कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के जीएसटी काउंसिल के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस कदम से राज्य को 15 से 20 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है. उन्होंने केंद्र से गुजारिश किया कि वह कुछ हानिकारक वस्तुओं पर अभी भी वसूले जा रहे टैक्स राज्यों को वापस सौंप दे.
सिद्धारमैया ने एक बयान में कहा, "हम जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के जीएसटी परिषद के फैसले का स्वागत करते हैं, जो लोगों और व्यवसायों पर मौद्रिक और अनुपालन बोझ दोनों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."
उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला कोई नई समझदारी नहीं है, बल्कि राहुल गांधी, विपक्षी नेताओं और विपक्ष शासित राज्यों द्वारा 2016-2017 से की जा रही मांगों को स्वीकार किया गया एक कदम है, जब मोदी सरकार ने जल्दबाजी में एक दोषपूर्ण जीएसटी लागू किया था.
'दुख की बात यह...'
सिद्धारमैया ने कहा, "हमने शुरू से ही चेतावनी दी थी कि यह 'गब्बर सिंह टैक्स' छोटे व्यवसायों को बर्बाद कर देगा, अनुपालन लागत बढ़ाएगा और आम परिवारों पर बोझ डालेगा. दुख की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ साल तक इन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया."
उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी सिस्टम केंद्र सरकार को कुल मतदान शक्ति का एक-तिहाई हिस्सा देती है, जबकि सभी राज्य मिलकर शेष दो-तिहाई हिस्सा साझा करते हैं. किसी भी सुधार के लिए तीन-चौथाई बहुमत की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि अगर सभी राज्य सहमत भी हो जाएं, तो भी एक केंद्र सरकार सुधारों को रोक सकती है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने ठीक यही किया. आज का यह सुधार साबित करता है कि हमारा रुख शुरू से ही सही था. अगर केंद्र सरकार ने पहले ही ध्यान दिया होता, तो भारत के लोगों को वर्षों की कठिनाइयों से बचाया जा सकता था.
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सिद्धारमैया ने आगे कहा, "अब, केंद्र सरकार और केंद्रीय इनडायरेक्ट टैक्स और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ज़िम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जीएसटी युक्तिकरण का फायदा वास्तव में उपभोक्ताओं तक पहुंचे. दरों में कमी से लोगों के लिए कीमतें कम होनी चाहिए, न कि बड़े कॉर्पोरेट्स के मुनाफ़े में बढ़ोतरी. अगर लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पाते, तो इसका दोष पूरी तरह से केंद्र सरकार पर होगा."