भारत में नदियों को जीवनदायिनी कह दिया गया. लेकिन ये सिर्फ़ भारत की बात नहीं, दुनिया की हर सभ्यता नदियों के किनारे फली फूली है. इसका पानी आम जनमानस से लेकर बड़े पूंजीपतियों तक की ज़रूरत है. भारत में पानी की आपूर्ति करने वाली कई नदियां है. उन्हीं में से एक है कावेरी. जिसे लेकर इस वक्त दो राज्यों में तनातनी चल रही है. कर्नाटक और तमिलनाडु कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर आपस में भिड़े हुए हैं. लड़ाई तो ये है पुरानी लेकिन अब इसने ज़्यादा बड़ा रूप अख्यतियार कर लिया है. आज कर्नाटक में किसानों ने विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया. बेंगलुरू में बड़े स्तर पर बंदी रही. राज्य में स्कूल-कॉलेज, होटल सब पर इस बंदी का असर दिखा. दरअसल, 13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक, कर्नाटक को अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी देना था. लेकिन कर्नाटक की चिंता थी सूखे की. किसानों का कहना है था कि पानी की कमी उनके यहां ख़ुद है, ऐसे में उनके लिए तमिलनाडु को पानी देना मुनासिब नहीं. सुनिए 'दिन भर'
मास्टर स्ट्रोक है या मजबूरी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल भोपाल के दौरे पर थे. जहां उन्होंने कार्यकर्ता महाकुंभ को संबोधित किया, अपने सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं और कांग्रेस को पार्टी नहीं बल्कि कंपनी बताया. इधर प्रधानमंत्री सुबह में बीजेपी के लिए प्रचार के मूड में दिखे थे ही, शाम तक पार्टी ने बड़ा चुनावी बम गिराया. जिसकी गूंज भोपाल, इंदौर, दिल्ली हर जगह सुनाई पड़ी. ये धमाका था, 39 उम्मीदवारों की सूची वाले दूसरे कैंडिडेट लिस्ट का. इसको धमाका कहने की वजहें भी थी. तीन केन्द्रीय मंत्री समेत कुल 7 सांसदों के इसमें नाम थे. मुरैना की दिमनी सीट से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को तो नरसिंहपुर से राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल और निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते को बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा गया. बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी इंदौर 1 से टिकट दिया गया. बीजेपी ने जो इन दिग्गजों पर दांव लगाया, कांग्रेस पार्टी ने इसे हार का डर कहा. तो क्या वाक़ई इन सीटों पर स्थिति पार्टी की पतली थी या कुछ बड़ी रणनीति के तहत इस ओर पार्टी ने कदम बढ़ाया है? सुनिए 'दिन भर'
US राजदूत PoK क्यों गए?
भारत-कनाडा की तनातनी के कारण पहले ही से हाय तौबा मचा हुआ था. अब पाकिस्तान में अमेरिका के राजूदत हैं डोनाल्ड ब्लोम. उनके पीओके यानी पाकिस्तान ऑक्यूपाईड कश्मीर के दौरे ने नया कूटनीतिक बखेड़ा खड़ा कर दिया है. वह पिछले हफ्ते गुपचुप तरीके से पीओके के गिलगित बाल्टिस्तान गए थे. आज जब जानकारी आई तो भारत में भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी से इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया. गार्सेटी ने कहा कि हमारे प्रतिनिधिमंडल ने भी G20 बैठकों के दौरान कश्मीर का दौरा किया था. ब्लोम का पीओके का दौरा बिल्कुल अलग था. और यह दो देशों का मसला है, जिसे द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जाना चाहिए. भारत-अमेरिका के सम्बंधों को लेकर पहले ही से कानाफूसी का आलम है. तब दे जब से यह जानकारी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आई कि अमेरिकी इंटेलिजेंस ने निज्जर की हत्या से जुड़ी कुछ जानकारी कनाडा को मुहैया कराई और जो बाइडेन ने भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में इस मुद्दे को उठाया. अब उनके राजदूत डोनाल्ड ब्लोम के पीओके दौरे को किस तरह से लिया जाए, इस दौरे के डिटेल्स क्या हमारे पास उपलब्ध हैं?सुनिए 'दिन भर'
लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
यूं तो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री और 90 के दशक का ज़िक्र होने पर कई नाम जहन में आते है. लेकिन एक नाम जहां आप ठहर जाते हैं, वह है वहीदा रहमान. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज कलाकार वहीदा को इस साल का दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवेमेंट अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा हुई है.
साल 1955, वहीदा ने तेलुगु फिल्म रोजूलु मरायी के साथ अपने सिनेमा का सफर शुरू किया. बॉलीवुड में उनकी एंट्री हुई साल 1957 में, फिल्म थी प्यासा. इसके बाद साल 1959 में कागज़ के फूल, 1960 में चौदवीं का चांद, 1962 में साहिब, बीबी और ग़ुलाम में वहीदा की कलाकारी उभरकर आई. वहीदा के शुरुआती काम को और अच्छे से जानने-समझने के लिए, सुनिए 'दिन भर'