झारखंड विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. सियासी दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बीत आम आदमी पार्टी (AAP) से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, झारखंड विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने कैंडिडेट्स नहीं उतारेगी. महाराष्ट्र के चुनाव में इस बात की संभावना ज्यादा है कि पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी.
सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र में AAP की राज्य इकाई संगठनात्मक विस्तार के लिए लड़ना चाहती है लेकिन शीर्ष नेतृत्व से मंजूरी मिलने की संभावना नहीं है. आलाकमान के द्वारा पार्टी की महाराष्ट्र और झारखंड राज्य इकाइयों से रिपोर्ट मांगी गई है. इस बात की बहुत कम संभावना है कि शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र में कुछ विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमत होगा.
सूत्रों के मुताबिक, AAP की योजना है कि महाराष्ट्र में इंडिया ब्लॉक को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए. पार्टी, महाराष्ट्र में मतदाताओं के मन में और ज्यादा भ्रम पैदा नहीं करना चाहती है.
झारखंड और महाराष्ट्र में कब होंगे चुनाव?
झारखंड में दो चरणों में मतदान होंगे. चुनाव आयुक्त के मुताबिक 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा. वहीं इस राज्य के चुनावी नतीजे भी महाराष्ट्र के साथ भी आएंगे. महाराष्ट्र और झारखंड दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को ही आएंगे. वहीं, महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 को नतीजे आएंगे. राज्य की सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होना है. चुनाव आयोग के मुताबिक नामांकन की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है.
लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधनों की पहली बड़ी फाइट
लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी और कांग्रेस नहीं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच सीधी फाइट होगी. महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना, अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. वहीं, कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टियों का गठबंधन है.
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महाराष्ट्र में एनडीए की ड्राइविंग सीट पर जहां शिंदे की शिवसेना है तो वहीं झारखंड में इंडिया ब्लॉक की अगुवाई झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) कर रही है जिसमें कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियां हैं. इंडिया ब्लॉक के सामने लोकसभा चुनाव के बाद इस पहली बड़ी चुनावी फाइट में जीत के साथ दिल्ली और बिहार चुनाव से पहले जीत का मोमेंटम बरकरार रखने की चुनौती होगी.