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Explainer: विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया क्या है? ममता सरकार के पास अब आगे क्या रास्ता है?

पश्चिम बंगाल में मंगलवार को राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पास तो हो गया, लेकिन अभी इसका गठन होने में काफी वक्त लग सकता है. क्योंकि अभी इसे लोकसभा और राज्यसभा में भी पास होना होगा. साथ ही राष्ट्रपति की मंजूरी भी लगेगी.

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विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव 196 वोटों के समर्थन के साथ पास हो गया. (फाइल फोटो-PTI)
विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव 196 वोटों के समर्थन के साथ पास हो गया. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पास
  • अब सदन के दोनों सदनों में पास कराना जरूरी
  • राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही बनेगी विधान परिषद

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मंगलवार को विधानसभा में राज्य में विधान परिषद (Legislative Council) बनाने का प्रस्ताव पेश कर दिया. ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) के दौरान विधान परिषद के गठन का वादा किया था. लेकिन क्या प्रस्ताव पास कर देने से ही विधान परिषद का गठन हो जाएगा? ममता विधान परिषद का गठन क्यों चाहती हैं? प्रस्ताव पास करने के बाद ममता के पास अब क्या रास्ता बचा है? आइए जानते हैं....

ममता क्यों चाहती हैं विधान परिषद का गठन?

ममता बनर्जी जब 2011 में पहली बार बंगाल की मुख्यमंत्री (West Bengal CM) बनी थीं, तभी उन्होंने विधान परिषद के गठन का वादा किया था. इसके बाद इस बार भी विधानसभा चुनाव से पहले ममता ने विधान परिषद के गठन का वादा किया था. जानकारी के मुताबिक, इस बार चुनावों में ममता ने कई नेताओं के टिकट काटे थे, जिन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाने का वादा किया था. इसके लिए उन्हें विधान परिषद का गठन करना होगा.

प्रस्ताव पास होने से गठन हो जाएगा क्या?

नहीं. विधानसभा में विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पास कर देने भर से इसका गठन नहीं हो जाएगा. अब गेंद केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के पाले में है. विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा (Lok Sabha) और (Rajya Sabha) में पास कराना होगा. यहां से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति (President) के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) की मंजूरी के बाद ही बंगाल में विधान परिषद का गठन होगा.

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ये प्रक्रिया कब तक पूरी होगी?

इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता. ये ऐसी संवैधानिक प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में सालों भी लग सकते हैं. विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकारें विधानसभा में तो पास कर देती हैं, लेकिन ये संसद में आकर अटक जाता है. इसे यूं समझिए असम की विधानसभा ने 2010 में और राजस्थान विधानसभा ने 2012 में राज्य में विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पास किया था, लेकिन दोनों ही राज्यों का ये बिल राज्यसभा में अटका हुआ है.

बंगाल का प्रस्ताव भी अटका तो ममता क्या करेंगी?

ममता बनर्जी ने अपनी तरफ से किया वादा पूरा कर दिया है. अब उन्होंने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है. संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 13 अगस्त तक चलेगा. इस सत्र में अगर दोनों सदनों में बंगाल में विधान परिषद का बिल पास हो जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो जल्द ही बंगाल में विधान परिषद का गठन हो सकता है. लेकिन अगर बिल अटका तो ममता इसका मुद्दा बना सकती हैं. 

क्या बंगाल में कभी विधान परिषद रही है?

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हां. आजादी के बाद 5 जून 1952 को बंगाल में विधान परिषद का गठन किया गया था. उस वक्त इसमें 51 सीटें थीं. लेकिन 21 मार्च 1969 को इसे खत्म कर दिया गया. 

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विधान परिषद में कितनी सीटें होती हैं?

ये राज्य की विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है. संविधान के अनुसार, विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या की एक तिहाई से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. साथ ही ये संख्या 40 से कम भी नहीं होनी चाहिए. हालांकि, जब जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद थी तो वहां सदस्यों की संख्या 36 थी. माना जा रहा है कि बंगाल में अभी 294 विधानसभा सीटें हैं, इसलिए अगर विधान परिषद का गठन होता है तो उसमें 98 सीटें हो सकती हैं. 

क्या विधान परिषद के सदस्य भी विधानसभा की तरह ही चुने जाते हैं?

नहीं. विधानसभा के सदस्य जनता चुनती है, जबकि विधान परिषद के सदस्यों को चुनने की प्रक्रिया इससे पूरी तरह अलग है. विधान परिषद के एक तिहाई सदस्यों को विधानसभा के सदस्य चुनते हैं. एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगर परिषद, जिला बोर्ड और राज्य के दूसरे स्थानीय शासन की संस्थाओं के प्रतिनिधि चुनते हैं. बाकी बचे सदस्यों को स्नातक और टीचर्स चुनते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल (Governor) की ओर से भी मनोनीत किए जाते हैं.

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क्या अभी किसी राज्य में विधान परिषद है?

हां. अभी देश के 6 राज्यों में विधान परिषद है. इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश है. पहले जम्मू-कश्मीर में भी विधान परिषद थी, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उसकी मान्यता खत्म हो गई. 

अभी जिन 6 राज्यों में विधान परिषद है, उनमें से तीन राज्यों के मुख्यमंत्री इसी सदन के सदस्य हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) विधान परिषद के सदस्य हैं. इसी तरह महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) विधान परिषद के सदस्य हैं. नीतीश कुमार तो जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तभी से विधान परिषद के सदस्य हैं.

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