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मुंबईः वैक्सीन के ट्रायल के दूसरे डोज के लिए नहीं आए 6 वॉलंटियर्स

मुंबई के केईएम अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि साइन अप करते समय वॉलंटियर्स के पास हमेशा पीछे हटने का एक विकल्प होता है. हम ऐसे मामलों को 'ड्रॉप आउट' कहते हैं और अगर वे पीछे हटने का फैसला लेते हैं तो उन्हें किसी भी तरह से मजबूर नहीं किया जाता है.

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मुंबई में क्लीनिकल ट्रायल के दौरान 6 लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया (सांकेतिक-पीटीआई)
मुंबई में क्लीनिकल ट्रायल के दौरान 6 लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुंबई के 2 अस्पतालों में वैक्सीन के लिए हुई क्लिनिकल टेस्टिंग
  • केईएम अस्पताल के 101 वॉलंटियर्स में से 6 ने अधूरा छोड़ा ट्रायल
  • नायर अस्पताल में सभी 148 वॉलंटियर्स ने टेस्टिंग ट्रायल में भाग लिया

मुंबई के केईएम अस्पताल और बीएल नायर अस्पताल में पिछले हफ्ते ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लिनिकल टेस्टिंग के तहत दो डोज दिए गए थे, लेकिन अब यह पता चला है कि केईएम अस्पताल में कुल 101 वॉलंटियर्स में से 6 ने ट्रायल के दौरान दूसरा डोज लिया ही नहीं.

केईएम अस्पताल प्रशासन ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि 6 वॉलंटियर्स ने दूसरा डोज क्यों नहीं लिया. यह पूछे जाने पर कि क्या डर या चिंता की वजह से लोगों ने ट्रायल में हिस्सा नहीं लिया, एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं लगता क्योंकि वे खुद ही आगे आए थे और स्वयंसेवा कर रहे थे.

आजतक/इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए नाम नहीं छापने की शर्त पर केईएम अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि साइन अप करते समय वॉलंटियर्स के पास हमेशा पीछे हटने का एक विकल्प होता है. हम ऐसे मामलों को 'ड्रॉप आउट' कहते हैं और अगर वे पीछे हटने का फैसला लेते हैं तो उन्हें किसी भी तरह से मजबूर नहीं किया जाता है.

यह पूछे जाने पर कि इस तरह के मामले में क्या सामान्य प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, डॉक्टर ने कहा कि वे 'ड्रॉप आउट' के संपर्क में हैं. उनके हटने के कारणों के बारे में खुलासा नहीं किया जा सकता यह बेहद गोपनीय है.

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हालांकि, बीएल नायर अस्पताल में सभी 148 वॉलंटियर्स ने टेस्टिंग ट्रायल में हिस्सा लिया. यहां अस्पताल प्रशासन ने कहा कि डोज के लिए प्रशासन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब तक किसी में भी इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया है और वॉलंटियर्स के स्वास्थ्य पर जांच जारी है.

वॉलंटियर्स पर कोई दबाव नहीं

आजतक/इंडिया टुडे से बात करते हुए डॉक्टर रमेश भारमल ने कहा कि अस्पताल प्रशासन वॉलंटियर्स को टेस्ट में शामिल होने के लिए दबाव नहीं बना सकता. उन्होंने कहा, 'यह आश्चर्य का विषय है कि कुछ वॉलंटियर्स जो हिम्मत के साथ शुरुआती चरणों में टेस्टिंग के लिए आए थे, अब केईएम अस्पताल नहीं आए. यह उनके लिए बहुत अच्छा होता अगर वे टेस्टिंग प्रक्रिया पूरी कर लेते.'

डॉक्टर रमेश भारमल ने आगे कहा कि टेस्टिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले यह सुनिश्चित करने के लिए सभी तरह की जांच की जाती है कि व्यक्ति फिट है या नहीं. वॉलंटियर्स को हर्ट, लंग या किडनी की किसी तरह की कोई समस्या या किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त नहीं होना चाहिए. यदि कोई महिला वॉलंटियर है तो यह देखा जाता है कि वह गर्भवती नहीं हो. इसलिए वैक्सीन ट्रायल के लिए साइन अप करने से पहले पूरी जांच की जाती है.

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नायर अस्पताल में टेस्टिंग के बारे में बात करते हुए डॉक्टर भारमल ने कहा कि सभी 148 वॉलंटियर्स ने दोनों डोज लिए. उन्होंने कहा कि हमने पहले नायर अस्पताल में 100 वॉलंटियर्स के साथ शुरुआत की, लेकिन फिर सीरम इंस्टीट्यूट के अनुरोध पर हमने 25 और जोड़े. इसके बाद फिर कुछ और को शामिल किया गया जिससे यह संख्या 148 तक पहुंच गई.

ट्रायल की यह प्रक्रिया ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फॉर्मा की दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के साथ संयुक्त रूप से सितंबर के अंतिम हफ्ते में शुरू किया गया था.

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