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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला- विधवा हत्या के जुर्म में दोषी है तो भी फैमिली पेंशन की हकदार

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही पारिवारिक पेंशन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि महज गलत आचरण का हवाला देते हुए विधवा की पारिवारिक पेंशन नहीं रोकी जा सकती.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • साल 2011 में हत्या के एक मामले में दोषी करार दी गई थी अंबाला की महिला
  • खराब आचरण का हवाला देकर बंद कर दी गई थी पारिवारिक पेंशन

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही पारिवारिक पेंशन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि महज गलत आचरण का हवाला देते हुए विधवा की पारिवारिक पेंशन नहीं रोकी जा सकती. मामला अंबाला की रहने वाली बलजीत कौर का है, जिसे साल 2011 में हत्या के एक मामले में दोषी करार दिया गया था. बलजीत कौर विधवा थी और उसे साल 2008 से अपने पति तरसेम सिंह की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन दी जा रही थी. साल 2011 में जब बलजीत कौर को हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया तो हरियाणा सरकार ने उसकी पारिवारिक पेंशन बंद कर दी.

महिला ने जब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने साफ किया कि फैमिली पेंशन कानून -1964 के तहत यदि पेंशन के हकदार परिवार के किसी सदस्य को सरकारी कर्मचारी की मौत का दोषी पाया जाता है तो मामला लंबित होने तक उसे पेंशन नहीं दी जा सकती.

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पेंशन के नियमों के मुताबिक दोषी पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को पारिवारिक पेंशन नहीं दी जा सकती. हालांकि परिवार का दूसरा पात्र सदस्य पारिवारिक पेंशन का हकदार है. कोर्ट ने बलजीत कौर के मामले का निपटारा करते हुए कहा कि पेंशन नियमों में खराब आचरण का अच्छी तरह से उल्लेख नहीं है इसलिए सरकार ने उनके मामले में गलत तरीके से पेंशन रोकी.

बलजीत कौर ने कोर्ट को बताया था कि उनके पति की साल 2008 में मृत्यु हो गई थी. पति की मृत्यु के बाद उनको पारिवारिक पेंशन मिलने लगी लेकिन 2009 में उन पर हत्या के आरोप लगे और साल 2011 में उनको हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया. हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए हरियाणा सरकार को 30 दिनों के भीतर न केवल बलजीत कौर की पारिवारिक पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं बल्कि बकाया राशि का भुगतान भी ब्याज सहित करने का फैसला सुनाया है.

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