नाम, पहचान, रुतबा, पैसा और ऐशो आराम के साथ देश-दुनिया की सैर...किसे ये ख्वाहिश नहीं होती? फिर अगर इनफ्लूएंसर या यूट्यूबर की राह पर चल पड़ो तो इसमें फॉलोअर्स और सब्सक्राइबर्स की ख्वाहिश और जुड़ जाती है. पल-पल की अपडेट और रील की दुनिया में खोने वाले लोग अक्सर रील और रियल लाइफ के बीच संतुलन की पगडंडी भूलने लगते हैं. हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर जासूसी के आरोप को लेकर पूछताछ और छानबीन जारी है. ज्योति के केस में आई अब तक की अपडेट कहीं न कहीं इस ओर इशारा करती है कि सोशल मीडिया में छाने की ख्वाहिश के बीच सही-गलत का चुनाव कितना जरूरी हो जाता है.
हरियाणा के हिसार की एक साधारण सी लड़की ज्योति मल्होत्रा का यूट्यूब चैनल 'ट्रैवल विद जो' कभी लाखों फॉलोअर्स की वजह से चर्चा में था. आज एक गंभीर आरोप की वजह से सुर्खियों में है. ज्योति पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का इल्जाम है. 33 साल की ये ट्रैवल ब्लॉगर अपने वीडियोज में पाकिस्तान की तारीफ करती नजर आती थी, अब देश की सुरक्षा से खिलवाड़ के आरोप में सलाखों के पीछे है. इस बीच सवाल यह है कि आखिर ज्योति इस जाल में कैसे फंसी? लालच, फेम और महत्वाकांक्षा का मानसिक जाल इंसान को कैसे गलत रास्ते पर ले जाता है? आइए मनोविश्लेषकों की राय से इस कहानी को समझते हैं.
ज्योति मल्होत्रा की कहानी, Reel के सपनों से Real की 'जासूसी' तक
Reel से निकलकर अब Real लाइफ में फंस चुकी 'spy' ज्योति मल्होत्रा की कहानी आज जल्द से जल्द फेम पाने की ख्वाहिशमंद इनफ्लूएंसंर्स के सामने बड़ी नजीर है. हिसार के SP शशांक कुमार सावन ने भी दी ज्योति का उदाहरण देते हुए युवाओं को यही नसीहत दी है. ये वो समय है जब वार फेयर के मायने बदल गए हैं. अब डिजिटल दुनिया अगर आपको पल भर में हीरा बना सकती है तो उसे जीरो बनाने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता. इस पूरे mental trap को हमें समझना होगा कि कैसे पाकिस्तानी अधिकारी यूट्यूबर्स या इनफ्लूएंसर को लालच में फंसाकर उनका फायदा उठा सकते हैं.
ज्योति मल्होत्रा एक साधारण परिवार से थीं. हिसार के न्यू अग्रसेन कॉलोनी में 55 गज के घर में पली-बढ़ीं. पहले गुरुग्राम में नौकरी की, फिर कोरोना लॉकडाउन के बाद यूट्यूब पर ट्रैवल व्लॉगिंग शुरू की. उनके चैनल पर 3.81 लाख सब्सक्राइबर्स और इंस्टाग्राम पर 1.32 लाख फॉलोअर्स हैं. उनके वीडियोज जैसे 'इंडियन गर्ल इन पाकिस्तान' और 'इंडियन गर्ल एक्सप्लोरिंग लाहौर' ने खूब सुर्खियां बटोरीं. कहीं न कहीं यही चमक उन्हें गलत रास्ते पर ले गई.
कैसे फंसी पाकिस्तान के जाल में
पुलिस के मुताबिक ज्योति 2023 में वीजा के लिए दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं. वहां उनकी मुलाकात पाकिस्तानी अधिकारी अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई. दानिश ने उन्हें स्पॉन्सर्ड ट्रिप्स पर पाकिस्तान बुलाया. ज्योति ने चार बार पाकिस्तान और एक बार चीन की यात्रा की. व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचैट के जरिए वह दानिश और अन्य पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (PIOs) के संपर्क में थीं. 22 अप्रैल 2025 को पाहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं. पुलिस का दावा है कि ज्योति ने भारत की संवेदनशील जानकारी जिसमें ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारियां शामिल थीं, पाकिस्तान को दीं. उनके मोबाइल और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच चल रही है. अभी तक सैन्य जानकारी लीक होने की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन उनका PIOs से लगातार संपर्क संदेहास्पद है.
