केंद्र सरकार ने जब देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू किया था, तब इसका बहुत विरोध हुआ था. सरकार ने यह कानून लागू तो कर दिया था, लेकिन अब तक इसके नियम नहीं बना पाए हैं. ऐसे में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह कानून नियमावली के साथ लागू हो पाएगा?
लोकसभा और राजसभा की अधीनस्थ कानून, समिति ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नियमों को तैयार करने के लिए 9 जुलाई तक का समय दिया है. समिति ने इस कानून के नियमों को लागू करने की समय सीमा 9 जुलाई 2021 तक बढ़ा दी है. गृह राज्यमंत्री नित्यानंंद राय ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर नोटिफिकेशन 12 दिसंबर 2019 को जारी किया गया था. यह 10 जनवरी 2020 से लागू हो गया. इस कानून को लेकर नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की संबंधित समितियों ने इस कानून से जुड़े नियम बनाने के लिए समय सीमा 9 अप्रैल 2021 और 9 जुलाई 2021 तक बढ़ा दिया है. नियमों के निर्माण को लेकर प्रक्रिया अभी चल रही है.
कानून में क्या है?
सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. इस कानून के तहत इन समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो इन तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ता के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए.
कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
बताते चलें कि नागरिकता संशोधन कानून-2019 में ही संसद से पारित हो गया था. हालांकि, इस कानून के नियमों को अभी तैयार किया जा रहा है जिसकी समय सीमा 9 जुलाई 2021 तक बढ़ा दी गई है. इस कानून के विरोध में भी आंदोलन हुए थे. सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था. सामाजिक संगठनों ने इस कानून को देश के संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया था. सीएए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हिंसा भी देखने की मिली थी.
गृह मंत्री ने आरोपों को किया था खारिज
सीएए का विरोध करने वालों का कहना था कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला है, और इससे संविधान की भावना का उल्लंघन होगा. उनका यह भी आरोप है कि सीएए को भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए इरादे से लाया गया है. हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को राजनीतिक करार दिया था. उन्होंने कहा था कि इस कानून के कारण किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी.
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