कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच राकेश टिकैत ने आजतक के साप्ताहिक कार्यक्रम सीधी बात में कहा कि नेता नहीं किसान हूं. किसान आंदोलन में किसान हैं, नेता नहीं. उन्होंने कहा कि नेता तो बड़ी-बड़ी कोठियों में रहते हैं. गद्दों पर सोते हैं. राजनेताओं के आंदोलन में पहुंचने को लेकर उन्होंने कहा कि ये लोग संसद में हल्ला-गुल्ला करते तो यह हाल ही न होता. कमजोर विपक्ष के चलते आज ये हालात बने हैं. टिकैत ने एमएसपी को लेकर कहा कि यह सिर्फ कागजों पर है. व्यापारी खरीद करते हैं. एमएसपी पूरे देश में कहीं नहीं है.
सरकार की ओर से किए जा रहे एमएसपी के दावे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि व्यापारी किसान को लूट रहे हैं. टिकैत ने एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग दोहराते हुए कहा कि इसे लेकर कानून बने. एमएसपी से नीचे कृषि उपज की खरीद पर क्रिमिनल केस किया जाए. आंदोलन को लेकर एक सवाल पर कहा कि कौन कह रहा कि आंदोलन वापस हो गया. हम तो अक्टूबर तक का प्लान बनाकर बैठे हैं.
सरकार के साथ बातचीत को लेकर टिकैत ने कहा कि मीटिंग में नरेंद्र सिंह तोमर तो सिर्फ बोलते थे. अफसर पर्ची लिखकर देते थे. उन्होंने कहा कि कभी कभी पीयूष गोयल भी बोलते थे. टिकैत ने कहा कि हम तो सरकार को ढूंढ़ रहे कि सरकार है कहां. सरकार के साथ बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि चाय पीने ज्यादा जाते थे. एक सवाल पर अंदर जाते थे, पूछकर आते थे.
प्रधानमंत्री के बयान एक कॉल की दूरी से जुड़े सवाल पर टिकैत ने कहा कि कौन सा नंबर है, हमें नंबर दे दो. हमने तो अपना नंबर सार्वजनिक कर रखा है. हमें गालियां पड़ रही हैं. वे भी दे दें. हिंसा से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को बंधक बनाकर साजिश रची गई. जिस दिन पर्दाफाश होगा, किताब लिखी जाएगी. इनकी चाल है कि हिंसा कराकर माफी मंगवाकर आंदोलन को खत्म करा दो. टिकैत ने कहा कि जो रास्ते हमें लिखित में दिए गए, उनपर बैरिकेडिंग की गई.
लाल किले की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि हम माफी क्यों मांगे, माफी तो इन्हें मांगनी चाहिए. इनको तो किसानों पर पुष्प वर्षा करनी चाहिए कि चार लाख ट्रैक्टर दिल्ली में आए और 5 बजे तक पूरी दिल्ली खाली हो गई. टिकैत ने एक फॉर्मूला तय कराने की मांग करते हुए कहा कि ये अपने कानून को नहीं मानते. अब तो सरकार की ओर से बनाए गए नॉर्म्स को लेकर आंदोलन होगा कि हमें वही दे दो. हमारे पंच भी वहीं रहेंगे, मंच भी वही रहेगा.
मैंं गांधी को मानने वाला
राकेश टिकैत ने कहा कि मैं गांधी को मानने वाला हूं. उन्होंंने कहा कि किसान घाटे की खेती कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का पायलट प्रोजेक्ट है डिजिटल इंडिया. हम तो कहते हैं कि किसानों को भी डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट से जोड़ो न. किसान अपना उत्पाद बेचकर घर आए और पैसा उसके खाते में चला आए. टिकैत ने सरकार पर झूठे आंकड़े देने का आरोप लगाया. आंदोलन को देश से बाहर समर्थन मिलने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे संगठन का दुनिया के 73 देशों में काम कर रहे समान विचारधारा वाले संगठनों से अलायंस है.
जो राजनीतिक नहीं, उससे खतरनाक कोई नहीं
राकेश टिकैत से जब उनके चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि जो राजनीतिक नहीं, उससे खतरनाक कोई नहीं. राकेश टिकैत ने कहा कि उनका आंदोलन चुनाव लड़ने के लिए नहीं है. हर किसी को जब वोट देने का अधिकार है तो उसे चुनाव लड़ने का भी अधिकार है. उन्होंने कहा कि हर किसी की अपनी विचारधारा होती है.
यह वैचारिक क्रांति, बंदूक से नहीं दबेगी
राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को वैचारिक क्रांति बताते हुए कहा कि यह बंदूक से नहीं दबेगी. अब तक बंदूक का इस्तेमाल नहीं किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को खालिस्तानी बताया गया. किसानों को गुंडे बताया जा रहा है. सरकार आंदोलन को खत्म कराने के लिए साजिशें रच रही है. क्या उन्हें लगता है कि बंदूक का इस्तेमाल होगा, इस सवाल पर टिकैत ने कहा कि बिल्कुल लगता है. पुलिस पीछे रहेगी और गुंडे आगे रहेंगे. बंदूक का इस्तेमाल गुंडे करेंगे.