scorecardresearch
 

करगिल के 24 साल: टाइगर हिल की वो रात जब देश के जांबाजों ने दुश्मन ही नहीं मौसम को भी मात दी

यूं तो करगिल की युद्ध गाथा काफी लंबी है. करीब 3 महीने तक चले इस युद्ध में देश के कई सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन इस पूरी जंग में एक अहम भूमिका टाइगर हिल की भी रही. पढ़ें टाइगर हिल जैसी ऊंची चट्टान का भारतीय सैनिकों से कैसे हुआ मुकाबला...

Advertisement
X
24वां करगिल विजय दिवस मना रहा देश
24वां करगिल विजय दिवस मना रहा देश

दुनिया में अब तक जितने भी युद्ध लड़े गए, उनमें से सबसे कठिन एक युद्ध भारत ने भी लड़ा. साल 1999 था. यही मई से जुलाई के बीच का महीना था. यह वो युद्ध था, जब दुनिया ने शांतिप्रिय भारत के वो तेवर देखे, जिनसे वो दुश्मनों का नामोनिशान मिटा सकता था. 84 दिनों तक चले इस युद्ध की कहानी आज से 24 साल पुरानी है, तो चलिए युद्ध की जीत और सैनिकों की शौर्य गाथाओं को समझने से पहले 24 साल पहले का ही एक फ्लैशबैक जान लेते हैं. इस फ्लैशबैक को 3 चैप्टर्स में समझिए.

पहला चैप्टर- घुसपैठ

दूसरा चैप्टर- युद्ध

तीसरा चैप्टर- विजय 

भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो पाक ने की घुसपैठ

जहां एक ओर भारत लाहौर बस सेवा के जरिए अपने पड़ोसी मुल्क से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा था तो, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान करगिल क्षेत्र में ऊंची चोटी पर घुसपैठ को अंजाम देने की कोशिश में जुटा था. वो 3 मई 1999 की तारीख थी. एक चरवाहे ने हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों को करगिल की चोटियों पर देखा. इस चरवाहे ने ये जानकारी भारतीय सेना के अधिकारियों को दी. उसके बाद 5 मई को भारतीय जवानों को वहां भेजा गया. इस दौरान भारतीय सेना के 5 जवान शहीद हो गए. पांच जवानों की शहादत के बाद ही इस जंग का आधिकारिक आगाज हुआ. 

...गोलियों की तड़तड़ाहट काफी दूर तक सुनाई दी

घुसपैठ के बाद दूसरे चैप्टर पर आते हैं. इस जंग का दूसरा चैप्टर युद्ध था. भारत के तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की जनता के सामने स्पष्ट किया कि वे पाकिस्तान की गद्दारी का जवाब जरूर देंगे. फिर भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की.

Advertisement

18,000 फीट की ऊंचाई पर 84 दिनों तक यह युद्ध चला. इन 84 दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों पर करीब 2.5 लाख गोले दागे. इस दौरान 300 से ज्यादा तोप, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर से हर रोज औसतन 5000 से ज्यादा फायर किए गए. इस लड़ाई के सबसे अहम 17 दिनों में हर रोज एक मिनट में करीब एक राउंड फायर किए गए. 

करगिल की सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि दुश्मन ऊपर पहाड़ों पर बैठा था और भारतीय सैनिक नीचे थे. ऐसे दुश्मनों से निपटने के लिए भारतीय सेना के लिए सबसे ज्यादा मददगार हथियार बोफोर्स तोपें ही थीं. इन तोपों की खासियत थी कि ये काफी ऊंचाई वाले टारगेट पर भी गोले दाग सकती थीं. बोफोर्स वजन में बहुत हल्की थीं. मई में शुरू हुआ युद्ध अब जून महीने तक पहुंच गया.

इस युद्ध में एक अहम तारीख 9 जून साबित हुई. 9 जून से ही भारतीय सैनिकों ने प्रमुख चोटियों पर पकड़ मजबूत बताने हुए जीत की शुरुआत कर दी थी. तब तक देश अपने 527 सैनिकों की शहादत देख चुका था. 

जब शान से लहराया विजयी तिरंगा

इसके बाद युद्ध के तीसरे चैप्टर यानी विजय पर आते हैं. युद्ध में भारतीय सैनिकों के प्रहार इतनी तेज थे कि पाकिस्तानी सैनिकों को संभलने का मौका तक नहीं मिला था. इस युद्ध में पाकिस्तान ने अमेरिका और चीन जैसे देशों से मदद मांगी लेकिन दोनों ही देशों ने किसी भी मदद के लिए साफ इनकार कर दिया.

Advertisement

युद्ध में खुद को परास्त होता देख तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से युद्ध विराम की अपील कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाली चोटियों पर तिरंग लहराना शुरू कर दिया था. इसके बाद 26 जुलाई का दिन आया और भारत ने इस युद्ध को पूरी तरह जीत लिया. 24 साल पहले लड़े गए इस युद्ध में कई ऑपरेशन चलाए गए, लेकिन उनमें भी भारतीय सेना के लिए सबसे ज्यादा खास था टाइगर हिल फतह करना.

सबसे अहम जीत- टाइगर हिल

दरअसल, युद्ध के दौरान दुश्मन टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे थे. इस दौरान वे लगातार बमबारी और गोलियां चला रहे थे. यह पोस्ट देश के लिए बेहद महत्व रखती है. इसपर दुश्मन का कब्जा लगातार बने रहने का मतलब था कि भारतीय सरजमीं पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों की आसानी से पहुंच हो जाना. इसमें कोई शक नहीं है कि करगिल युद्ध में टाइगर हिल्स पर विजय हासिल करना ही सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था. एक वक्त ऐसा आ गया था, जब तोतोलिंग और उसके आसपास की दूसरी पहाड़ियों से दुश्मनों को धकेल दिया गया था, लेकिन टाइगर हिल्स पर कब्जा जमा पाना असंभव सा लग रहा था. लेकिन फिर भी देश के जांबाज डंटे रहे.

