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मणिपुर के मुद्दे पर संसद में जोरदार हंगामा, विपक्ष PM के बयान पर अड़ा तो सरकार ने साफ किया रुख

इस बार का सत्र मणिपुर के मुद्दे के आसपास ही केंद्रित है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर बहस को लेकर अड़ा हुआ है तो सत्ता पक्ष भी कह रहा है कि हम बहस को तैयार हैं. बाबजूद इसके सदन में कोई सार्थक चर्चा के बिना ही सदन को स्थगित कर दिया गया.

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राज्यसभा में भी हंगामा, AAP सांसद संजय सिंह को किया गया सस्पेंड
राज्यसभा में भी हंगामा, AAP सांसद संजय सिंह को किया गया सस्पेंड

संसद का सत्र चल रहा हो और हंगामा न हो, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. इन दिनों भी संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही की शुरुआत तो होती है, लेकिन बिना किसी सार्थक बहस के हर रोज सदन को स्थगित कर दिया जा रहा है. इसकी वजह है हंगामा. सदन की कार्यवाही हर दिन हंगामे की भेंट चढ़ जाती है. इस मानसून सत्र की शुरुआत से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार कई बिल पेश करेगी. सार्थक बहस होगी और कोई नतीजा निकलेगा. कांग्रेस ने भी अपने मुद्दों की एक लिस्ट गिनाई थी. सरकार की ओर से UCC को लेकर चर्चा थी. लेकिन हकीकत और उम्मीदों में जमीन-आसमान का फर्क साफ नजर आ रहा है. 

इस बार का सत्र मणिपुर के मुद्दे के आसपास ही केंद्रित है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर बहस को लेकर अड़ा हुआ है तो सत्ता पक्ष भी कह रहा है कि हम बहस को तैयार हैं. बाबजूद इसके सदन में कोई सार्थक चर्चा के बिना ही सदन को स्थगित कर दिया गया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश का साफ कहना है कि पहले प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे को लेकर संसद में बयान दें उसके बाद इसपर चर्चा होगी. 

'पहले पीएम बयान दें फिर होगी चर्चा'

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, मानसून सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार INDIA दलों की मणिपुर में 3 मई के बाद की स्थिति पर प्रधानमंत्री के विस्तृत बयान की मांग नहीं मान रही है. INDIA की स्पष्ट मांग है - पहले प्रधानमंत्री सदन में बयान दें, उसके बाद इसपर चर्चा हो. INDIA की सभी पार्टियां सिर्फ मणिपुर ही नहीं वास्तव में पूरे देश के लोगों की भावनाओं को सामने रख रही हैं. कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री सदन में बयान देने से आखिर क्यों भाग रहे हैं?

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'ये ट्विटर पर चर्चा की दुहाई देते हैं...'

तो वहीं इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह ने बहुत शालीनता के साथ विपक्ष द्वारा उठाई जा रही चर्चा की मांग को स्वीकार किया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने खुद विपक्ष से चर्चा को सुचारू रूप से चलाने के लिए बारंबार अनुरोध किया, लेकिन जिनका ऐजेंडा सिर्फ राजनीति हो, उन्हें राष्ट्र-नीति की बात कभी समझ नहीं आती है. जो विपक्ष टीवी और ट्विटर पर चर्चा की दुहाई देता रहता है, सदन में वही विपक्ष चर्चा के हर प्रयास विफल करने पर उतरा हुआ है. जनता देख रही है कि विपक्ष का असल सरोकार सत्य जानना नहीं, बल्कि राजनीतिक रोटियां सेंकना मात्र है.

सच्चाई सामने आना जरूरी- अमित शाह

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में कहा भी कि हम सदन में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह मणिपुर की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा करने के इच्छुक हैं और आश्चर्य है कि विपक्ष इसके लिए तैयार क्यों नहीं है. लोकसभा में संक्षेप में बोलते हुए उन्होंने विपक्षी नेताओं से बहस की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए कहा कि मणिपुर मुद्दे पर देश के सामने सच्चाई आना जरूरी है. 

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हंगामा शुरू और सदन स्थगित

मणिपुर मुद्दे पर पहले के तीन स्थगन के बाद दोपहर 2.30 बजे जैसे ही सदन दोबारा शुरू हुआ, शाह ने कहा कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के नेता मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करना चाहते थे. लेकिन जब विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री के बयान की मांग करते हुए अपना विरोध जारी रखा, तो स्पीकर ओम बिरला ने कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

'वे चर्चा नहीं हंगामा चाहते हैं'

इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि साफ है कि बीजेपी विरोधी विपक्ष को मणिपुर पर संसद में बहस का डर है. उनकी पहली मांग थी कि PM मोदी अपनी चुप्पी तोड़ें और राज्य में संकट पर बयान दें. पीएम ने दिया बयान. फिर उन्होंने संसद को बाधित कर दिया क्योंकि वे मणिपुर पर बहस लंबित रहने तक अन्य सभी कामकाज निलंबित करना चाहते थे. इसे सरकार ने मान लिया है और गृह मंत्री को उस बहस का नेतृत्व करना है. अब वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जब आंतरिक शांति और सुरक्षा गृह मंत्रालय का क्षेत्र है तो प्रधानमंत्री को संसद में बयान देना चाहिए. सच तो यह है कि विपक्ष के पास मणिपुर पर बहस करने की हिम्मत नहीं है. वे संसद की पवित्रता में विश्वास नहीं रखते और बहस में सफल होने का आत्मविश्वास नहीं रखते. उनका उद्देश्य शुद्ध और सरल रूप से संसद को नष्ट करना है. अव्यवस्थित आचरण के लिए निलंबन से वे शर्मिंदा नहीं हैं क्योंकि यह संस्था और उनके अपने मतदाताओं के प्रति उनकी अवमानना ​​है जिन्होंने उन्हें लोकतंत्र के मंदिर में अपने प्रतिनिधियों के रूप में चुना है.

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AAP नेता संजय सिंह को किया सस्पेंड

बताते चलें कि राज्यसभा में भी इस मुद्दे को लेकर भारी हंगामा हुआ और आप सांसद संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए सदन से स्थगित कर दिया गया. इसके बाद संजय सिंह संसद में गांधी मूर्ति के सामने धरने पर बैठ गए. राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संजय सिंह के सस्पेंशन पर कड़ा विरोध जताते हुए ट्विटर पर लिखा. 

उन्होंने कहा, मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने ऐसा कौन सा अपराध किया है, जो उन्हें  सस्पेंड किया गया. क्या चर्चा की मांग करना अपराध है, क्या मणिपुर के लोगों की आवाज उठाना अपराध है. मणिपुर की बेटियों की चीखें भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कानों तक पहुंचाना अगर अपराध  है, तो संजय सिंह ही नहीं पूरे विपक्ष को सस्पेंड करिए. 

SC पहुंचा मणिपुर का मुद्दा

बताते चलें कि 4 मई को मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मणिपुर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और हिंसा की शीघ्र और निष्पक्ष जांच की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में  याचिका दायर की गई है. इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज  की अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई है. याचिका के मुताबिक कोर्ट राज्य में हुए यौन उत्पीड़न की घटनाओं, कानून और व्यवस्था की वर्तमान स्थिति की जांच चार हफ्ते में पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश पारित करे. साथ ही ऐसे मामलों की सीबीआई से जांच कराने के आदेश भी दे. 

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वकील विशाल तिवारी ने अपनी इस याचिका में ललिता कुमारी के मामले में निर्धारित कानून का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य एजेंसियों को 'कर्तव्य में लापरवाही' के लिए निर्देश जारी करने की भी मांग की है. याचिका में दलील दी गई है कि मणिपुर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की रोकथाम और सुधार में कोई भागीदारी नहीं होने के कारण मणिपुर में महिलाओं पर यौन हमले, बलात्कार, छेड़छाड़, गोलीबारी, बम विस्फोट, दंगों के मामले सामने आए हैं.

CJI ने लिया स्वत: संज्ञान
 
दरअसल वायरल वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अदालत को अवगत कराने को कहा था. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एसजी तुषार मेहता को तलब करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने घटना के संबंध में गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकारों को अल्टीमेटम दिया था कि या तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, वरना अदालत दखल देगी. 

इस घटना को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताते हुए सीजेआई ने आगे कहा था कि लैंगिक हिंसा को कायम रखने के लिए सांप्रदायिक संघर्ष के क्षेत्र में महिलाओं को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और अतिक्रमण है. उन्होंने कहा था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वीडियो हालिया है या मई का है.

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