आजतक रेडियो पर हम रोज लाते हैं, देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’ जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की खबरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अखबारों की सुर्खियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब-किताब. जानिए, आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन खबरों पर बात कर रहे हैं?
दिवाली में भी पटरी पर क्यों नहीं आ पाया देश का पटाखा कारोबार?
साउथ इंडिया में एक शहर है शिवकाशी, तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में पड़ता है. चेन्नई से क़रीब साढ़े 500 किलोमीटर दूर. ये शहर अपने पटाखा, प्रिंटिंग और माचिस उद्योग के लिए मशहूर है. इंडिया का फायरक्रैकर कैपिटल कह सकते हैं इसको, क्योंकि देश की 90 फीसदी पटाखों की डिमांड ये शहर अकेले पूरा करता है. विकिपीडिया की मानें तो पटाखों के छोटे-बड़े 8000 इंडस्ट्रीज यहाँ हैं. लेकिन, इन इंडस्ट्रीज की हालत आजकल खस्ता है, वो भी ऐसे समय में जब पटाखों की डिमांड पीक पर होती है. पहले लॉकडाउन, फिर पॉल्यूशन के चलते बढ़ती पाबंदियां और चाइनीज पटाखों की बढ़ती आमद, ये सब वजहें हैं जिसके चलते शिवकाशी में पटाखों के प्रॉडक्शन पर ख़ासा असर पड़ा है और इसके चलते सप्लाई भी प्रभावित हुई है. लेकिन कोविड की वजह से इस इंडस्ट्री को कितना नुकसान हुआ था और अब हालात किस हद तक सुधरे हैं?
कफ सिरप जांच में क्या मिलीं गड़बड़ियां?
मैडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड...ये कंपनी है हरियाणा की. पिछले हफ्ते सुर्खियों में तब आई, जब WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस कंपनी के बनाए चार कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था. WHO ने बताया कि ये कोल्ड-कफ सीरप गाम्बिया में 66 लोगों की मौत और गुर्दे की गंभीर दिक्कतों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. इसके बाद भारत में दवाओं को मंजूरी देने वाले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने जांच शुरू की थी. हरियाणा के ड्रग डिपार्टमेंट ने भी इसकी ज्वॉइंट इंस्पेक्शन की. उसमें लगभग 12 गड़बड़ियां पाई गईं है. उनको मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार ने आदेश दिया कि इसकी टोटल प्रॉडक्शन बंद कर दी जाए. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कल इस बात की जानकारी दी. हरियाणा स्टेट ड्रग अथॉरिटी ने कंपनी को 7 दिन में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. इसमें पूछा गया है कि उनका लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए और इंस्पेक्शन के दौरान क्या गड़बड़ियां पाई गईं और इस एक्शन की वजह से बाकी कंपनियों को किस तरह का मैसेज जाता है?
क्यों लगातार बढ़ रही है खुदरा महंगाई दर?
बाजार में सब्जी, फल, अनाज और दूध वगैरह लेने जाएं, गाड़ी में पेट्रोल-डीजल डलवाएं, रसोई गैस ख़रीदें या फेस्टिव सीजन में कपड़े जूते की शॉपिंग की सोचें, आज आम आदमी के मुंह से ये बात आप ही आप निकलती है...उफ़्फ़ ये कमरतोड़ महंगाई. तो ये जो महंगाई की सुरसा है उसने पूरे 2022 में अपना मुंह फाड़े रखा है. साल की शुरुआत से लेकर सितंबर तक देश में खुदरा महंगाई की दर अपने उच्च स्तर पर बनी हुई है. हालात ये है कि रिजर्व बैंक ने रिटेल इंफ्लेशन के लिए जो 6% की मैक्सिमम लिमिट तय की है, ये पूरे 9 महीने उससे ऊपर रही है. केंद्र सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्रैम इम्प्लीमेंटेशन ने कल रिटेल इन्फ्लेशन के आंकड़े जारी किये. इसके मुताबिक, सितंबर में खुदरा महंगाई दर 7.41 फीसदी रही है. ये पिछले महीने के 7% और सितंबर 2021 के 4.3% से कहीं ज़्यादा है. तो ये आंकड़े क्या संकेत देते हैं और रिटेल इन्फ्लेशन रेट के लगातार हाई रहने के पीछे क्या वजह हैं? निकट भविष्य में इस महंगाई से राहत मिलने के आसार नज़र आते हैं क्या?
13 अक्टूबर 2022 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें....