भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जल्द से जल्द डिसएंगेजमेंट के लिए कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत हुई. इस दौरान दोनों देश डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सहमत हुए, लेकिन भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि उसे पहले पीछे हटना होगा.
भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि वह तब तक पैंगोंग लेक के दक्षिण तट से नहीं हटेगा जब तक चीन उत्तरी तट से पीछे नहीं हटता है. जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत में डिसएंगेजमेंट के लिए सहमति बनी है.
सूत्रों ने बताया कि बातचीत के दौरान भारत इस रुख पर अड़ा रहा कि चीन को उस इलाकों को पहले खाली करना होगा जहां वह आकर पैर जमा चुका है. भारत ने कहा कि चीन को अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति को बहाल करना होगा.
जारी बयान के मुताबिक, 'दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत को कायम रखने के लिए सहमत हुए, और इस बात पर भी रजामंदी जताई कि दोनों देश जल्द से जल्द डिसएंगेजमेंट के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचें.
असल में, चीन जोर देकर कह रहा था कि भारत को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की ऊंचाइयों को छोड़ना होगा जिस पर उसने अगस्त में कब्जा जमा लिया था. लेकिन भारत ने कहा कि चीन की आर्मी PLA ने सबसे पहले पैंगोंग लेक के फिंगर एरिया में कब्जा जमाया था. इसलिए उसे पहले पीछे हटना चाहिए. उसके बाद ही भारतीय सेना कोई कदम उठाएगी.
जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि दोनों देशों के नेताओं की तरफ से विवाद को जल्द निपटाने के प्रयास को लागू किया जाना चाहिए. दोनों देशों के बीच जो मतभेद हैं, उन्हें विवाद में तब्दील नहीं होने देना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने चाहिए.'
बहरहाल, सूत्रों ने कहा कि चूंकि ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा करने के लिए सबसे पहले चीन ने कदम उठाए थे, इसलिए उसे पहले पीछे हटना होगा. उसके बाद भारतीय सेना अपना कदम उठाएगी. अधिकारियों ने कहा कि डिसएंगेजमेंट के लिए एक पारस्परिक निर्णय लिए जाने की जरूरत है. इस पर काम करने की आवश्यकता है कि इसे कैसे लागू किया जा सकता है. एक अधिकारी ने कहा, 'जब तक पैंगोंग झील के उत्तरी तट से चीनी नहीं हटते हैं तब तक भारत भी दक्षिणी किनारे से पीछे नहीं हटेगा.'