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LAC विवाद: चीन के विदेश मंत्री को एस जयशंकर की दो टूक- एकतरफा बदलाव भारत को मंज़ूर नहीं

तजाकिस्तान के दुशांबे में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और चीन के समकक्ष वांग यी (Wang Yi) की मुलाकात हुई. करीब एक घंटे तक दोनों की बातचीत हुई और बातचीत का फोकस LAC पर टकराव रहा है. एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से साफ कहा कि LAC के Status Quo में एकतरफा बदलाव भारत को मंज़ूर नहीं है.

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दुशांबे में विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिले. (फोटो-Twitter)
दुशांबे में विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिले. (फोटो-Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दुशांबे में मिले दोनों देशों के विदेश मंत्री
  • अफगानिस्तान में हिंसा में भी हिंसा रोकने की अपील
  • LAC विवाद पर भी हुई चर्चा

तजाकिस्तान के दुशांबे में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और चीन के समकक्ष वांग यी (Wang Yi) की मुलाकात हुई. करीब एक घंटे तक दोनों की बातचीत हुई और बातचीत का फोकस LAC पर टकराव रहा है. एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से साफ कहा कि LAC के Status Quo में एकतरफा बदलाव भारत को मंज़ूर नहीं है. बॉर्डर पर हालात बेहतर होने चाहिए. ये रिश्ते सुधारने के लिए बहुत ज़रूरी है.

इसके अलावा दोनों देश सैन्य स्तर की बातचीत जल्द शुरू करने पर राजी हुए हैं. 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है. लेकिन अप्रैल से अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है.अब विदेश मंत्रियों की मुलाकात से एक रास्ता खुला है. क्योंकि इस वक्त हर तरफ चुनौतियां ही हैं. अफगानिस्तान में हालात बिगड़ गए हैं. ऐसे बिगड़े हालात में बॉर्डर पर टकराव ठीक नहीं है.

LAC पर टकराव के मुद्दे को साल भर से ज़्यादा हो गया. पक्का समाधान नहीं निकल रहा है. दूसरी तरफ अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने से हालात बिगड़ गए. तालिबान ने मार-काट मचा दी है. तालिबान तेज़ी से अफगानिस्तान को अपने कंट्रोल में ले रहा है. 85 प्रतिशत इलाका उनके कब्ज़े में आ गया है. आसपास के देशों में इसी से खलबली मच गई. इसी पर शंघाई सहयोग संगठन की बैठक का फोकस था. भारत ने तो अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है. विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने सीधी बात कही.

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अफगानिस्तान में हिंसा रोकने की अपील

अफगानिस्तान में हिंसा रुकनी चाहिए. नागरिकों पर आतंकी हमले रुकने चाहिए. सभी समुदायों के हित देखने चाहिए. पड़ोसी देशों पर खतरा ना हो. इसे देखना चाहिए. इन चुनौतियों पर गंभीरता से काम करना होगा. हिंसा से सत्ता पर कब्ज़ा करने को दुनिया नहीं मानेगी. अमन के लिए ईमानदारी से बातचीत हो. बातचीत में ईमानदारी ना हो तो बात नहीं बनती. और बिगड़ जाती है. ये सिर्फ तालिबान पर नहीं. ये चीन पर भी लागू होता है. बॉर्डर के टकराव पर चीन ने अब तक यही किया. 11 बार चीन से सैन्य बातचीत हो चुकी है. 12वीं बातचीत की तैयारी है. लेकिन बातचीत बहुत सफल नहीं रही. बॉर्डर पर लगातार तनाव है.

चीन के दोबारा घुसपैठ की खबरें खारिज

बता दें कि कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि पूर्वी लद्दाख में चीन ने फिर घुसपैठ की कोशिश की. लेकिन भारतीय सेना ने तुरंत ऐसे दावों को गलत बताया है. सेना ने ये कहा कि पूर्वी लद्दाख में ना तो कोई घुसपैठ हुई. ना ही झड़प. जिन हिस्सों पर विवाद है, उन पर भारत-चीन की बातचीत चल रही है. चीन की गतिविधियों पर भी नज़र रखी जा रही है. इसमें किसी तरह की ढील नहीं है. चीन की हरकतों पर सेना की पूरी नज़र है. क्योंकि चीन ने बार बार भरोसा तोड़ा है. बातचीत में तय बातों को अब तक नहीं माना है.

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वहीं, बॉर्डर पर अगर चीन ने खुद को ताकतवर बनाया है तो भारत ने भी ताकत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भारत हर तरीके से खुद को तैयार कर चुका है. इसलिए टकराव के रास्ते पर चलकर कुछ हासिल नहीं होने वाला. चीन को ये बात समझनी होगी. और भारत ने ये उसे अच्छे से समझा भी दिया है.
(आजतक ब्यूरो)


 

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