मणिपुर पुलिस ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोप में एक आदिवासी संगठन के वरिष्ठ नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. पुलिस के अनुसार इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के महासचिव मुआं टोम्बिंग के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. टोम्बिंग ने हाल ही में कहा था कि कुकी समुदाय का अलग मुख्यमंत्री और अधिकारी होंगे, चाहे केंद्र सरकार उन्हें मान्यता दे या नहीं दे.
टोम्बिंग ने यह भी कहा था कि पिछले एक महीने से योजना बनाई जा रही है कि तेंगनोउपल, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में कुकी समुदाय के लोगों द्वारा ही शासन किया जाएगा.
उनके खिलाफ चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन प्रभारी एन थांगज़मुआन ने शिकायत दर्ज की थी. मणिपुर सरकार ने आईटीएलएफ द्वारा स्वशासन के आह्वान की निंदा की थी और घोषणा का कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं बताया था. इस ऐलान को कानून से परे भी बताया था. शिक्षा मंत्री टीएच बसंतकुमार सिंह ने इसे गैरजिम्मेदराना बयान कहा था. उन्होंने कहा "गैरजिम्मेदाराना बयान राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश और लोगों को परेशान करने के उद्देश्य से दिया गया लगता है.'
आदिवासी नेता के खिलाफ मामला दर्ज करने की कार्रवाई की गई है.
मई से सुलग रहा है मणिपुर
बता दें कि मणिपुर इस साल के मई महीने से लगातार सुलग रहा है. 4 मई 2023 को मणिपुर में मैतई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाली गई रैली के दौरान भड़की हिंसा अब तक नहीं थमी है. इन पांच महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है. यह हिंसा उस वक्त भड़की जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर- ATSUM ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था.
जब सामने आए थे दो महिलाओं के वीडियो
दरअसल यह मामला दो समुदायों के बीच अफीम, जमीन और आरक्षण की लड़ाई का है. हिंसा को दबाने में केंद्र सरकार और राज्य सरकार फिलहाल नाकाम है. इस राज्य का माहौल तब और भी बिगड़ गया जब वहां से एक वीडियो सोशल मीडिया के जरीए लोगों के सामने आया था, इसमें दो महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है. यह वीडियो 4 मई का बताया गया, जिसे 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था.
ITLF ने उठाई थी तब कार्रवाई की मांग
तब ITLF ने जोर-शोर से इस मामले को संज्ञान में लाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम - ITLF ने केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से इस मामले का संज्ञान लेने और दोषियों को कानून के सामने लाने की मांग की थी. वहीं सीएम एन बीरेन सिंह ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिए थे. वीडियो में दिख रहे कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.