प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 9 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया. पीएम के ऐलान के बादन सियासी गलियारों में हलचल मच गई. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोग पीएम मोदी के फैसले को ऐतिहासिक बताने में जुट गए वहीं विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक ट्वीट कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला. उन्होंने फार्म लॉज हैशटैग के साथ शायरी ट्वीट की. ओवैसी ने इसके बाद एक के बाद एक ट्वीट कर सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि कृषि कानून शुरू से ही असंवैधानिक थे. सरकार के इगो ने किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार की बचकानी जिद्द के कारण 700 से अधिक किसानों ने जान गंवा दी. उन्होंने आंदोलनकारी किसानों को बधाई दी और कहा कि नरेंद्र मोदी ने यूपी और पंजाब में दीवार पर लिखा देखा था. उनके पास कोई और विकल्प नहीं था. असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि आगामी चुनाव और आंदोलनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया.
असदुद्दीन ओवैसी ने एंटी CAA आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इसके खिलाफ हुए आंदोलन से ये सुनिश्चित हुआ कि एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) ठंडे बस्ते में चला गया. उन्होंने किसान आंदोलन की सफलता के लिए दृढ़ निश्चय को श्रेय दिया और कहा कि इस बात का भी अच्छा उदाहरण है कि वन नेशन, वन इलेक्शन का आइडिया ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में सत्ताधारी दल को लोकतंत्र के प्रति जवाबदेह होना चाहिए और राज्यों के विधानसभा चुनाव इस उद्देश्य की पूर्ति करते हैं.