कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में बड़ी तबाही हुई. दूसरी लहर में मचे हाहाकार के बीच तीसरी लहर को लेकर चर्चा तेज हो गई है. तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीनेशन पर चर्चा के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर वीके पॉल ने कहा है कि 12 साल से 17 आयुवर्ग के वैक्सीनेशन को लेकर कहा है कि इस आयुवर्ग के लिए भारत को वैक्सीन की 26 करोड़ डोज चाहिए होगी.
डॉक्टर पॉल ने हाल ही में सरकारी अनुमानों के अनुसार कहा कि फाइजर के साथ सौदे पर अभी भी काम किया जा रहा है. यह कोई छोटा समूह नहीं है. उन्होंने कहा कि यह समूह करीब 13 से 14 करोड़ है. इसके वैक्सीनेशन के लिए हमें करीब 26 करोड़ डोज की जरूरत होगी. हमें इसका ध्यान रखना होगा. डॉक्टर पॉल ने कहा कि बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल चल रहा है और उन्हें अधिक समय नहीं लगेगा.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर पॉल ने कहा कि जाइडस कैडिला वैक्सीन का पहले से ही बच्चों पर परीक्षण किया जा रहा है. उम्मीद है कि अगले दो हफ्ते में जाइडस वैक्सीन की लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा. तब हो सकता है कि हमारे पास यह देखने के लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध हो कि क्या ये वैक्सीन बच्चों को लगाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि जब इस तरह के निर्णय लिए जाते हैं तो यह ध्यान रखना होता है कि किसे कवर करने की कोशिश की जा रही है.
डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने कहा कि बच्चे कोरोना से कम संक्रमित होते हैं और एसिम्पटोमेटिक रहते हैं. हालांकि, बच्चों में पोस्ट कोविड एमआईएस-सी के मामले बढ़ रहे हैं. चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 80 फीसदी मामलों में बच्चों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है. बाल रोग विशेषज्ञ और भारतीय बाल चिकित्सा और गहन देखभाल अकादमी के अध्यक्ष डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि बच्चे घरों में बंद हैं. वे बेचैन हैं, वे उदास हैं.
स्कूल खोलने पर सोचने का समय
डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि लंबे समय से बंद पड़े स्कूल खोलने को लेकर सोचने का समय आ गया है. यह सब तभी संभव है जब हम बच्चों का वैक्सीनेशन करें. गौरतलब है कि यूके में फाइजर की वैक्सीन को 12 से 15 आयुवर्ग के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए इमरजेंसी यूज के लिए अधिकृत है. यूरोपीय संघ ने भी हाल ही में 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को मंजूरी दी है. वहीं, अमेरिका और कनाडा ने इस महीने की शुरुआत में ही इस आयुवर्ग के बच्चों की वैक्सीनेशन की शुरुआत की है. जर्मनी ने भी 7 जून से 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत करने के संकेत दिए हैं.
क्या है डब्ल्यूएचओ का नजरिया
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना से बचाव के लिए बच्चों के वैक्सीनेशन को प्राथमिकता नहीं दी है. डब्ल्यूएचओ के शीर्ष वैक्सीन विशेषज्ञ का कहना है कि वैक्सीन की आपूर्ति बेहद सीमित है. अमीर देशों में बच्चों के लिए भी वैक्सीन को अधिकृत किया जा रहा है लेकिन डब्ल्यूएचओ इसे प्राथमिकता नहीं देता. बच्चों के कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने या मरने का खतरा नहीं है.