पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की विशेष अदालत में सरेंडर किया. उनका नाम प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ी चार्जशीट में शामिल है. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें 10,000 रुपये के निजी बॉन्ड पर जमानत दी.
कोर्ट ने मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा को निर्देश दिया है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर न जाएं और मामले से जुड़े किसी भी गवाह को प्रभावित न करें. इस केस की अगली सुनवाई 16 सितंबर को तय की गई है. गौरतलब है कि अदालत ने पहले ही सिन्हा को 12 सितंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया था. इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को सरेंडर कर दिया.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अगस्त में मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के खिलाफ जांच की मंजूरी दी थी. राजभवन के एक सूत्र ने कहा था, "दस्तावेजों के आधार पर, राज्यपाल ने चंद्रनाथ सिन्हा, मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार, के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दी है. यह अनुमति प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के लिए दी गई है."
ED की जांच और चार्जशीट
ED ने सिन्हा के खिलाफ विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. प्रोटोकॉल के अनुसार, किसी भी जांच एजेंसी को किसी वर्तमान मंत्री के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए संबंधित राज्यपाल से अनुमति लेना आवश्यक होता है, क्योंकि राज्यपाल ही नियुक्ति प्राधिकारी होते हैं.
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यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 के तहत चल रही है. इसमें निलंबित TMC नेता और उस समय के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई लोगों की संलिप्तता सामने आई है.
कैसे हुआ घोटाला
जांच में सामने आया है कि योग्य और मेधावी उम्मीदवारों को शिक्षक पदों पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया, जबकि अयोग्य, कम रैंक वाले और यहां तक कि असफल उम्मीदवारों को भी पैसे लेकर नियुक्त किया गया.
एक दस्तावेज में सीधे तौर पर मंत्री और विधायक चंद्रनाथ सिन्हा का नाम दर्ज है. इसमें आरोप है कि उन्होंने कई उम्मीदवारों की सिफारिश की थी. दर्ज बयानों से यह भी सामने आया कि एजेंटों और मंत्री सिन्हा को भुगतान किए गए थे ताकि नियुक्तियां सुनिश्चित की जा सकें. (तापस सेन गप्ता इनपुट)