मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल को मंजूरी दे दी. सूत्रों का कहना है कि सरकार अगले हफ्ते इसे सदन में पेश कर सकती है. विधेयक के पटल पर आने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है. विपक्ष 'एक देश-एक चुनाव' को लेकर सरकार पर निशाना साधना है.
'वन नेशन-वन इलेक्शन' के विरोध में उतरा विपक्ष
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा, 'देश को 'वन नेशन वन एजुकेशन', 'वन नेशन वन हेल्थकेयर सिस्टम' की जरूरत है न कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' की. बीजेपी की प्राथमिकताएं गलत हैं.'
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बिल के विरोध में लिखा, 'केंद्रीय कैबिनेट ने संसद में एक कठोर 'एक देश एक चुनाव' विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है. यह अव्यवहारिक और अलोकतांत्रिक कदम क्षेत्रीय आवाजों को मिटा देगा, फेडरेलिज्म को खत्म कर देगा और गवर्नेंस को बाधित कर देगा. आइए हम भारतीय लोकतंत्र पर इस हमले का अपनी पूरी ताकत से विरोध करें.'
लोगों को बताएं वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
सूत्रों की मानें तो कैबिनेट मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल से जुड़े टेक्निकल इशू पर ब्रीफ किया. पीएम मोदी ने कहा कि जनता के बीच में जाकर लोगों को वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे बताएं कि कैसे ये बिल जनता के लिए लाभकारी है. इसको लेकर लोगों में जागरूकता फैलाएं.
जेपीसी के पास भेजा जाएगा बिल
कैबिनेट की मंजूरी के बाद सबसे पहले जेपीसी की कमेटी का गठन किया जाएगा और सभी दलों के सुझाव लिए जाएंगे. अंत में यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा. इससे पहले रामनाथ कोविंद की कमेटी ने सरकार को एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
सूत्रों का कहना है कि लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की योजना बना रही है. जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की जरूरत पर जोर देगी.