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लखीमपुर: 'HC ने अहम सबूत नजरअंदाज करके दी आशीष मिश्रा को बेल', SC में बोले मृतक किसानों के परिवार

लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मृतक किसानों के परिवारों की तरफ से वकील ने कहा कि HC ने अहम सबूतों को नजरअंदाज करके आशीष मिश्रा को जमानत दी. फिलहाल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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आशीष मिश्रा टेनी (फाइल फोटो)
आशीष मिश्रा टेनी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आशीष मिश्रा इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी
  • अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है

लखीमपुर हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri violence) में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत कैंसल होगी या नहीं, इसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई में मृतक किसानों के परिवारों की तरफ से पेश वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हाईकोर्ट ने जमानत देने में कई तथ्यों में ध्यान नहीं दिया. वह बोले कि यह हत्या का गंभीर मामला है. सुप्रीम कोर्ट में कुछ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आरोपी की जमानत रद्द की जानी चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि हमें क्या करना है.

दूसरी तरफ यूपी सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani) ने कहा कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर करने का भी कोई मतलब नहीं है, और आशीष मिश्रा से फ्लाइट रिस्क (भागने का खतरा) नहीं है.

सुनवाई में क्या कुछ हुआ

सुनवाई की शुरुआत में एडवोकेट सीएस पांडा ने कहा कि वह आशीष मिश्रा की जमानत को खारिज करने की मांग करते हैं क्योंकि हाईकोर्ट ने कानूनी सिद्धांतों का ध्यान नहीं दिया. इसके बाद सीनियर वकील महेश जेठमलानी बोले कि उनको SIT के सुझाव मिले थे, जिनको राज्य सरकार को भेज दिया गया था और उसपर जवाब आना बाकी है. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि पत्र काफी वक्त पहले दिया गया था लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई और अब और वक्त मांगा जा रहा है.

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जेठमलानी ने कहा कि बेल कैंसल का सुझाव देते हुए गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया था. फिर राज्य सरकार ने सभी गवाहों को पुलिस सुरक्षा दे दी थी. कहा गया कि 97 गवाहों से फोन पर बात की गई, लेकिन किसी ने भी खतरे की बात नहीं की.

मृतक किसानों के परिवारों की तरफ से पेश वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि आशीष के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा धमकी दे रहे थे. उपमुख्यमंत्री का यात्रा मार्ग बदलने के बावजूद आरोपी उस रास्ते पर गया जिस पर किसान थे. दवे ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने विस्तृत तौर पर जांच की. वीडियो और ऑडियो, गवाहों सभी पर गौर किया. दुष्यंत दवे ने कहा कि यह मामला आरोपी कि जमानत खारिज करने के लिए बिलकुल उचित है.

क्या बोले आशीष के वकील

वहीं आशीष के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पुलिस को किसानों की तरफ से दी गई रिपोर्ट में ही कहा गया है कि गोली से एक किसान मरा. तभी हाई कोर्ट ने गोली न चलने की बात कही. लोगों ने यह भी कहा कि आशीष गन्ने के खेत में भाग गया. घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं, धान का था. रंजीत कुमार ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मेरी (आशीष की) जमानत रद्द करेगा तो फिर कौन देगा? मुझे विस्तार से जवाब के लिए 3 दिन का समय दीजिए.

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बता दें कि लखीमपुर खीरी में पिछले साल तीन अक्टूबर को हिंसा हुई थी. तब वहां किसान प्रदर्शन कर रहे थे, इसमें आठ लोग मारे गए थे.

 

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