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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे सबरीमाला मंदिर, भगवान अयप्पा के किए दर्शन

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए. उन्हें विधि विधान के साथ पूजा की. इस दौरान उनके बेटे भी साथ में मौजूद रहे. 

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे सबरीमाला मंदिर
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे सबरीमाला मंदिर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राज्यपाल के छोटे बेटे कबीर भी थे साथ में
  • आज रात सन्नीधनम में ही रुकेंगे राज्यपाल
  • राज्यपाल ने की भगवान अयप्पा की पूजा

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आज रविवार को सबरीमाला मंदिर पहुंचे. इस दौरान उनके छोटे बेटे कबीर मुहम्मद खान भी साथ थे. उन्होंने यहां भगवान अयप्पा के दर्शन कर पूजा की. इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे, तो वहीं कोविड गाइडलाइन का पालन भी किया गया. 

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शाम को लगभग पांच बजे पम्बा से चढ़ाई शुरू की, जिसके बाद वे 7 बजे तीर्थस्थल पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना की. राज्यपाल आज रात सन्नीधनम में ही रुकेंगे और कल यहां से वापस गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे. बता दें कि केरल विधानसभा चुनाव में सबरीमला का मुद्दा खूब सुर्खियों में रहा.

ये है पूरा मामला  
2 जनवरी 2019 को सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कि मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाएं जा सकती हैं, पुलिस की मदद से दो महिलाओं ने यहां प्रवेश किया था. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में सात जजों की बेंच से यह तय करने को कहा था कि सिर्फ वर्षों पुरानी परंपरा का हवाला देकर क्या पूजास्थलों में प्रवेश से महिलाओं को वंचित किया जा सकता है. 

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कई लोग मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 को लागू करने क्रम में पुलिस के दो महिलाओं को अपने संरक्षण में वहां प्रवेश कराने के प्लान को मंजूर देकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रणनीतिक भूल कर दी थी. तब चालीस के आसपास की उम्र की बिंदु अम्मिनी और कनक दुर्गा को पुलिस संरक्षण में मंदिर के भीतर प्रवेश कराया गया था. 

हालांकि इस कदम का महिला कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया लेकिन यह लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार के लिए उल्टा पड़ गया. भाजपा और संघ परिवार ने इसके खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया था. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इस अवसर को भुनाते हुए पिनराई सरकार पर हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के लिए खतरा पैदा करने का आरोप लगाया था. 

 

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