दिल्ली हाई कोर्ट से चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने चिराग पासवान की लोकसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ अर्जी खरिज कर दी है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चिराग पासवान की अर्जी में कोई नया आधार नहीं है.
यह सुनवाई लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर कब्जे को लेकर हुई. चिराग पासवान ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी गई. कोर्ट ने कहा कि मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेंडिंग है लिहाजा आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है.
लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय दल के नेता और पार्टी की ओर से मंत्रिमंडल के सदस्य के तौर पर पशुपति पारस को मंत्री बनाने के खिलाफ दाखिल चिराग पासवान की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पीकर के वकील से कहा कि आप स्पीकर से ये पूछ कर आएं कि पार्टी विवाद को लेकर चिराग पासवान की अर्जी पर स्पीकर फैसला ले रहे हैं या नहीं. कोर्ट ने स्पीकर के वकील को 10 मिनट में बताने को कहा. साथ ही कोर्ट ने चिराग गुट से कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए, यहां नहीं आना चाहिए था.
चिराग पासवान बनाम पशुपति पारस के बीच का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में चला. कोर्ट में सुनवाई के दौरान चिराग के वकील बाजपेयी ने कहा कि नियम यह है कि पार्टी ही नेता की नियुक्ति करती है.
स्पीकर को पार्टी बनाने की जरूरत नहींः SG
चिराग के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि चिराग पासवान अध्यक्ष के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष को जानकारी दे चुके थे कि पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से निकाला जा चुका है.
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केंद्र सरकार और स्पीकर की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पीकर को पार्टी बनाने की कोई जरूरत नहीं है जबकि चिराग पासवान पार्टी के आधार पर याचिका दाखिल नहीं कर सकते.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 6 में चुने गए 5 सांसद चिराग के साथ नहीं हैं इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए और इस याचिका का न्यायिक पुनरावलोकन भी नहीं होना चाहिए.
आपको चुनाव आयोग जाना चाहिएः HC
पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था, उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए थे. कोर्ट ने इस पर कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए, यहां नहीं आना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि यह याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है.
चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी है.
पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद पशुपति पारस को मंत्री बनाए जाने और उससे पहले लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता बनाने के दोहरे झटके से नाराज चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
चिराग का चाचा पर धोखाधड़ी का आरोप
चिराग ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए चाचा पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. चिराग का कहना है कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फैसले पर पुनर्विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है.