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ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन पर चर्चा, भारत बोला- वोट बैंक की राजनीति न करें

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहस किए जाने पर भारत ने विराध जताया है. दिल्ली में विदेश सचिव ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और ब्रिटिश संसद में भारत में कृषि सुधारों पर चर्चा किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया.

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फाइल फोटो-PTI)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ब्रिटिश संसद में चर्चा पर भारत ने जताया विरोध
  • ब्रिटिश उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय ने किया तलब
  • किसानों पर चर्चा को बताया वोटबैंक की राजनीति

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहस किए जाने पर भारत ने विराध जताया है. दिल्ली में विदेश सचिव ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और ब्रिटिश संसद में भारत में कृषि सुधारों पर चर्चा किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया. 

विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में बताया कि विदेश सचिव ने साफ तौर पर ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा कि यह दूसरे लोकतांत्रिक देश की राजनीति में एक तरह से हस्तक्षेप है. भारत ने ब्रिटिश सांसदों को सलाह दी कि उन्हें किसी घटनाक्रम को गलत तरीके से प्रस्तुत करके वोट बैंक की राजनीति करने से बचना चाहिए, वो भी तब जब एक मित्र लोकतांत्रिक देश से रिश्ते हों.

बता दें कि ब्रिटेन की संसद में भारत में जारी किसान आंदोलन को लेकर चर्चा की गई. यह चर्चा एक ऑनलाइन याचिका पर लोगों को मिले समर्थन के बाद की गई. इस याचिका में ब्रिटेन की सरकार से अपील की गई थी कि वह भारत सरकार पर आंदोलनकारी किसानों की सुरक्षा और प्रेस फ्रीडम को सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए. 

इस याचिका पर एक लाख से भी अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे. हालांकि इस चर्चा के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने भारत सरकार का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कृषि कानून भारत का अपना आंतरिक मामला है, इस पर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.

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वहीं भारत में चल रहे किसान आंदोलन को सबसे अधिक लेबर पार्टी का समर्थन मिला. लेबर पार्टी के 12 सांसदों ने इस चर्चा का समर्थन किया. इसमें लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कोर्बीन भी शामिल थे. वह पहले ही ट्वीट कर किसानों का समर्थन कर चुके हैं.

संगठन ने जताई चिंता, लिखा पत्र

ब्रिटेन के एक समूह ने ब्रिटिश संसद की पेटिशन कमेटी को पत्र लिखा है और चिंता जताया है कि कमेटी में भारत के कृषि कानूनों को महिलाओं, बच्चों के अधिकारों और गरीबी जैसे मसलों से ज्यादा तरजीह दी गई. एडवोकेसी फॉर ब्रिटिश हिंदू एंड इंडियन्स (ABHI) ने यह पत्र लिखा है. संगठन का कहना है कि ब्रिटिश भारतीय समुदाय ब्रिटिश संसद के "विदेशी देश के मुद्दों" पर चर्चा करने को लेकर चिंतित है.

 

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