिक दायित्वों का हवाला देते हुए हंगामे के बीच विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया, जबकि विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ दल पर बिना बहस के कानूनों को जबरदस्ती पारित करने का आरोप लगाया. संसदीय पर्यवेक्षकों ने नोट किया कि ये सत्र ट्रेजरी और विपक्षी बेंचों के बीच गहराते गतिरोध को उजागर करता है. कराधान, खेल शासन, उच्च शिक्षा और नौवहन सुधारों जैसे दूरगामी परिणामों वाले महत्वपूर्ण विधेयक बिना किसी जांच पड़ताल के पारित कर दिया.

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