हिसार SP की नसीहत- लालच से बचें
हिसार के SP शशांक कुमार सावन ने इस मामले में युवाओं को सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को निशाना बना रही हैं. वे लालच, पैसा और फेम का जाल बुनते हैं. ज्योति को एक 'एसेट' के तौर पर तैयार किया जा रहा था. वो अन्य यूट्यूबर्स के भी संपर्क में थी, जो PIOs से जुड़े थे. SP ने कहा कि कई बार फॉलोअर्स और लाइक्स के चक्कर में लोग सही-गलत का फर्क भूल जाते हैं. SP ने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर मिलने वाले ऑफर्स को सावधानी से जांचें. पाकिस्तान जैसे देश भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए इन्फ्लुएंसर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह भी एक तरह का युद्ध है.
मनोविश्लेषकों से समझें लालच का मानसिक जाल
मनोविश्लेषक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि लालच और फेम की चाहत इंसान के दिमाग को आसानी से भटका सकती है. खासकर युवा इसमें जल्दी ट्रैप हो सकते हैं. ऐसे लोग जो सोशल मीडिया पर तुरंत पहचान चाहते हैं, वो भी इस जाल में आसानी से फंस जाते हैं. ज्योति जैसे लोग जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, अक्सर लग्जरी लाइफ और फेम के सपने देखते हैं. विदेशी ट्रिप्स, स्पॉन्सरशिप और पैसों का लालच उन्हें गलत फैसले लेने को मजबूर कर सकता है. यह एक मनोवैज्ञानिक जाल है, जहां लोग तर्क और नैतिकता को भूल जाते हैं.
हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग की हेड प्रोफेसर डॉ पायल चंदेल कंवर कहती हैं कि सोशल मीडिया ने महत्वाकांक्षा को हवा दी है. लोग फॉलोअर्स और लाइक्स को अपनी कामयाबी का पैमाना मानने लगे हैं. हाल ही में ऐसा केस भी सामने आया था जब एक इनफ्लुएंसर के परिवार से बयान आया था कि उनकी बच्ची ने मन मुताबिक सबस्क्राइबर्स न बनने के चलते सुसाइड कर लिया. पाकिस्तानी एजेंसियां इसी कमजोरी का फायदा उठा लेती हैं. वे पहले दोस्ती का जाल बुनते हैं, फिर छोटे-छोटे फायदे देकर भरोसा जीतते हैं. धीरे-धीरे व्यक्ति उनकी बातों में आकर गलत काम करने लगता है.
कैसे काम करता है यह जाल?
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को निशाना बनाने के लिए सुनियोजित तरीके अपनाती हैं. उनमें
स्पॉन्सर्ड ट्रिप्स, हाई-प्रोफाइल कनेक्शन दिखाकर सोशल मीडिया प्रोपेगैंडा क्रिएट करते हैं. इसके बाद छोटी-छोटी जानकारियां मांगकर वे धीरे-धीरे बड़े सीक्रेट्स तक पहुंचते हैं. ज्योति की गिरफ्तारी ने देश को हिलाकर रख दिया है. यह पहला मामला नहीं है. 15 साल पहले IFS अधिकारी मधुरी गुप्ता भी पाकिस्तानी अधिकारी के प्यार में पड़कर जासूसी के आरोप में पकड़ी गई थीं.
सोशल मीडिया पर सावधानी जरूरी
सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती या संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें.
फेम और लाइक्स के चक्कर में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ न करें, सही गलत का फर्क समझें.
किसी भी विदेशी ऑफर को स्वीकार करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि जांचें. कोई भी राज न दें.
मुफ्त ट्रिप्स या पैसे के ऑफर को सावधानी से जांचें, कोई लालच देकर गलत फायदा न उठाए.