Advertisement

टाइगर हिल्स को वापस भारत के कब्जे में लेने के लिए भारतीय सैनिकों ने एक स्ट्रैटजी बनाई. इसके तहत भारतीय हवाई जहाजों ने पहले दुश्मन की स्थिति का जायजा लिया. हवाई जहाज की मदद से भारतीय सैनिकों ने ये अंदाजा लगा लिया था कि दुश्मन कहां छिपे हैं. इस युद्ध की भारतीय जवानों की टुकड़ियां मौके को भांपते हुए अलग-अलग दिशाओं से आगे बढ़ रही थीं. टाइगर हिल फतह करना इतना चुनौती भरा था कि भारतीय सेना को तमाम कोशिशों के बावजूद भी कुछ खास नतीजे मिल नहीं रहे थे. तभी 41 फील्ड रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर ने तोप के गोले दागने का प्लान बनाया.

टाइगर हिल्स पर सटीक गोले दागने के लिए भारतीय सेना ने बोफोर्स तोप का इस्तेमाल किया. हिंदुस्तान ने मोर्टार और मध्यम दूरी की तोप 122 एमएम मल्टी बैटल ग्रेड लॉन्चर से दुश्मनों पर हमला बोल दिया. जहां एक ओर थल सेना तोप के जरिए हमला बोल रही थी तो वहीं, इंडियन एयर फोर्स ने भी दूसरी तरफ से पाक सैनिकों पर हमला बोल दिया. टाइगर हिल्स पर मौजूद दुश्मनों को भारतीय वायुसेना ने 2-3 जुलाई के बीच निशाना बनाना शुरू कर दिया. 

एक रात ऐसी आई जब सैनिकों ने दुश्मन और मौसम दोनों को मात दी...

सबसे कठिन चोटी कही जाती है टाइगर हिल
सबसे कठिन चोटी कही जाती है टाइगर हिल

टाइगर हिल्स उत्तर से दक्षिण तक 1000 मीटर और पश्चिम से पूरब तक 2200 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. पाकिस्तान सेना की 12वीं इंफेंट्री की करीब एक कंपनी टाइगर हिल्स के हिस्से पर तैनात थी और ऊपर से ही भारतीय सेना पर गोले बरसा रही थी. भारतीय सैनिकों की मुश्किलें बढ़ रही थीं, तभी 3 जुलाई 1999 को खराब मौसम और अंधेरे के बीच भारतीय सेना ने चढ़ाई शुरू की. रणनीति के मुताबिक सेना के जवान अंधेरे का फायदा उठाकर लगातार आगे बढ़ रहे थे. इस खराब मौसम में सैनिकों का सिर्फ एक ही मकसद था. दुश्मनों के करीब पहुंचना. 

Advertisement

कठिन मौसम की चुनौतियों से निपटते हुए सेना की मेहनत रंग लाई और 4 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने टाइगर हिल टॉप को तीन तरफ से घेर लिया और भीषण गोलीबारी हुई. कहते हैं कि 4 जुलाई ऐसा दिन था जब दिन या रात की परवाह किए बगैर देश के जांबाज लड़ते रहे और इस दिन युद्ध 24 घंटे तक चला था. इसके बाद भारतीय सैनिक 5 और 6 जुलाई को जंग लड़ते-लड़ते इसी पोस्ट पर अपनी पकड़ मजबूत बनाते रहे और चोटी तक पहुंचने की कोशिश करते रहे.

चोटी पर ऊपर बैठे दुश्मन को आभास हो गया था कि भारतीय सैनिक उनके नजदीक आते जा रहे हैं तो 6 जुलाई को सुबह 6 बजे, दुश्मन ने बहुत भारी तोपों से गोले दागने शुरू कर दिए. दिन भर भीषण लड़ाई चलती रही. भारतीय सैनिकों फिर भी डंटे रहे और फिर बहादुरी से जवाबी कार्रवाई करते हुए पूरी बाजी पलट दी.

इसके बाद यानी 7-8 जुलाई 1999 की रात को भारतीय सैनिकों ने धावा बोलते हुए 8 जुलाई को 8 बजे तक रिवर्स स्लोप्स, कट और कॉलर के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया. इसका मतलब था कि अब टाइगर हिल पूरी तरह से भारत के कब्जे में था.  

टाइगर हिल पर फहराया तिरंगा

टाइगर हिल पर फहराया तिरंगा
टाइगर हिल पर फहराया तिरंगा

इसके बाद दिल्ली को टाइगर हिल्स पर फतह के बारे में जानकारी दी गई. खबर की पुष्टि हो जाने के तुरंत बाद तत्कालिन जनरल मलिक ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र ओट प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी को इसकी सूचना दी. टाइगर हिल्स पर फतह के बाद भारतीय फौज ने दक्षिण-पश्चिमी टास्ते से आगे बढकर दुश्मन को दूसरी चोटियों से भी खदेड दिया था. 

Advertisement

यूं तो करगिल की युद्ध गाथा काफी लंबी है. करीब 3 महीने तक चले इस युद्ध में देश के कई सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन इस पूरी जंग में एक अहम भूमिका टाइगर हिल की भी रही. टाइगर हिल और इस पूरे युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की शहादत को पूरा देश नमन करता है. 

Advertisement
Advertisement