दिवाली नजदीक है. देश भर में कई राज्यों में इस बार भी पटाखों पर बैन लगा हुआ है. शुक्रवार को अवैध पटाखों और बैन किये गए कैमिकल पटाखों पर पाबंदी को लेकर जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसियों में या तो इच्छा की कमी है या उन्होंने लोगों की मनमानी और दूसरों की सेहत से खिलवाड़ पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और एजेंसियों को ग्रीन पटाखों पर पहले के आदेश का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालती आदेशों का उल्लंघन करने पर राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख सहित शीर्ष अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा. संबंधित जिलों के डीएम और एसपी भी जिम्मेदार माने जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी पटाखों पर बैन नहीं है. बल्कि बेरियम साल्ट जैसे प्रतिबंधित कैमिकल वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है. फिर भी प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, परिवहन, बिक्री और उपयोग किया जा रहा है. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि उत्सव की आड़ में किसी भी उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती. किसी का भी उत्सव या जश्न दूसरे के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं हो सकता. यानी किसी को भी दूसरों के जीवन के साथ खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. खासकर वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के साथ.
कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों/राज्य एजेंसियों का यह देखने का कर्तव्य है कि इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों/राज्य एजेंसियों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से किसी भी चूक को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा.
सार्वजनिक विज्ञापन देना चाहिए
यदि यह पाया जाता है कि किसी भी प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग किसी विशेष क्षेत्र में किया गया है, तो संबंधित राज्य (राज्यों) के मुख्य सचिव, संबंधित राज्य (राज्यों) के सचिव (गृह) और पुलिस आयुक्त संबंधित क्षेत्र, संबंधित क्षेत्र के जिला पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाने के प्रभारी एसएचओ/पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होंगे. सभी राज्य सरकारों को प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री और निर्माण को प्रतिबंधित करने वाले नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक विज्ञापन देना चाहिए.
पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को तय की है जिसमें दिवाली, छठ, गुरुनानक जयंती आदि पर होने वाली आतिशबाजी पर इन सरकारों और प्रशासन की सख्ती की समीक्षा होगी.
क्या था 2017 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश
कम प्रदूषण फैलाने, और कम आवाज वाले पटाखों की ही बिक्री की जानी चाहिए. दीपावली जैसे त्योहारों पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही आतिशबाजी होनी चाहिए. क्रिसमस, न्यू ईयर, गुरुपर्व जैसे मौकों पर रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक देर के लिए आतिशबाजी की जा सकती है.
- कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखों को ही बनाने और बेचने की अनुमति दी जाएगी.
- सीरीज और लड़ी वाले पटाखों को बनाने, बेचने और फोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा. इनसे ज्यादा प्रदूषण और तेज आवाज के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट भी होता है. - केवल लाइसेंसी बाजारों या दुकानों पर ही कम प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्री हो सकेगी.
- फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर पटाखों की बिक्री नहीं होगी.
- पटाखों की बिक्री करने पर उन्हें कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा.
- अगर किसी इलाके में प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री होती है तो इसका जिम्मेदार संबंधित पुलिस थाने का एसएचओ होगा.
- केंद्र और राज्य सामुदायिक आतिशबाजी को बढ़ावा देने के तरीके तलाशें ताकि ज्यादा प्रदूषण ना हो.
- इसके लिए विशेष स्थान पहले से तय किए जाएं. पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) सुनिश्चित करेगा कि तय लेवल से ज्यादा आवाज वाले पटाखे न बेचे जाएं.
- PESO तय लेवल से ज्यादा आवाज वाले पटाखों के निर्माता और विक्रेता का लाइसेंस निरस्त कर सकता है.