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'दोनों देशों के रिश्ते सामान्य के लिए जरूरी है सीमा पर शांति...' भारत ने LAC को लेकर स्पष्ट किया अपना रुख

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच एक बैठक में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सैनिकों के पीछे हटने को लेकर चर्चा की है. ब्रिक्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से इतर आयोजित इस विचार-विमर्श का उद्देश्य सीमा से जुड़े उन मुद्दों को सुलझाने था जो गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे.

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विदेश मंत्री जयशंकर. (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री जयशंकर. (फाइल फोटो)

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच एक बैठक में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सैनिकों के पीछे हटने को लेकर चर्चा की है. ब्रिक्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से इतर आयोजित इस विचार-विमर्श का उद्देश्य सीमा से जुड़े उन मुद्दों को सुलझाने था जो गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे.

भारत ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में जोर देकर कहा कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले क्षेत्रों में शांति के लिए तत्परता के साथ काम करने और अपने प्रयासों को दोगुना करने पर सहमत हो गए हैं. डोभाल ने चीनी से कहा कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के साथ-साथ एलएसी के प्रति सम्मान बरकरार रखा जाए. दोनों पक्षों को अतीत में दोनों सरकारों द्वारा किए गए प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और समझ का पूरी तरह पालन करना चाहिए.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे इलाके और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.

चीन के बयान में दिखा मतभेद

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वहीं, इसके विपरीत चीन ने अपने बयान में पूरी तरह से पीछे हटने का जिक्र नहीं किया है. वांग यी ने व्यापक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया और दोनों देशों से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे को सही नजरिए से देखें और एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ मतभेदों को दूर करें. उन्होंने सीमा पर विशेष तनावों को दूर किए बिना दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और बीजिंग की कथित स्थिति के साथ बने रहे कि दोनों पक्षों ने नेताओं (प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग) द्वारा बनी सहमति को लागू करने पर सहमति जताई.

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा मामलों पर हाल में हुए विचार-विमर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की और कहा कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हितों में है और क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है. उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने, आपसी समझ और विश्वास बढ़ाने, द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए परिस्थितियां बनाने और इस पर संवाद बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि चीन और भारत को स्वतंत्रता का पालन करना चाहिए, एकता और सहयोग का चुनाव करना चाहिए और आपसी उपलब्धि पर जोर देना चाहिए और आपसी उपभोग से बचना चाहिए. मेरा मानना है कि दोनों पक्षों के पास सही रोशनी में एक-दूसरे को देखने की क्षमता है, एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ मतभेदों को ठीक से हैंडल करते हैं, रचनात्मक सोच के साथ एक-दूसरे के साथ जुड़ने के लिए दो पड़ोसी प्रमुख देशों के लिए सही रास्ता पाते हैं और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ, स्थिर और सतत विकास की राह पर वापस आ गए हैं.

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भारत और चीन के ये अलग-अलग बयान एक बुनियादी डिस्कनेक्ट को दिखाता है, जहां भारतीय सैनिक की वापसी पर ठोस कार्रवाई पर जोर दे रहा है तो वहीं, चीन एलएसी संघर्ष को सुलझाने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्ध होने में असंतुष्ट दिखाई दे रहा है. ये पहली बार नहीं है जब चीनी उदासीन हो गए हों, पहले भी उच्च स्तरीय बैठकों के बाद ऐसी असमानताएं सामने आईं हों.

आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच जून, 2020 से संघर्ष जारी है और सीमा विवाद का समाधान कई बैठकों के बाद भी नहीं हो पाया है. हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई इलाकों क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था. वहीं, भारत ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं होंगे.

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