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ईरान के चाबहार पोर्ट के गेम से अभी भी बाहर नहीं भारत, तीन देशों ने मिलकर उठाया ये कदम

चाबहार पोर्ट को लेकर भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच एक अहम बैठक हुई है. इस बैठक में पोर्ट के और ज्यादा विकास को लेकर चर्चा की गई. तीनों देशों के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर ये दूसरी ऑनलाइन मीटिंग थी.

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चाबहार पोर्ट मार्च 2022 से शुरू होने की उम्मीद है. (फाइल फोटो)
चाबहार पोर्ट मार्च 2022 से शुरू होने की उम्मीद है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत, ईरान, उज्बेकिस्तान में बैठक
  • चाबहार पोर्ट के विकास पर चर्चा

भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान एक बार फिर चाबहार पोर्ट को लेकर चर्चा हुई. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में शामिल तीनों पक्षों के बीच पोर्ट के आसपास ट्रांसपोर्ट गलियारे को और ज्यादा विकसित करने पर चर्चा की. चाबहार पोर्ट को और विकसित किए जाने को लेकर तीनों देशों के बीच ये दूसरी ऐसी ऑनलाइन बैठक थी. इसे पहले पिछले साल दिसंबर में ऐसी बैठक हुई थी.

कुछ समय पहले खबरें थीं कि ईरान ने चाबहार पोर्ट से भारत को बाहर कर दिया है, क्योंकि भारत की ओर से फंड जारी करने में देरी हो रही है. हालांकि, ये मीटिंग होने से पता चल गया है कि चाबहार पोर्ट में भारत अब भी बड़ी भूमिका में है.

चाबहार पोर्ट से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच कारोबार करना और ज्यादा आसान हो जाएगा. इसके अलावा चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान में चीन की मदद से बन रहे ग्वादर बंदरगाह का जवाब माना जाता है. भारत के लिए चाबहार पोर्ट इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता बन जाएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा. इसके साथ ही अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और मजबूत हो जाएगा. चाबहार पोर्ट और ग्वादर पोर्ट के बीच 100 किमी की दूरी है.

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ये भी पढ़ें-- Explainer: अफगानिस्तान के सैकड़ों प्रोजेक्ट में भारत का 22 हजार करोड़ रुपये का निवेश दांव पर, अब क्या होगा भविष्य?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मंगलवार को जो तीनों देशों के बीच बैठक हुई उसमें शाहिद बहिश्ती टर्मिनल के जरिए मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच आवाजाही बढ़ने पर भी जोर दिया गया. दरअसल, चाबहार में दो पोर्ट हैं. एक है शाहिद कलंतरी और दूसरा है शाहिद बहिश्ती. भारत शाहिद बहिश्ती बंदरगाह के पहले चरण का विकास कर रहा है. इससे भारत को रूस और यूरोप तक का रास्ता मिलेगा.

मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया था. 15 साल में ये पहली बार था जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ईरान की यात्रा की थी. इसी दौरे में पीएम मोदी ने चाबहार पोर्ट के विकास में निवेश करने का ऐलान किया था. 

2016 में हुए इस समझौते के तहत भारत चाबहार पोर्ट में जरूरी साजो-सामान के लिए 85 मिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है. इसके साथ ही बंदरगाह के विकास के लिए  150 मिलियन डॉलर का लोन भी दे रहा है. चाबहार पोर्ट सीस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ईरान के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित है.

 

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