कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पार्टी सांसद शशि थरूर पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि 'कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है'. ये बयान तब आया जब केंद्र सरकार ने शशि थरूर को पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद पर भारत की स्थिति को वैश्विक मंचों पर रखने के लिए डेलिगेशन में शामिल किया है.
इस घटनाक्रम के बाद जयराम रमेश ने कहा कि जब किसी सांसद को किसी सरकारी प्रतिनिधिमंडल में भेजा जाता है, तो पार्टी से सहमति लेना एक लोकतांत्रिक परंपरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कांग्रेस से चर्चा किए बिना शशि थरूर का नाम सूची में शामिल किया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गेंद अब सरकार के पाले में है. उन्होंने साफ किया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से हुई बातचीत में थरूर का नाम सामने नहीं आया था.
शशि थरूर की प्रतिक्रिया
शशि थरूर ने सरकार की ओर से मिली जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए X पर लिखा कि सरकार द्वारा मुझे 5 प्रमुख देशों में जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का आमंत्रण मिला, इसके लिए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. जब बात राष्ट्रीय हित की हो और मेरी ज़रूरत हो, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा.
क्या है विवाद की जड़?
बता दें कि संसदीय कार्य मंत्रालय ने इस डेलिगेशन को लीड करने वाले 7 सांसदों की लिस्ट जारी की. जिसमें कांग्रेस के शशि थरूर से लेकर बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय झा, DMK के कनिमोई, NCP (एसपी) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे शामिल हैं. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि थरूर के नाम को लेकर उससे कोई चर्चा नहीं की गई थी. पार्टी ने सरकार से 4 नामों की मांग पर अपने चार नाम भेज दिए हैं, और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि कहीं कांग्रेस ने शशि थरूर को इसलिए तो नहीं छोड़ा क्योंकि वे पार्टी हाईकमान से ज्यादा चमक रहे हैं? किरेन रिजिजू ने एक पोस्ट में थरूर का नाम सूची में होने की पुष्टि करते हुए कहा कि जब देशहित की बात होती है, भारत एकजुट खड़ा होता है. सात डेलिगेशन प्रमुख देशों में भारत का 'आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस' का संदेश लेकर जाएंगे- ये राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और राजनीति से परे है.