
केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व अग्निवीरों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. पूर्व-अग्निवीरों कीरि हैबिलिटेशन और कॉर्डिनेशन प्लान का जिम्मा गृह मंत्रालय को सौंपा गया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 77 की धारा (3) के तहत दिए गए शक्तियों का इस्तेमाल करके 1961 के कारोबार का आवंटन नियम में संशोधन को मंजूरी दी है. यह 381वां संसोधन है और 16 जून (मंगलवार) के प्रभाव में आया है.
इस संशोधन के अनुसार, गृह मंत्रालय को पूर्व अग्निवीरों को राज्य विभाग के अंतर्गत उनके प्रगति के लिए कॉर्डिनेशन प्लान के लिए शामिल कर लिया गया है. इसका उद्देश्य है कि पूर्व अग्निवीरों का भविष्य बेहतर करने में मदद मिले. उनको योजनाओं का लाभ दिया जा सके.

अग्निवीर योजना क्या है?
मोदी सरकार ने जून 2022 में भारतीय सेना में सैन्य भर्ती के लिए एक योजना लाई थी. इसके अंतर्गत युवाओं को चार सालों के लिए अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) पर भर्ती किया जाता है. इन्हीं भर्ती हुए जवानों को अग्निवीर कहा जाता है.
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2025 में इस योजना को लागू हुए 3 साल हो गए हैं. पहले बैच के अग्निवीरों का कार्यकाल का एक और साल बस बचा है. यही वजह है कि सरकार तेजी से अग्निवीरों के फ्यूचर को बेहतर बनाने के लिए काम में जुटी है.
अग्निवीर योजना में पेंशन का प्रावधान नहीं है. 25 फीसदी अग्निवीरों को चार साल बाद स्थायी तौर पर नियुक्ति का मौका मिल सकता है.
इस योजना के तहत भर्ती हुए जवानों को पहले साल वेतन के तौर पर 4.76 लाख रुपये मिलेगा, जो चौथे साल सालाना तौर पर 6.92 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी. चार साल की सेवा पूरी होने के बाद उन्हें 11.7 लाख रुपए की सेवा निधि मिलेगी. खास बात है कि सेवा निधि टैक्स फ्री होगी.