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‘हिंदू’ शब्द किसी धार्मिक विश्वास या पूजा पद्धति तक सीमित नहींः आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर राजनीतिक वर्ग (political class) बुरी तरह से विफल हो गया है तो ये मीडिया का कर्तव्य है कि वो हमसे सवाल करे कि क्या हम संविधान की भावना को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं?

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Arif Mohammed Khan
Arif Mohammed Khan
स्टोरी हाइलाइट्स
  • India Today Conclave 2021 में केरल के राज्यपाल पहुंचे
  • 'अल्पसंख्यक अधिकारों की जरूरत धार्मिक देशों में, यहां नहीं'

India Today Conclave 2021 के 19वें संस्करण के दूसरे दिन शनिवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) ने शिरकत की. उन्होंने देश में 'अल्पसंख्यक मुस्लिमों के प्रश्न पर पुनर्विचार कैसे करें' विषय पर बेबाकी से जवाब दिया. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, "अल्पसंख्यक अधिकारों की जरूरत धार्मिक देशों में है, भारत में नहीं."

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह परिभाषित करने में सक्षम नहीं है कि भारत में कौन अल्पसंख्यक है. अगर राजनीतिक वर्ग (political class) बुरी तरह से विफल हो गया है तो ये मीडिया का कर्तव्य है कि वो हमसे सवाल करे कि क्या हम संविधान की भावना को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं?

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि विभाजन "imaginary Muslim question" के कारण हुआ. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हमने विभाजन से कोई सबक लिया है? लेकिन भारतीय संविधान में हमें ताकत देता है. उसमें अस्पृश्यता के उन्मूलन का उल्लेख है. अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के अंत की घोषणा करता है. भारतीय समाज के सर्वाधिक वंचित समुदायों के साथ समानता के व्यवहार और न्याय का प्रावधान हमारे संविधान में है.

राज्यपाल ने कहा कि ‘हिंदू’ शब्द किसी धार्मिक विश्वास या पूजा पद्धति तक सीमित नहीं है. भारतीय सभ्यता को कभी भी धर्म द्वारा परिभाषित नहीं किया गया था. जब आप हिंदू राष्ट्र कह रहे हैं तो आप वास्तव में इसे मुस्लिम धर्मतंत्र या ईसाई धर्मतंत्र के साथ जोड़ रहे हैं. 

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आगे उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अधिकारों की आवश्यकता है क्योंकि वहां अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है. भारत में संविधान समान अधिकार देता है. भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव की कोई अवधारणा नहीं है."

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने वालों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. हमें यह भावना पैदा करने की जरूरत है कि हमारी पहचान भारतीय है.

तीन तलाक और शाह बानो केस की पैरवी

बता दें कि 2014 में मोदी सरकार के साथ आरिफ मोहम्मद खान बातचीत कर तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जबरदस्त पैरवी की थी.

इस केस में मुस्लिम समाज के दबाव में आकर राजीव गांधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ संबंधी एक कानून संसद में पास करवा दिया, जिसने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया था. इसके बाद आरिफ मोहम्मद खान ने राजीव गांधी के इस स्टैंड के खिलाफ मुखर होते हुए न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि कांग्रेस से अलग हो गए थे. आरिफ मोहम्मद खान राजीव गांधी सरकार में गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं. 

गौरतलब है कि साल 1978 में शाह बानो को उनके पति ने तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया था. शाह बानो समान नागरिक संहिता की दलील लेकर गुजारा भत्ता मांगने के लिए अपने पति के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई थीं.

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