पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन (General Sundararajan Padmanabhan) का 83 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने चेन्नई में आखिरी सांस ली. 5 दिसंबर 1940 को केरल के त्रिवेंद्रम में जन्मे, वे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC), देहरादून और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खड़कवासला, पुणे के छात्र रह चुके हैं. जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने 30 सितंबर 2000 को 20वें सेना अध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना का कार्यभार संभाला था.
13 दिसंबर 1959 को भारतीय सैन्य अकादमी (IAM) से ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें आर्टिलरी रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था. उनके शानदार करियर में कई प्रतिष्ठित कमांड, स्टाफ और अनुदेशात्मक पोस्टिंग शामिल हैं, इसके अलावा उन्होंने कई ऑपरेशनों में भाग लिया था. उन्होंने 1973 में वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC) और नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (NDC) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
कई युद्धों का रहे हिस्सा
जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने अगस्त 1975 से जुलाई 1976 तक एक स्वतंत्र लाइट बैटरी की कमान संभाली और बाद में सितंबर 1977 से मार्च 1980 तक गजाला माउंटेन रेजिमेंट की कमान संभाली. यह पर्वतीय रेजिमेंट इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी तोपखाना रेजिमेंटों में से एक है और इसने कई युद्धों में भाग लिया है.
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जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने देवलाली में आर्टिलरी स्कूल में इंस्ट्रक्टर गनरी के रूप में काम किया, एक पैदल सेना ब्रिगेड के ब्रिगेड मेजर रहे और जनवरी 1983 से मई 1985 तक माउंटेन डिवीजन के कर्नल जनरल स्टाफ के तौर पर काम किया, जहां उन्हें विशिष्ट सेवा पदक (VSM) से सम्मानित किया गया. उन्होंने IMA में इंस्ट्रक्टर के रूप में भी दो कार्यकाल बिताए हैं.
प्यार से पैडी कहते थे लोग
सेना के लोगों में उन्हें प्यार से पैडी के नाम से जाना जाता था. दिल्ली में प्रतिष्ठित एनडीसी कोर्स में भाग लेने से पहले उन्होंने एक स्वतंत्र आर्टिलरी ब्रिगेड और एक माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभाली थी. उन्होंने दिसंबर 1988 से फरवरी 1991 तक रांची, बिहार और पंजाब में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली और फिर मार्च 1991 से अगस्त 1992 तक पंजाब में एक इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में नियुक्त हुए.
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जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने सितंबर 1992 से जून 1993 तक 3 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम किया. लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नति के बाद, वे जुलाई 1993 से फरवरी 1995 तक कश्मीर घाटी में 15 कोर के कमांडर रहे. 15 कोर कमांडर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही सेना ने कश्मीर में आतंकवादियों पर बड़ी सफलता हासिल की और यहां तक कि अपने अभियानों को कम भी कर सकी. 15 कोर कमांडर के रूप में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM) से सम्मानित किया गया.
सेना प्रमुख नियुक्त होने से पहले जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन दक्षिणी कमान के GOC थे. 43 साल से ज्यादा की विशिष्ट सैन्य सेवा पूरी करने के बाद वे 31 दिसंबर 2002 को रिटायर हुए.