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MP/MLA आपराधिक केस: SC ने कहा- तेजी से सुनवाई के लिए जारी करेंगे आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसद और विधायक के मामलों पर तेजी से सुनवाई पूरी करने के लिए हम कुछ और आदेश पारित करेंगे. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दूसरे के व्यस्तता की वजह से सुनवाई टालने की मांग की.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसद और विधायक के मामलों पर तेजी से सुनवाई पूरी करने  के लिए हम कुछ और आदेश पारित करेंगे. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दूसरे के व्यस्तता की वजह से सुनवाई टालने की मांग की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताई.

जस्टिस रमन्ना ने कहा कि आपको लंबित चार्जशीट आदि के बारे में काउंटर दाखिल करना था, अभी तक दाखिल नहीं किया. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अगली तारीख तक अतरिक्त हलफनामा दाखिल कर देंगे. कोर्ट मित्र हंसारिया ने कहा कि ऐसे न्यायिक अधिकारी जो मुकदमों का विचार करेंगे, उनको कम से कम 2 साल की अवधि के लिए जारी रहना चाहिए.

कोर्ट मित्र हंसारिया ने कहा कि मामले में देरी की पूरी समस्या अभियोजन पक्ष की उपस्थित नहीं होने के कारण है. हंसारिया ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि राज्य सरकारें इन विशेष अदालतों के लिए नोडल अभियोजन अधिकारी नियुक्त कर सकती हैं, जो समन आदि जैसी कार्रवाइयों के लिए जिम्मेदार हों.

कोर्ट मित्र हंसारिया ने बताया कि केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने सांसद/विधायक को गिरफ्तार नहीं करती. वर्तमान विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों को पूर्व विधायकों के मुकाबले प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि वे कानून निर्माता हैं. अगर उनके खिलाफ हत्या के मामले लंबित हैं, तो उन्हें हमारे लिए कानून नहीं बनाना चाहिए, यह सार्वजनिक हित में है.

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कोर्ट मित्र हंसरिया ने कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निपटारे की जांच करने के लिए महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थानों और राज्य ही हिसाब से महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि  उत्तर प्रदेश, कर्नाटक में विशेष मुद्दे हैं, भोपाल में ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में बेंच का गठन किया गया है. 

कोर्ट मित्र हंसरिया ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट ने सभी जिलों में विशेष अदालत की स्थापना के संबंध में आपत्ति उठाई है. जस्टिस रमन्ना ने कहा कि अब हम लंबी यात्रा कर चुके हैं, अगर मद्रास के हाइकोर्ट को छोड़कर किसी हाइकोर्ट ने विशेष न्यायालयों के गठन के बारे में कोई आपत्ति नहीं की है. हम इसके साथ कुछ समय बाद निपटेंगे.

 

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