मणिपुर में एक नाबालिग बच्ची के साथ घर के भीतर यौन शोषण के मामले में फास्ट-ट्रैक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया है. बुधवार को विशेष सुनवाई (पॉक्सो) मामला संख्या 98/2020 में अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने तीन में से दो आरोपियों को दोषी ठहराया.
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) आरके मेम्चा देवी की अध्यक्षता वाली अदालत ने आरोपी 58 साल के मोइरंगथेम इबोचौ सिंह को अपनी नाबालिग सौतेली बेटी का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 10 के तहत दोषी पाया. अदालत ने माना कि इबोचौ सिंह, जो पीड़िता के सौतेले पिता के रूप में विश्वासपात्र थे, ने बच्ची पर बार-बार यौन उत्पीड़न किया.
अदालत ने पीड़िता की जैविक मां, मोइरंगथेम अंगुलिमा उर्फ अबे देवी को भी अपने पति द्वारा बेटी के यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 21 के तहत दोषी ठहराया. हालांकि, दूसरे आरोपी, 51 साल के हवाईबाम मंगलमजाओ सिंह को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. अदालत ने उनकी जमानत रद्द करने का आदेश दिया.
यह मामला अगस्त 2019 में दर्ज एक प्राथमिकी से उपजा है, जिसमें नाबालिग पीड़िता ने अपनी मां की जानकारी के बिना अपने सौतेले पिता पर लंबे समय तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. जांच से पता चला कि ये हमले वर्षों से चल रहे थे और बच्ची के विरोध के बावजूद, आरोपी ने दुर्व्यवहार जारी रखा.
अदालत ने गवाहों के बयानों, मेडिकल रिपोर्ट और पीड़िता के धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयान की जांच के बाद फैसला सुनाया कि इबोचौ सिंह और अंगुलिमा को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त ठोस और पुष्टिकारी सबूत मौजूद हैं. अदालत ने दोषियों की सजा पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है, जिस पर बाद में सुनवाई होगी.