जम्मू-कश्मीर को अलगाववाद की आग में झोंकने वाले JKLF का सरगना यासीन मलिक अब जिंदगी भर के लिए सलाखों के पीछे पहुंच गया है. लेकिन यह मुकदमा जांच एजेंसियों के लिए कोई सामान्य केस नहीं था. यासीन मलिक जैसे शातिर को सजा दिलवाना आसान काम नहीं था.
आतंकियों को फंड करने के मामले में दोषी पाए गए यासीन मलिक को इसी केस में दबोचने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 70 जगह छापा मारकर करीब 600 डिवाइस जब्त किए थे. वहीं इसी केस में करीब 48 गवाह बनाए गए थे जिनमें कुछ अहम चश्मदीदों को कोड नेम दिए गए थे जो इस मामले में जांच एजेसियों के लिए सबसे बड़े मददगार साबित हुए.
यासीन मलिक को सजा दिलाने में सबसे बड़े किरदार साबित हुए गवाह 'जैक, जॉन और अल्फा'. बता दें कि ये गवाहों के कोडनेम हैं इनके असली नाम किसी को नहीं पता हैं.
आतंकवाद को पैसे के जरिए मदद पहुंचाने वाले यासीन मलिक को इस अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आईपीएस अनिल शुक्ला को दी गई थी. इसमें उनके साथ थे NIA के उस समय के निदेशक शरद कुमार जो कि पूरे ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे थे.
शरद कुमार का कहना है कि यासीन मलिक को मिली सजा से वो संतुष्ट हैं और यह एनआईए की कड़ी मेहनत का फल है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि खुद को फांसी की सजा बचाने के लिए अदालत में यासीन मलिक ने शातिराना अंदाजा भी दिखाया है. शरद कुमार ने आगे जोड़ा कि कुछ भी हो यासीन मलिक को मिली सजा उन लोगों के लिए एक संदेश है जो देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का सपना देख रहे हैं.
बात करें आईपीएस अनिल शुक्ला की तो वो अभी अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में तैनात हैं. शुक्ला के बारे में बताया जाता है कि कश्मीर घाटी आतंकियों को हो रही फंडिंग पर शिकंजा कसकर पत्थरबाजी की घटनाओं को रोक दिया था. अनिल शुक्ला ने ही गवाहों को विशेष गवाहों की सुरक्षा देने की नीति अपनाई ताकि इस केस में कोई भी कमजोर कड़ी न साबित हो.
यही वजह है कि अदालत में जब यासीन मलिक के खिलाफ आरोप तय किए जा रहे थे तो जज ने जैक, जॉन और अल्फा की बातों पर विश्वास किया. जिन्होंने नवंबर 2016 में सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक के बीच हुई मीटिंग के बारे में बताया जिसमें विरोध प्रदर्शनों और बंद के लेकर प्लान बनाए गए. एक गवाह ने बताया कि गिलानी और यासीन मलिक उसका इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन की तारीखों को मीडिया में छपवाने के लिए करता था.
यासीन मलिक को कश्मीर में आतंकवादियों को फंडिंग करने के मामले में दोषी पाया गया है और उसे अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.