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गुजरात में बीजेपी के डोर-टू-डोर कैंपेन की हक़ीक़त क्या है

गुजरात में इस बार बीजेपी का कैंपेन प्लान पहले से कितना अलग है और बाकी पार्टियां क्या कर रही हैं? टिकट बंटवारे से पनपी नाराजगी बीजेपी को गुजरात चुनाव में कितना नुक़सान पहुंचा सकती है? नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष पद से फारूक अब्दुल्ला ने क्यों इस्तीफा दे दिया और बतौर अध्यक्ष उनका कार्यकाल कैसा रहा और टेरर फंडिंग में क्रिप्टो के इस्तेमाल को लेकर भारत ने क्या चिंताएं जताई हैं, सुनिए आज के 'दिन भर' में

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क्या है BJP का 'कारपेट बॉम्बिंग' प्लान?

 

गुजरात चुनाव में महीना भर से भी कम का वक्त रह गया है. एक नवंबर को 89 सीटों पर पहले चरण का चुनाव है. लिहाज़ा पार्टियां भी एक्टिव मोड में आ गई हैं. आज बीजेपी ने 89 में से 82 सीटों पर प्रचार के लिए जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, हेमंता बिस्वा शर्मा सहित 46 नेताओं को मैदान में उतारा. सूरत पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैली को संबोधित करते हुए कोविड के वक्त सरकार के किए कामों का लेखा जोखा लोगों के सामने रखा

वहीं बीजेपी चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने के लिए लोगों से सुझाव मांग रही है. पार्टी ने 5 नवंबर को 'अग्रसर गुजरात' अभियान शुरू किया था. इसके अलावा कहा जा रहा है कि यूपी चुनाव के तर्ज पर ही गुजरात में भी बीजेपी घर घर जाकर लोगों से संपर्क करेगी. खुद पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इसके हिस्सा होंगे. वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी कमर कस रही है. केजरीवाल लगातार राज्य के दौरे पर हैं और दिल्ली मॉडल की तर्ज पर लोगों से वोट मांग रहे हैं. वहीं पिछले चुनाव में 77 सीटें जीने वाली कांग्रेस भी पटेल, आदिवासी समाज को अपने पाले में करने की कोशिश में लगी है.

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तो सबसे पहले बात बीजेपी के चुनावी कैंपेन को लेकर ही करते हैं. इस मर्तबा क्या तैयारी है बीजेपी की ताकि 2017 में जीते 99 सीटों के आंकड़े को बढ़ाया जा सके, 'दिन भर' में सुनने के लिए क्लिक करें

 

बागियों से बीजेपी सावधान!

 

एक ओर जब बीजेपी कैंपेन को सफल बनाने के लिए जी जान से जुटी है तो दूसरी ओर पार्टी में असंतोष भी दिखाई देने लगा है. बीजेपी ने पिछले चुनाव के मुकाबले 50 प्रतिशत चेहरों के टिकट काट लिए हैं. यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, नितिन पटेल, सौरभ पटेल समेत छह बड़े नेताओं तक को मौका नहीं दिया गया. वहीं नरोदा पाटिया दंगा मामले के एक दोषी की बेटी को टिकट दिए जाने पर बीजेपी सवालों के घेरे में भी है.

 

इन सब के इतर आप ये भी पाएंगे कि वडोदरा की वाघोडिया सीट से टिकट ना मिलने से नाराज छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया. नांदोद से विधायक रहे हर्षद वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे कर इंडिपेंडेंट पर्चा भरा है जो कि BJP के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रेसिडेंट थे. अनुसूचित जनजाति के लिए गुजरात में 27 सीटें आरक्षित आरक्षित हैं. बीजेपी ने अभी तक बहुत ज्यादा चुनावी सफलता हासिल नहीं की है .इसलिए इस मर्तबा पार्टी ने इन पर भी अपनी नज़रे गढ़ा रखी है. तो अब सवाल है कि टिकट वितरण से पैदा हो रहा असंतोष क्या गुजरात चुनाव में बीजेपी को नुकसान भी पहुंचाएगा या पार्टी इससे निपट लेगी, 'दिन भर' में सुनने के लिए क्लिक करें

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फारूक का राजनीतिक सफर

 

तीन बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे वज़ह उन्होंने अपनी खराब स्वास्थ्य बताई है. 85 साल के फारूक अब्दुल्ला का आधा से ज्यादा जीवन आपको जम्मू-कश्मीर के सियासत के इर्द गिर्द घूमता दिखाई देगा. 1996 में जब वो जम्मू कश्मीर के चौथे मुख्यमंत्री बने उससे पहले से कश्मीर की राजनीति में उनकी सहभागिता रही. 2019  में जब जम्मू कश्मीर की धारा 370 में संशोधन हुआ और 35ए को हटाया गया तो फारुख उन नेताओं में से एक थे जिन्हें हाउस अरेस्ट किया गया और जब बाहर आए तो 2020 में गुपकार एलायंस की अध्यक्षता संभाली और पीडीपी, सीपीआई को एक छत के नीचा लाया.

 

पार्टी ने दो सप्ताह में नए अध्यक्ष का चुनाव कराने का निर्णय लिया है जिसके बाद दावा किया जा रहा है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को पार्टी की कमान मिल सकती है.  अगर हम नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के तौर पर फारूक अब्दुल्ला के कार्यकाल को देखें तो उनके करियर के क्या हाई और लो प्वाइंट्स हमें दिखाई पड़ते हैं, 'दिन भर' में सुनने के लिए क्लिक करें

 

आतंकी फंडिंग कैसे रुकेगी

 

आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली में 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन का आज आगाज़ हो गया है. दो दिनों के इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इस मौक़े पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे. इंडिया की आतंकरोधी टास्क एजेंसी NIA इसे आयोजित कर रही है. इस सम्मेलन में 70 से ज्यादा देशों के साढ़े 400 डेलिगेट्स हिस्सा ले रहे हैं. यह ग्लोबल स्तर पर इस तरह का तीसरा कॉन्फ्रेंस है. इससे पहले यह सम्मेलन अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित किया गया था. पीएम मोदी ने इस कॉन्फ्रेंस की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह अद्भुत है कि सम्मेलन भारत में हो रहा है. हम लंबे समय से आतंकवाद का सामना कर रहे हैं. हमें आतंकवाद के खतरे से सावधान रहना होगा. अगर आतंकवाद को मिल रहे आर्थिक सपोर्ट को चोट नहीं पहुंचाई गई तो अब तक आतंकवाद के खिलाफ जो कूटनीतिक बढ़त हमें हासिल हुई है, वो जल्द ही बेकार हो जाएगी. उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता, हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे. इस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें क्या रहीं'दिन भर' में सुनने के लिए क्लिक करें

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