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पहले IED ब्लास्ट... फिर फायरिंग, मणिपुर आतंकी हमले की Inside Story

अब इस आतंकी हमले के कई ऐसे पहलू भी सामने आ गए हैं जो बताते हैं कि इसे एक तय रणनीति के तहत किया गया था और भारी नुकसान पहुंचाने का उदेश्य था.

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मणिपुर हमले की Inside Details ( सांकेतिक फोटो)
मणिपुर हमले की Inside Details ( सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहले IED ब्लास्ट फिर फायरिंग
  • मणिपुर आतंकी हमले की Inside Story आई सामने

शनिवार को मणिपुर ने अपने राज्य का सबसे बड़ा आतंकी हमला देख लिया. कई सालों बाद ऐसा जानलेवा हमला किया गया कि एक साथ सात लोगों की शहादत हो गई. इसमें भी एक कर्नल और चार जवान शहीद हो गए. वहीं कर्नल की ही पत्नी और बच्चे ने भी दम तोड़ दिया.

अभी के लिए इस हमले की जिम्मेदारी MNPF ने ली है. एक नोट जारी कर सुरक्षाबलों को सलाह भी दी गई है कि वे ऐसे इलाकों में अपने परिवार के साथ ना जाएं. लेकिन अब इस आतंकी हमले के कई ऐसे पहलू भी सामने आ गए हैं जो बताते हैं कि इसे एक तय रणनीति के तहत किया गया था और भारी नुकसान पहुंचाने का उदेश्य था.

मणिपुर हमला कैसे किया गया?

अब जानकारी के लिए बता दें कि ये घटना चुराचांदपुर जिले के सिंघट में हुई जो म्यांमार बॉर्डर से सटा हुआ इलाका है. यहीं पर उग्रवादियों ने असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर IED अटैक किया था. इस हमले को उस समय अंजाम दिया गया जब 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर फॉरवर्ड कैंप से वापस बटालियन मुख्यालय लौट रहे थे. उस समय उनके काफिले में कर्नल त्रिपाठी की पत्नी और बेटा भी मौजूद था. जिनकी इस हमले में मौत हो गई.

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जानकारी के मुताबिक पहले उग्रवादियों ने IED ब्लास्ट किया और उसके बाद काफिले पर फायरिंग भी की. कहा ये भी जा रहा है कि जवाबी फायरिंग में हमलावर उग्रवादियों के भी घायल होने की खबर है. इस हमले में असम राइफल्स के चार जवान घायल हुए थे. उन्हें गोलियां लगी थीं. जिनका अभी अस्पताल में उनका इलाज जारी है.

क्या कोई चीनी कनेक्शन है?

लेकिन इस हमले के बाद से ही अलग-अलग एंगल से जांच शुरू हो गई है. ये तो पता चल चुका है कि इस हमले के पीछे MNPF का हाथा, लेकिन इसमें चीन का भी क्या कोई योगदान रहा, ये साफ नहीं है. इस बारे में रक्षा विशेषज्ञ अनिल गौड़ बताते हैं कि ऐसे हमलों में चीन ट्रेंड है. एम्बुश लगाकर हमले किए जाते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा है कि चीन ने कभी मैकमोहन लाइन को भी नहीं माना है, हमेशा मनमानी वाला रवैया दिखाया है.

अभी के लिए इस उग्रवादी हमले के बाद पूरे इलाके को सेना ने घेर लिया है. और सर्च ऑपरेशन चलाया है. सेना ने कुछ स्थानीय लोगों को हिरासत में भी लिया है और पूछताछ भी की जा रही है.

कौन थे शहीद कर्नल त्रिपाठी?

शहीद कर्नल त्रिपाठी की बात करें तो वे  छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले थे. 41 वर्ष के कर्नल त्रिपाठी ने रीवा सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी. उन्हें डिफेंस स्टडी में M.SC. करने के बाद सेना में प्रमोशन मिला था. कर्नल त्रिपाठी के दादा डॉ. किशोरी मोहन त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनके छोटे भाई अनिल त्रिपाठी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं.

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