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उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ सकती है रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच, बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम!

संसद में तेल की कीमतों को लेकर किए गए सवाल का जवाब देते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते कच्चा तेल और गैस काफी महंगे हो गए हैं.

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वैश्विक कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि
वैश्विक कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाजार की अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार उठा रही है कदम
  • रसोई गैस भी हुई महंगी, लेकिन उपभोक्ताओं पर भार नहीं

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में सोमवार को राज्यसभा में तेल की कीमतों को लेकर सवाल किया गया. सवाल था कि क्या यूक्रेन और रूस के युद्ध की वजह से ईंधन की सप्लाई या तेल की कीमतों पर कोई प्रभाव पड़ा है? इस पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लिखत जवाब देते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से वैश्विक कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि हुई. भारत सरकार वैश्विक ऊर्जा बाजारों और ऊर्जा आपूर्ति में आने वाले संभावित व्यवधानों की बारीकी से निगरानी कर रही है. 

वैश्विक कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि 

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली का कहना है कि नवंबर 2021 में, महंगाई को नियंत्रित करने के लिए, भारत अपने सामरिक पेट्रोलियम भंडार से 5 मिलियन बैरल जारी करने पर सहमत हुई थी. बाजार की अस्थिरता को कम करने और कच्चे तेल की कीमतें कम करने के लिए, भारत सरकार सभी उचित कार्रवाई करने के लिए तैयार है. 

उन्होंने बताया कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार द्वारा निर्धारित की गई हैं, जो 26.06.2010 और 19.10.2014 से प्रभावी हैं. तब से, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (OMCs) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण, उत्पाद की कीमतें, विनिमय दर, टैक्स संरचना, अंतर्देशीय भाड़ा और अन्य लागतों पर सही से निर्णय ले रही हैं. भारत में पेट्रोल उत्पादों की कीमत, अंतरराष्ट्रीय बाजार में संबंधित उत्पादों की कीमत से जुड़ी होती हैं. 

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केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करके प्रति लीटर 5 और 10 रुपए कम किए थे, जो 4 नवंबर, 2021 से प्रभावी हैं. ऐसा करके सरकार गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों की मदद करना चाहती थी. कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट भी कम किया है.

रसोई गैस भी हुई महंगी, लेकिन उपभोक्ताओं पर भार नहीं

वहीं अगर रसोई गैस (LPG) की बात करें, तो रसोई गैस की कीमतें सऊदी कॉन्ट्रैक्ट प्राइस (सीपी) पर आधारित होती हैं, जो एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के लिए बेंचमार्क है. सऊदी सीपी अप्रैल, 2020 से फरवरी, 2022 तक लगभग 228% बढ़ गया है. आम आदमी को अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि से बचाने के लिए, सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए प्रभावी मूल्य को संशोधित करना जारी रखा हुआ है. 

वहीं गुजरात कांग्रेस से सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने भी सवाल किया था कि क्या सरकार डीज़ल के दाम कर करेगी. इसपर  पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम डीरेग्यूलेट कर दिए गए हैं. डीरेग्यूलेट का मतलब यह होता है कि इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय प्रचलित कीमतों द्वारा निर्धारित की जाएगी. प्रशासित मूल्य तंत्र (administered price mechanism) को खत्म कर दिया गया था. 

वहीं राजस्थान से केसी वेणुगोपाल ने सवाल किया कि क्या सरकार पेट्रोल और डीज़ल के दाम आगे भी घटाएगी?  इस सवाल का जबाव देने से हरदीप सिंह पुरी बचते नजर आए. साफ ज़ाहिर है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल और गैस की कीमत में हुई वृद्धि की आंच, जल्द ही आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगी.

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